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आतंकी को दबोचने वाले कुली धर्मनाथ को आया था पाकिस्तान से कॉल, अब तक कोई सम्मान नहीं मिलने का है मलाल - etv bharat

साल 2013 में राजधानी पटना के गांधी मैदान में हुई भाजपा की हुंकार रैली के दिन हुए बम ब्लास्ट की घटना के कुली धर्मनाथ चश्मदीद गवाह हैं. इन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ इम्तियाज नाम के एक आतंकी को पटना के करबिगहिया जंक्शन पर धर दबोचा था.... आज जब कोर्ट में सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया... तो उन्होंने ईटीवी भारत के सामने अपनी कई बातों को रखा....

कुली धर्मनाथ
कुली धर्मनाथ
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Published : Oct 27, 2021, 3:33 PM IST

पटनाः भाजपा की हुंकार रैली (Hunkar rally) के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट की सुनवाई आज पूरी हो गई. मामले में 9 आरोपियों को दोषी करार दिया गया. कोर्ट एक नवंबर को सजा का ऐलान करेगा. इस घटना को 8 साल हो गए. पटना के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में बीजेपी द्वारा आयोजित हुंकार रैली में हुए ब्लास्ट से पहले पटना जंक्शन के करबिगहिया जंक्शन पर स्थित शौचालय में सुबह 9:30 बजे ब्लास्ट हुआ था. उस घटना को याद करते हुए पटना जंक्शन पर कुली का काम कर रहे कुली धर्मनाथ (Coolie Dharmanath) कहते हैं इस घटना को बीते 7 से 8 वर्ष हो गए. इसके बावजूद ना ही उन्हें कोई सम्मान मिला और ना ही मुकम्मल सुरक्षा. ये वही कुली हैं जिन्होंने उस दिन सबसे पहले इम्तियाज नाम के आतंकी को शौचालय से धर दबोचा था.

ये भी पढ़ेंः गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामला: 10 में से 9 आरोपी दोषी करार, 1 नवंबर को सजा की घोषणा

धर्मनाथ कुली ईटीवी भारत से बात करते हुए कहते हैं अब उन्हें रेल परिसर में रहने पर डर लगता है. उन्हें सुरक्षा के तौर पर एक अंगरक्षक तो जरूर दिया गया लेकिन जंक्शन परिसर से बाहर निकलते ही उनकी वह सुरक्षा छीन ली जाती है. घटना की याद ताजा करते हुए धर्मनाथ कहते हैं इस घटना के गवाह वह भी हैं. उन्होंने सबसे पहले इम्तियाज नाम के आतंकी को शौचालय से धर दबोचा था और इस दौरान जंक्शन परिसर पर मौजूद हजारों लोगों की जान उन्होंने बचाई थी.

देखें वीडियो
'कोर्ट में इस मामले की लगातार गवाही भी देते आ रहे हैं. इस घटना के बाद पाकिस्तान से उन्हें तीन बार कॉल आया और उन्हें अपना बयान बदलने के लिए 25 से 50 लाख रुपये का ऑफर किया गया. यह ऑफर स्वीकार कर कॉल करने वाले व्यक्ति को पटना जंक्शन बुलाया. मैं यह चाहता था कि कॉल करने वाला पाकिस्तानी व्यक्ति पटना जंक्शन पहुंचे और एक बार फिर उसे धर दबोचे'- धर्मनाथ, कुली

कुली धर्मनाथ बताते हैं कि 27 अक्टूबर 2013 को सुबह 9:30 बजे करबिगहिया जंक्शन पश्चिमी छोर पर स्थित कुली विश्राम गृह में बैठे हुए थे. उसी दौरान ठीक कुली विश्राम गृह के बगल में स्थित शौचालय में ब्लास्ट हुआ. इस दौरान वह एक लाठी लेकर शौचालय की ओर भागे शौचालय के गेट पर पहुंचते ही उन्होंने शौचालय में बंद आतंकी इम्तियाज अंसारी के दरवाजे को तीन बार खटखटाया. जब इम्तियाज ने शौचालय का दरवाजा खोला तो धर्मनाथ ने घायल पड़े आतंकी से पूछताछ की.

इम्तियाज ने घायल पड़े आतंकी ने किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी और उसके बाद धर्मनाथ ने करबिगहिया जंक्शन पर मौजूद अशोक नाम के एक सिपाही को आवाज लगाई. अशोक के साथ मिलकर धर्मनाथ ने इम्तियाज अंसारी को पकड़ लिया. इम्तियाज को पकड़ने के बाद करबिगहिया जंक्शन पर मौजूद आरपीएफ की टीम 20 मिनट बाद शौचालय के पास पहुंची. जिसमें आरपीएफ दारोगा राजेश लाल और वो और सिपाही अशोक एंबुलेंस लाने निकल पड़े. एंबुलेंस ना मिलने पर आतंकी को ऑटो पर लाद कर करबिगहिया जंक्शन स्थित रेलवे अस्पताल पहुंचाया गया. उसके बाद मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इम्तियाज अंसारी को हिरासत में ले लिया.

ये भी पढ़ेंः हुंकार रैली के 8 साल, इस दिन PM नरेंद्र मोदी के सामने ही हुए थे स‍ीरियल बम ब्‍लास्‍ट

धर्मनाथ कहते हैं कि इस घटना के बाद वह और उनका परिवार काफी डर के साए में रहने लगा. काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें एक सुरक्षाकर्मी दिया गया जो जंक्शन परिसर तक उनके साथ रहता है. कुली धर्मनाथ कहते हैं कि वो प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी तीन बातें कहना चाहते हैं. अगर उस समय के तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और फिलहाल वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलते हैं, वह उनसे मिलकर अपने परिवार की सुरक्षा और अन्य कई बातों की गुहार लगाएंगे.


पटनाः भाजपा की हुंकार रैली (Hunkar rally) के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट की सुनवाई आज पूरी हो गई. मामले में 9 आरोपियों को दोषी करार दिया गया. कोर्ट एक नवंबर को सजा का ऐलान करेगा. इस घटना को 8 साल हो गए. पटना के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में बीजेपी द्वारा आयोजित हुंकार रैली में हुए ब्लास्ट से पहले पटना जंक्शन के करबिगहिया जंक्शन पर स्थित शौचालय में सुबह 9:30 बजे ब्लास्ट हुआ था. उस घटना को याद करते हुए पटना जंक्शन पर कुली का काम कर रहे कुली धर्मनाथ (Coolie Dharmanath) कहते हैं इस घटना को बीते 7 से 8 वर्ष हो गए. इसके बावजूद ना ही उन्हें कोई सम्मान मिला और ना ही मुकम्मल सुरक्षा. ये वही कुली हैं जिन्होंने उस दिन सबसे पहले इम्तियाज नाम के आतंकी को शौचालय से धर दबोचा था.

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धर्मनाथ कुली ईटीवी भारत से बात करते हुए कहते हैं अब उन्हें रेल परिसर में रहने पर डर लगता है. उन्हें सुरक्षा के तौर पर एक अंगरक्षक तो जरूर दिया गया लेकिन जंक्शन परिसर से बाहर निकलते ही उनकी वह सुरक्षा छीन ली जाती है. घटना की याद ताजा करते हुए धर्मनाथ कहते हैं इस घटना के गवाह वह भी हैं. उन्होंने सबसे पहले इम्तियाज नाम के आतंकी को शौचालय से धर दबोचा था और इस दौरान जंक्शन परिसर पर मौजूद हजारों लोगों की जान उन्होंने बचाई थी.

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'कोर्ट में इस मामले की लगातार गवाही भी देते आ रहे हैं. इस घटना के बाद पाकिस्तान से उन्हें तीन बार कॉल आया और उन्हें अपना बयान बदलने के लिए 25 से 50 लाख रुपये का ऑफर किया गया. यह ऑफर स्वीकार कर कॉल करने वाले व्यक्ति को पटना जंक्शन बुलाया. मैं यह चाहता था कि कॉल करने वाला पाकिस्तानी व्यक्ति पटना जंक्शन पहुंचे और एक बार फिर उसे धर दबोचे'- धर्मनाथ, कुली

कुली धर्मनाथ बताते हैं कि 27 अक्टूबर 2013 को सुबह 9:30 बजे करबिगहिया जंक्शन पश्चिमी छोर पर स्थित कुली विश्राम गृह में बैठे हुए थे. उसी दौरान ठीक कुली विश्राम गृह के बगल में स्थित शौचालय में ब्लास्ट हुआ. इस दौरान वह एक लाठी लेकर शौचालय की ओर भागे शौचालय के गेट पर पहुंचते ही उन्होंने शौचालय में बंद आतंकी इम्तियाज अंसारी के दरवाजे को तीन बार खटखटाया. जब इम्तियाज ने शौचालय का दरवाजा खोला तो धर्मनाथ ने घायल पड़े आतंकी से पूछताछ की.

इम्तियाज ने घायल पड़े आतंकी ने किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी और उसके बाद धर्मनाथ ने करबिगहिया जंक्शन पर मौजूद अशोक नाम के एक सिपाही को आवाज लगाई. अशोक के साथ मिलकर धर्मनाथ ने इम्तियाज अंसारी को पकड़ लिया. इम्तियाज को पकड़ने के बाद करबिगहिया जंक्शन पर मौजूद आरपीएफ की टीम 20 मिनट बाद शौचालय के पास पहुंची. जिसमें आरपीएफ दारोगा राजेश लाल और वो और सिपाही अशोक एंबुलेंस लाने निकल पड़े. एंबुलेंस ना मिलने पर आतंकी को ऑटो पर लाद कर करबिगहिया जंक्शन स्थित रेलवे अस्पताल पहुंचाया गया. उसके बाद मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इम्तियाज अंसारी को हिरासत में ले लिया.

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धर्मनाथ कहते हैं कि इस घटना के बाद वह और उनका परिवार काफी डर के साए में रहने लगा. काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें एक सुरक्षाकर्मी दिया गया जो जंक्शन परिसर तक उनके साथ रहता है. कुली धर्मनाथ कहते हैं कि वो प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी तीन बातें कहना चाहते हैं. अगर उस समय के तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और फिलहाल वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलते हैं, वह उनसे मिलकर अपने परिवार की सुरक्षा और अन्य कई बातों की गुहार लगाएंगे.


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