पटना: बिहार के छपरा में जहरीली शराब से मौत (Bihar Hooch Tragedy ) पर बिहार सरकार के मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री सुनील कुमार (Excise Minister Sunil Kumar ) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया से पूरे घटना क्रम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब तक आधिकारिक तौर पर 38 लोगों के मौत की पुष्टि (Death Due To Poisonous Liquor in Chapra) हुई है. सुनील कुमार ने सरकार की ओर से स्पष्ट किया कि मौत की संख्या को लेकर मीडिया में चल रही खबरें भ्रामक हैं. अगर किसी के बारे में कोई शक है तो इसके संबंध में लोग प्रतिवेदन दें.
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'जहरीली शराब से मौत पर मीडिया में आंकड़े अलग' : मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि जेनरिक आधार पर आरोप लगा देना आसान है लेकिन आज के सोशल मीडिया और मीडिया के दौर में बातें दबा पाना आसान नहीं है. हम इस तरह के आरोपों की भी जांच करा रहे हैं. पूरे मामले की एसआईटी से जांच कराई जा रही है. अगर ये आरोप सही पाए जाएंगे तो उन लोगों के नामों को भी इस आंकड़े में शामिल कर लेंगे.
''हमारा ऑफिशियल फिगर 38 है, अगर किसी को किसी के बारे में संशय है तो उसके बारे में अलग से नाम सहित प्रतिवेदन दें. आरोप तो लगते हैं लेकिन सभी आरोप सही नहीं होते. आज के मीडिया, सोशल मीडिया के दौर में किसी बात को दबा पाना आसान नहीं हैं. लेकिन जेनरिक बातें करके एक जनरल आरोप लगाना बहुत आसान है. इस तरह के आरोपों की हम लोग जांच भी कराएंगे और अगर सच्चाई रहेगी तो हम लोग उस संख्या को भी शामिल करेंगे.''- सुनील कुमार, मद्य एवं उत्पाद विभाग मंत्री, बिहार
मृतकों के आकंड़ों की बाजीगरी क्यों ? : बता दें कि छपरा जहरीली शराब कांड में मरने वालों का आंकड़ा 73 तक पहुंच चुका है. जबकि सरकार की ओर से 38 लोगों के मौत की पुष्टि की जा रही है. वहीं छपरा सदर अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक संदिग्ध पेय पदार्थ पीकर 67 लोग मरे हैं. सवाल इस बात का है कि आखिर आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर कैसे आ रहा है? उत्पाद विभाग के मंत्री शराब पीकर मरने वालों के परिजनों और मीडिया से प्रतिवेदन मांग रहे हैं. ऐसे में जिनकी मौतें हुईं उनके बारे में सरकार क्या कर रही है?
संज्ञेय अपराध की वजह से नहीं दिया जाएगा मुआवजा : उत्पाद मंत्री ने बताया कि मुआवजा इसलिए नहीं दिया जा सकता, क्योंकि शराब पीना संज्ञेय अपराध में शामिल है. गोपालगंज में मुआवजा देने के सवाल पर सुनील कुमार ने कहा कि प्रावधान किया गया है कि धंधे में शामिल लोगों से राशि वसूल कर पीड़ितों को दिया जाए. उसी के तहत गोपालगंज में भी पीड़ितों को मुआवजा दिया गया था. इस मुद्दे पर विपक्ष अनर्गल भ्रम फैला रहा है.
मुआवजे की मांग को लेकर सदन में 'संग्राम': हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने प्रतिपक्ष के नेता को बोलने का समय दिया. सिन्हा ने हंगामे के बीच सारण में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे की मांग करते हुए इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि जब गोपालगंज में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद मुआवजा दिया जा सकता है, तो सारण में क्यों नही. उन्होंने प्रस्ताव रखा कि मृतकों के प्रति सदन में शोक प्रकट किया जाए.