पटना: बिहार विधानसभा के इतिहास में 23 मार्च 2021 को काला दिन माना जाता है. बिहार विधानसभा में तब के विपक्षी दलों (राजद गठबंधन) ने जमकर हंगामा किया था. हालात इतने गंभीर हो गए थे कि पुलिस बलों को सदन के अंदर बुलाना पड़ा था. सदन में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था. पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा था. पूरे मामले की जांच रिपोर्ट (Ethics Committee Report) पर कार्रवाई को लेकर हंगामा मचा है.
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रिपोर्ट में क्या हैः मिल रही जानकारी के मुताबिक आचार समिति ने हंगामे के लिए 13 विधायकों को दोषी ठहराया है. तमाम विधायक राजद और उनके गठबंधन के बताये जाते हैं. अब जबकि भाजपा विधायक को 2 दिनों के लिए निलंबित किया गया था तब भाजपा ने अचार समिति के मामले को जोर शोर से उठाया है. भाजपा विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर अनुरोध किया है कि आचार समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई की जानी चाहिए.
राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांगः दरअसल आचार समिति ने जो सिफारिश की है उसको पहले विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना है, फिर उसके बाद रिपोर्ट पर अध्यक्ष के स्तर से कार्रवाई का प्रावधान है. आचार समिति के तत्कालीन अध्यक्ष और भाजपा नेता रामनारायण मंडल ने कहा है कि समिति ने रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंप दी है. उसे सदन में पेश किया जाना था लेकिन अब तक पेश नहीं की गयी है. हम लोगों ने राज्यपाल से मिलकर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
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मामला बहुत पुराना हो चुका हैः राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि अचार समिति की रिपोर्ट सामने आयी ही नहीं है. उस पर बहस का कोई मतलब नहीं है. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की सवाल यह भी उठता है. जदयू विधायक रिंकू सिंह ने कहा है कि वह मामला बहुत पुराना हो चुका है. उस पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है. गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे तो भाजपा नेताओं के मामले भी सामने आएंगे. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि आचार समिति की रिपोर्ट के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. सदन में भी चर्चा नहीं हुई है.
"समिति ने रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंप दी है. उसे सदन में पेश की जानी थी लेकिन अब तक नहीं की गयी है. हम लोगों ने राज्यपाल से मिलकर हस्तक्षेप करने की मांग की है"- रामनारायण मंडल, आचार समिति के तत्कालीन अध्यक्ष