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EOU Raid: 7 साल में ही डिप्टी GM ने अर्जित कर ली आय से 101% अधिक संपत्ति, EOU की छापेमारी में खुलासा - EOU Raid

बिहार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के उप महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी की है. उन पर आरोप है कि उन्होंने 7 साल में ही अपने आय से 101% अधिक संपत्ति अर्जित कर ली है. ईओयू की टीम ने उनके आवास से भारी मात्रा में जेवरात भी बरामद किए हैं.

शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा
शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 14, 2023, 6:18 PM IST

पटना: आर्थिक अपराध इकाई ने शुक्रवार सुबह को बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कारपोरेशन लिमिटेड के उप महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा के बेतिया स्थित पैतृक आवास, पटना के विवेकानंद मार्ग स्थित आवास और दारोगा राय पाठ स्थित कार्यालय पर छापेमारी की. जहां आर्थिक अपराध इकाई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकायत के आधार पर छापेमारी की. टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि शिशिर कुमार वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर अकूत संपत्ति अर्जित की है.

ये भी पढ़ें: बेतिया में आर्थिक अपराध इकाई की Raid, बिहार राज्य खाद्य निगम के सहायक प्रबंधक के आवास को खंगाला

शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा: उसी के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा कांड संख्या 14/ 23 धारा 13(2) तथा 13 (1) बी के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके बाद अनुसंधान प्रारंभ हुआ. जिसमें शिशिर कुमार वर्मा ने बीते 7 सालों में आकुल संपत्ति अर्जित की है. इनके द्वारा अपने और अपनी पत्नी के नाम पर छह जमीन खरीदी गई हैं, जो पटना, बेतिया और नोएडा में है. कुल 11 बैंक खाते पाए गए हैं, जिसमें करीब ₹400000 जमा है. शिशिर कुमार ने अभी तक का वेतन 45 लख रुपए मिले हैं लेकिन उनके द्वारा 7072000 की संपत्ति बनाई गई है. जिसमें करीब 45 लाख 70 हजार रुपये मूल्य की संपत्ति आए से अधिक पाई गई है, जो लगभग 101% आय से अधिक है.

शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा
छापेमारी के दौरान जब्त जेवरात

आय से 101% अधिक संपत्ति अर्जित की: बता दें कि शिशिर कुमार वर्मा ने 25 जून 2016 को सहायक प्रबंधक के पद पर बिहार स्टेट फूड एवं सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड में योगदान दिया था. उनकी पहली पोस्टिंग गया में थी. जब उन्होंने ज्वाइन किया था, उसे समय उनके पास पैतृक संपत्ति के अलावा मात्र 11000 रुपये इनके बैंक खाते में थे. 7 साल में ही इनके द्वारा काफी संपत्ति बनाई गई है. वहीं शुक्रवार को जब तलाशी ली गई तो उनके यहां से 14 लाख 50 हजार के स्वर्ण आभूषण और जीवन बीमा निगम, म्युचुअल फंड में निवेश, कई बैंकों में निवेश से संबंधित कागजात, एक लॉकर, एक 4 व्हीलर (जो अभियुक्त के भाई के नाम से निबंध है) और विभिन्न व्यवसाय संस्थाओं से क्रय किए गए सामानों का बिल पाया गया है.

34 भूखंडों से संबंधित दस्तावेज बरामद: इसके अलावा बड़ी मात्रा में हवाई यात्रा से संबंधित टिकट का भी विवरण प्राप्त हुआ है. साथ-साथ बेतिया स्थित आवास से 34 भूखंडों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं. उनके बैंक खाते से बड़ी मात्रा में ऑनलाइन शॉपिंग भी की गई है. इन सभी खर्चों को इन्होंने अपनी वार्षिक आय में नहीं दर्शाया है और नोएडा में खरीदी गई संपत्ति के संबंध में भी यह बताया गया है कि उनके संबंध में उन्होंने एचडीएफसी बैंक से ऋण प्राप्त किया है, जिस संबंध में अनुसंधान कर सत्यापित किया जा रहा है. सभी बिंदुओं पर आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा अभी जांच की जा रही है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान जारी: आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा लगातार भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई की जा रही है. हालिया दिनों में ही जेडीयू एमएलसी राधाचरण सेठ को प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध संपत्ति मामले में कार्रवाई करते हुए उन्हें पटना के सिविल कोर्ट स्थित एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि बालू से इन्होंने अवैध संपत्ति अर्जित की थी. इस मामले में राधाचरण सेठ और उनके बेटे दोनों पर कार्रवाई की गई थी.

पटना: आर्थिक अपराध इकाई ने शुक्रवार सुबह को बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कारपोरेशन लिमिटेड के उप महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा के बेतिया स्थित पैतृक आवास, पटना के विवेकानंद मार्ग स्थित आवास और दारोगा राय पाठ स्थित कार्यालय पर छापेमारी की. जहां आर्थिक अपराध इकाई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकायत के आधार पर छापेमारी की. टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि शिशिर कुमार वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर अकूत संपत्ति अर्जित की है.

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शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा: उसी के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा कांड संख्या 14/ 23 धारा 13(2) तथा 13 (1) बी के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके बाद अनुसंधान प्रारंभ हुआ. जिसमें शिशिर कुमार वर्मा ने बीते 7 सालों में आकुल संपत्ति अर्जित की है. इनके द्वारा अपने और अपनी पत्नी के नाम पर छह जमीन खरीदी गई हैं, जो पटना, बेतिया और नोएडा में है. कुल 11 बैंक खाते पाए गए हैं, जिसमें करीब ₹400000 जमा है. शिशिर कुमार ने अभी तक का वेतन 45 लख रुपए मिले हैं लेकिन उनके द्वारा 7072000 की संपत्ति बनाई गई है. जिसमें करीब 45 लाख 70 हजार रुपये मूल्य की संपत्ति आए से अधिक पाई गई है, जो लगभग 101% आय से अधिक है.

शिशिर कुमार वर्मा के आवास पर ईओयू का छापा
छापेमारी के दौरान जब्त जेवरात

आय से 101% अधिक संपत्ति अर्जित की: बता दें कि शिशिर कुमार वर्मा ने 25 जून 2016 को सहायक प्रबंधक के पद पर बिहार स्टेट फूड एवं सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड में योगदान दिया था. उनकी पहली पोस्टिंग गया में थी. जब उन्होंने ज्वाइन किया था, उसे समय उनके पास पैतृक संपत्ति के अलावा मात्र 11000 रुपये इनके बैंक खाते में थे. 7 साल में ही इनके द्वारा काफी संपत्ति बनाई गई है. वहीं शुक्रवार को जब तलाशी ली गई तो उनके यहां से 14 लाख 50 हजार के स्वर्ण आभूषण और जीवन बीमा निगम, म्युचुअल फंड में निवेश, कई बैंकों में निवेश से संबंधित कागजात, एक लॉकर, एक 4 व्हीलर (जो अभियुक्त के भाई के नाम से निबंध है) और विभिन्न व्यवसाय संस्थाओं से क्रय किए गए सामानों का बिल पाया गया है.

34 भूखंडों से संबंधित दस्तावेज बरामद: इसके अलावा बड़ी मात्रा में हवाई यात्रा से संबंधित टिकट का भी विवरण प्राप्त हुआ है. साथ-साथ बेतिया स्थित आवास से 34 भूखंडों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं. उनके बैंक खाते से बड़ी मात्रा में ऑनलाइन शॉपिंग भी की गई है. इन सभी खर्चों को इन्होंने अपनी वार्षिक आय में नहीं दर्शाया है और नोएडा में खरीदी गई संपत्ति के संबंध में भी यह बताया गया है कि उनके संबंध में उन्होंने एचडीएफसी बैंक से ऋण प्राप्त किया है, जिस संबंध में अनुसंधान कर सत्यापित किया जा रहा है. सभी बिंदुओं पर आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा अभी जांच की जा रही है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान जारी: आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा लगातार भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई की जा रही है. हालिया दिनों में ही जेडीयू एमएलसी राधाचरण सेठ को प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध संपत्ति मामले में कार्रवाई करते हुए उन्हें पटना के सिविल कोर्ट स्थित एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि बालू से इन्होंने अवैध संपत्ति अर्जित की थी. इस मामले में राधाचरण सेठ और उनके बेटे दोनों पर कार्रवाई की गई थी.

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