पटना: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड (एसएमवीएसएसएल) से जुड़ी 14.32 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क किया. एसएमवीएसएसएल पर सरकारी धन के गबन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के जांच के सिलसिले में ईडी ने कार्रवाई करते हुए देशभर के विभिन्न राज्यों में 20 फ्लैट और 19 दुकानों को भी जब्त किया है.
ईडी ने एक बयान में कहा कि एजेंसी ने चल-अचल संपत्तियों को संलग्न किया है, जिसमें नोएडा, गाजियाबाद, पुणे, रांची, भागलपुर और पटना में स्थित 20 फ्लैट शामिल हैं. इसके अलावा नोएडा, गाजियाबाद और भागलपुर में 19 दुकानें भी कुर्क हुई संपत्ति में शामिल हैं.
एफआईआर के बाद ईडी ने लिया जांच का जिम्मा
जांच एजेंसी ने आगे कहा, 'बिहार में 33 भूमि भूखंड व मकान, एक वोक्सवैगन कार और बैंक खातों में उपलब्ध शेष राशि 4.84 करोड़ रुपये को जब्त किया गया है.' केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड और अन्य के खिलाफ जांच का जिम्मा संभाला.
जांच में 557 करोड़ का खुलासा
ईडी की जांच से पता चला है कि वर्ष 2003-04 के बाद से बिहार के भागलपुर में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के बैंक खातों में अवैध रूप से पहले 557 करोड़ रुपये की धनराशि को डाला गया और बाद में इसे सरकारी खातों से निकाल दिया गया.
सरकारी धन का दुरुपयोग
ईडी ने कहा, 'मनोरमा देवी 13 फरवरी, 2017 को अपनी मौत होने तक सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव रही और वही मुख्य आरोपी भी थी. उसने अन्य सरकारी व बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया.'
क्या है सृजन घोटाला
2007 में हुए सृजन घोटाले में एक एनजीओ, सरकारी विभागों और अधिकारियों की मिलीभगत की कहानी है. जिसमें शहरी विकास के पैसे को गैर-सरकारी संगठन के खाते में पहुंचाया गया और वहीं से बंदरबांट हुई. इस मामले में सरकारी खाते का पैसा सीधे-सीधे निजी खाते में ट्रांसफर किया जा रहा था. शुरुआती दौर में घोटाले की रकम 1000 करोड़ के आसपास आंकी गई थी. लेकिन, बाद में आंकड़ा 3000 करोड़ से ज्यादा का हो गया.
अब तक कार्रवाई
- सृजन घोटाले के तीन मामलों में सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया, संचालिका रहीं मनोरमा देवी और उनके बेटे अमित कुमार समेत 44 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई.
- 2019 को सितंबर में सीबीआई ने पटना सिविल कोर्ट की विशेष न्यायालय में इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.
- जिन 44 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, डूडा, कल्याण व सहरसा विशेष भू-अर्जन कार्यालय के अफसर और कर्मचारी शामिल हैं.
- आरोपितों में स्वयंसेवी संस्था सृजन की अध्यक्ष शुभ लक्ष्मी प्रसाद, मैनेजर सरिता झा, संयोजक मनोरमा के पुत्र अमित कुमार, बैंक और बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक नैयर आलम, पूर्व मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक दिलीप कुमार ठाकुर, डूडा के कार्यपालक अभियंता नागेंद्र भगत, रंजन कुमार समैयार, मनोज कुमार शामिल हैं.
- सृजन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने जनवरी 2020 को विशेष अदालत में भागलपुर के पूर्व डीएम वीरेंद्र यादव समेत 10 लोगों के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की.
सृजन घोटाले की मुख्य बातें
- इस घोटाले की सरगना कहे या मास्टरमाइंड मनोरमा देवी है, जिसका इस साल 2017 के फरवरी में निधन हो गया.
- अभी तक की जांच में ये पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक खाता में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के जरिए जाली दस्तखत कर या बैंकिंग प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर ट्रांसफर कर लिया जाता था.
- मनोरमा देवी के कुछ राजनेताओं से करीबी संबंध रहे हैं, जिनमें पूर्व सांसद शहनवाज हुसैन और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शामिल हैं.
- इन लोगों की नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये उनके निजी कार्यक्रम में नियमित रूप से शामिल होते थे.