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बिहार में 34,559 जल स्रोतों पर अतिक्रमण, भूजल स्तर में गिरावट

बिहार में 34,559 जल स्रोतों और 19,739 सड़कों पर वर्षो से अतिक्रमण है. इसका खुलासा हाल में भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता औद्योगिकीकरण, फैलते शहरीकरण के अलावा ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन भी इसके लिये जिम्मेदार हैं.

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Published : Dec 15, 2019, 3:04 PM IST

पटना: बिहार में 34,559 जल निकायों (जलस्रोतों) और 19,739 सड़कों पर वर्षों से अतिक्रमण है. इसका खुलासा हाल में सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में किया गया है. सरकार ने अब इन अतिक्रमणों को हटाने की पहल शुरू कर दी है.

जल जीवन हरियाली अभियान से हुई शुरुआत
बिहार के भूमि और राजस्व विभाग ने हाल ही में सभी प्रक्षेत्रों के आयुक्तों और जिलाधिकारियों को जल निकायों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं. बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली अभियान के तहत पहले से ही जल निकायों को पुनर्जीवित करने का काम प्रारंभ कर दिया है. इसके तहत विशेष अभियान चलाकर तालाब और कुंए से अतिक्रमण हटाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.

तालाबों को कराया जाएगा अतिक्रमणमुक्त
इस अभियान के तहत तालाबों, आहर-पाइन की उड़ाही, पौधे लगाना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही इलाकों तक नदियों का पानी पहुंचाना है. इसके लिए पहले चरण में तालाब, आहार-पाइन और कुंओं को चिह्न्ति किया गया है और उसकी सफाई कराई जाएगी, जिन जल स्रोतों पर लोगों ने कब्जा कर लिया गया है, उन्हें अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा.

34,559 जल स्रोतों और 19,739 सड़कों पर अतिक्रमण

भूजल स्तर में लगातार गिरावट
बता दें कि पिछले एक दशक में राज्य में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. कहा जाता है कि राज्य में 10 से 200 फीट तक भूजल स्तर नीचे चली गई है. लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत ऐसे अतिक्रमण के अधिकांश मामले सामने आए थे, जिसके बाद सरकार जगी थी और सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था.

34,559 जल निकायों पर अतिक्रमण
सर्वेक्षण के बाद भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि राज्य भर में 1,48,231 जल निकायों में से 34,559 का अतिक्रमण किया गया था.

क्या कहते हैं अतिरिक्त मुख्य सचिव
बिहार के भूमि और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इस संदर्भ में पूछने पर कहते हैं, 'विभाग ने अतिक्रमण की जानकारी के लिए एक टीम का गठन किया है, जो इसका अध्ययन भी कर रही है. छोटानागपुर क्षेत्र से निकलने वाले जलस्रोत और वर्षो से बह रही नदियां अपना रास्ता बदलती रहती है और लोग उसी जगह जाकर बस जाते हैं. इस सर्वेक्षण में ऐसे भूखंड भी सामने आए हैं.'

पटना: बिहार में 34,559 जल निकायों (जलस्रोतों) और 19,739 सड़कों पर वर्षों से अतिक्रमण है. इसका खुलासा हाल में सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में किया गया है. सरकार ने अब इन अतिक्रमणों को हटाने की पहल शुरू कर दी है.

जल जीवन हरियाली अभियान से हुई शुरुआत
बिहार के भूमि और राजस्व विभाग ने हाल ही में सभी प्रक्षेत्रों के आयुक्तों और जिलाधिकारियों को जल निकायों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं. बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली अभियान के तहत पहले से ही जल निकायों को पुनर्जीवित करने का काम प्रारंभ कर दिया है. इसके तहत विशेष अभियान चलाकर तालाब और कुंए से अतिक्रमण हटाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.

तालाबों को कराया जाएगा अतिक्रमणमुक्त
इस अभियान के तहत तालाबों, आहर-पाइन की उड़ाही, पौधे लगाना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही इलाकों तक नदियों का पानी पहुंचाना है. इसके लिए पहले चरण में तालाब, आहार-पाइन और कुंओं को चिह्न्ति किया गया है और उसकी सफाई कराई जाएगी, जिन जल स्रोतों पर लोगों ने कब्जा कर लिया गया है, उन्हें अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा.

34,559 जल स्रोतों और 19,739 सड़कों पर अतिक्रमण

भूजल स्तर में लगातार गिरावट
बता दें कि पिछले एक दशक में राज्य में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. कहा जाता है कि राज्य में 10 से 200 फीट तक भूजल स्तर नीचे चली गई है. लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत ऐसे अतिक्रमण के अधिकांश मामले सामने आए थे, जिसके बाद सरकार जगी थी और सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था.

34,559 जल निकायों पर अतिक्रमण
सर्वेक्षण के बाद भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि राज्य भर में 1,48,231 जल निकायों में से 34,559 का अतिक्रमण किया गया था.

क्या कहते हैं अतिरिक्त मुख्य सचिव
बिहार के भूमि और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इस संदर्भ में पूछने पर कहते हैं, 'विभाग ने अतिक्रमण की जानकारी के लिए एक टीम का गठन किया है, जो इसका अध्ययन भी कर रही है. छोटानागपुर क्षेत्र से निकलने वाले जलस्रोत और वर्षो से बह रही नदियां अपना रास्ता बदलती रहती है और लोग उसी जगह जाकर बस जाते हैं. इस सर्वेक्षण में ऐसे भूखंड भी सामने आए हैं.'

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बिहार में 34559 जल स्रोतों पर अतिक्रमण, भूजल स्तर में गिरावट



बिहार में 34,559 जल स्रोतों और 19,739 सड़कों पर वर्षो से अतिक्रमण है. इसका खुलासा हाल में भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता औद्योगिकीकरण, फैलते शहरीकरण के अलावा ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन भी इसके लिये जिम्मेदार हैं.



पटना: बिहार में 34,559 जल निकायों (जलस्रोतों) और 19,739 सड़कों पर वर्षो से अतिक्रमण है. इसका खुलासा हाल में सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में किया गया है. सरकार ने अब इन अतिक्रमणों को हटाने की पहल शुरू कर दी है. 

बिहार के भूमि और राजस्व विभाग ने हाल ही में सभी प्रक्षेत्रों के आयुक्तों और जिलाधिकारियों को जल निकायों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं. बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली अभियान के तहत पहले से ही जल निकायों को पुनर्जीवित करने का काम प्रारंभ कर दिया है. इसके तहत विशेष अभियान चलाकर तालाब और कुंए से अतिक्रमण हटाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.

इस अभियान के तहत तालाबों, आहर-पाइन की उड़ाही, पौधे लगाना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही इलाकों तक नदियों का पानी पहुंचाना है. इसके लिए पहले चरण में तालाब, आहार-पाइन और कुंओं को चिह्न्ति किया गया है और उसकी सफाई कराई जाएगी, जिन जल स्रोतों पर लोगों ने कब्जा कर लिया गया है, उन्हें अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा.

बता दें कि पिछले एक दशक में राज्य में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. कहा जाता है कि राज्य में 10 से 200 फीट तक भूजल स्तर नीचे चली गई है.

लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत ऐसे अतिक्रमण के अधिकांश मामले सामने आए थे, जिसके बाद सरकार जगी थी और सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था.

सर्वेक्षण के बाद भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि राज्य भर में 1,48,231 जल निकायों में से 34,559 का अतिक्रमण किया गया था.

बिहार के भूमि और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इस संदर्भ में पूछने पर कहते हैं, "विभाग ने अतिक्रमण की जानकारी के लिए एक टीम का गठन किया है, जो इसका अध्ययन भी कर रही है. छोटानागपुर क्षेत्र से निकलने वाले जलस्रोत और वर्षो से बह रही नदियां अपना रास्ता बदलती रहती है और लोग उसी जगह जाकर बस जाते हैं. इस सर्वेक्षण में ऐसे भूखंड भी सामने आए हैं."



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pk के इस्तीफे की पेशकश पर नीतीश बोले- पार्टी में बने रहें, बिहार में नहीं लागू करेंगे NRC: सूत्र

नागरिकता संशोधन कानून पर पार्टी स्टैंड से विपरीत जाने वाले उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने जेडीयू से इस्तीफा देने की पेशकश की है. इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने उनसे पार्टी में रहने के लिए कहा है और भरोसा दिलाया है कि राज्य में एनआरसी नहीं लागू होगा.

नागरिकता संशोधन कानून पर पार्टी स्टैंड से विपरीत जाने वाले उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने जेडीयू से इस्तीफा देने की पेशकश की है. उन्होंने शनिवार को पटना में राज्य के सीएम और पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार से मिलकर इस्तीफा पेश किया। हालांकि, सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया है. सीएम नीतीश ने साथ ही प्रशांत को भरोसा दिलाया कि राज्य में NRC लागू नहीं होगा.

बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा!

सूत्रों के अनुसार प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार की बातचीत में एनआरसी का मामला भी उठा। किशोर की ओर से मामला उठाने पर नीतीश कुमार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बिहार में यह लागू नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार अगले कुछ दिनों में सार्वजनिक तौर पर इसका ऐलान भी कर सकते हैं. नीतीश कुमार का अब तक स्टैंड यही रहा है और पार्टी पूर्व में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध भी करती रही है.


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