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Encephalitis: बिहार में जानलेवा बीमारी है इंसेफेलाइटिस, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

इंसेफेलाइटिस यानी कि दिमागी बुखार के मामले गर्मी के दिनों में काफी बढ़ जाते हैं. इस बीमारी का संक्रमण मच्छर के काटने से होता है. इसके प्रति जागरूक करने के लिए साल 2014 से 22 फरवरी को वर्ल्ड इंसेफलाइटिस डे मनाया जा रहा है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर मिनट में दुनिया में एक व्यक्ति इससे संक्रमित होता है. यदि समय पर इलाज न हो तो मरीज की जान भी चली जाती है. बिहार में मुजफ्फरपुर के इलाके में हर साल इंसेफेलाइटिस के काफी मामले आते हैं और इलाज के लिए लेट से पहुंचने के कारण कई बार बच्चों की मौत भी हो जाती हैं.

इंसेफेलाइटिस
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Published : Feb 23, 2023, 8:36 AM IST

न्यूरोलॉजिस्ट संजीव कुमार

पटना: विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस (World Encephalitis Day) के मौके पर पटना के फोर्ड हॉस्पिटल में इंसेफेलाइटिस अवेयरनेस वीक कार्यक्रम की शुरुआत की गई. जहां न्यूरोलॉजिस्ट ने लोगों को इंसेफेलाइटिस के लक्षण और भयावहता के साथ-साथ बचाव के तरीके के बारे में भी जागरूक किया. प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजीव कुमार ने इस मौके पर बताया कि इंसेफेलाइटिस एक दिमागी बुखार है और यह एक प्रकार के मच्छर के काटने से होता है. उन इलाकों में अधिक मामले देखने को मिलते हैं, जहां गंदगी रहती है. यह गर्मी के मौसम शुरू होते ही इसके मामले मिलने लगते हैं और जब तक बरसात शुरू ना हो इंसेफेलाइटिस कंट्रोल नहीं होता. मुजफ्फरपुर का जिला काफी प्रोन जिला है और इस इलाके में बच्चे इस बीमारी से काफी प्रभावित होते हैं. यह एक वायरल बीमारी है.

ये भी पढ़ें: AES ने बिहार में दी दस्तक, पिछले एक दशक में 600 से अधिक बच्चों की जा चुकी है जान

इंसेफेलाइटिस के लक्षण और इलाज: न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि इंसेफेलाइटिस के शुरुआती लक्षण को जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि समय पर इसके लक्षण को पहचान लिया गया तो इसका इलाज संभव है. यदि समय पर इलाज नहीं मिला तो मरीज को विकलांगता और जान जाने का जोखिम बहुत अधिक रहता है. उन्होंने बताया कि इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में शुरू में तेज सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, तेज बुखार, उल्टी, दस्त और मानसिक रूप से तनाव की स्थिति महसूस होती है. उन्होंने कहा कि बच्चों और गुणों में इंसेफेलाइटिस के मामले अधिक मिलते हैं, क्योंकि इनका इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर रहता है लेकिन यंग एज के लोग भी यदि अपने खान-पान को सही नहीं रखे हैं और गंदगी में रह रहे हैं तो उन्हें भी इस बीमारी का पूरा खतरा रहता है.

"इंसेफेलाइटिस के मरीज को यदि समय पर इलाज न कराया जाए तो मरीज को दौरे पड़ने लगते हैं. आंखों में धुंधलापन छाने लगता है, इसलिए जरूरी है कि नजदीकी सदर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल या फिर ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल जहां इलाज की पूरी सुविधा है, वहां पर ले जाकर मरीज को एडमिट करें. समय पर सही ट्रीटमेंट मिले तो मरीज की जान बचाई जा सकती है"- डॉ. संजीव कुमार, न्यूरोलॉजिस्ट

मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस का कहर: संजीव कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर में बीते 10 वर्षों से इंसेफेलाइटिस के मामले बच्चों में गर्मी के दिनों में काफी सामने आते हैं. कई लोग मानते हैं कि स्थानीय लीची में कोई कीड़ा रहता है या अन्य कारण होते हैं, जिस वजह से मामले बढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि इन इलाकों के बच्चों को साफ सफाई के साथ रखें. इसके अलावा लोग अपने आसपास साफ-सफाई रखें, क्योंकि गंदगी में इंसेफेलाइटिस का मच्छर पनपता है. बच्चों को अत्यधिक कच्ची लीची नहीं खाने दें. बच्चों की बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए नियमित ओआरएस का घोल पिलाएं और पर्याप्त न्यूट्रिशन वाले डाइट बच्चों को दें. बच्चों को यदि पर्याप्त न्यूट्रीशन मिले और शरीर में पानी की कमी ना रहे तो हल्के फुल्के वायरल बीमारियों को शुरू में ही शरीर खत्म कर देता है अन्यथा वायरल बीमारी विकराल रूप लेने लगती है.

न्यूरोलॉजिस्ट संजीव कुमार

पटना: विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस (World Encephalitis Day) के मौके पर पटना के फोर्ड हॉस्पिटल में इंसेफेलाइटिस अवेयरनेस वीक कार्यक्रम की शुरुआत की गई. जहां न्यूरोलॉजिस्ट ने लोगों को इंसेफेलाइटिस के लक्षण और भयावहता के साथ-साथ बचाव के तरीके के बारे में भी जागरूक किया. प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजीव कुमार ने इस मौके पर बताया कि इंसेफेलाइटिस एक दिमागी बुखार है और यह एक प्रकार के मच्छर के काटने से होता है. उन इलाकों में अधिक मामले देखने को मिलते हैं, जहां गंदगी रहती है. यह गर्मी के मौसम शुरू होते ही इसके मामले मिलने लगते हैं और जब तक बरसात शुरू ना हो इंसेफेलाइटिस कंट्रोल नहीं होता. मुजफ्फरपुर का जिला काफी प्रोन जिला है और इस इलाके में बच्चे इस बीमारी से काफी प्रभावित होते हैं. यह एक वायरल बीमारी है.

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इंसेफेलाइटिस के लक्षण और इलाज: न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि इंसेफेलाइटिस के शुरुआती लक्षण को जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि समय पर इसके लक्षण को पहचान लिया गया तो इसका इलाज संभव है. यदि समय पर इलाज नहीं मिला तो मरीज को विकलांगता और जान जाने का जोखिम बहुत अधिक रहता है. उन्होंने बताया कि इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में शुरू में तेज सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, तेज बुखार, उल्टी, दस्त और मानसिक रूप से तनाव की स्थिति महसूस होती है. उन्होंने कहा कि बच्चों और गुणों में इंसेफेलाइटिस के मामले अधिक मिलते हैं, क्योंकि इनका इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर रहता है लेकिन यंग एज के लोग भी यदि अपने खान-पान को सही नहीं रखे हैं और गंदगी में रह रहे हैं तो उन्हें भी इस बीमारी का पूरा खतरा रहता है.

"इंसेफेलाइटिस के मरीज को यदि समय पर इलाज न कराया जाए तो मरीज को दौरे पड़ने लगते हैं. आंखों में धुंधलापन छाने लगता है, इसलिए जरूरी है कि नजदीकी सदर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल या फिर ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल जहां इलाज की पूरी सुविधा है, वहां पर ले जाकर मरीज को एडमिट करें. समय पर सही ट्रीटमेंट मिले तो मरीज की जान बचाई जा सकती है"- डॉ. संजीव कुमार, न्यूरोलॉजिस्ट

मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस का कहर: संजीव कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर में बीते 10 वर्षों से इंसेफेलाइटिस के मामले बच्चों में गर्मी के दिनों में काफी सामने आते हैं. कई लोग मानते हैं कि स्थानीय लीची में कोई कीड़ा रहता है या अन्य कारण होते हैं, जिस वजह से मामले बढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि इन इलाकों के बच्चों को साफ सफाई के साथ रखें. इसके अलावा लोग अपने आसपास साफ-सफाई रखें, क्योंकि गंदगी में इंसेफेलाइटिस का मच्छर पनपता है. बच्चों को अत्यधिक कच्ची लीची नहीं खाने दें. बच्चों की बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए नियमित ओआरएस का घोल पिलाएं और पर्याप्त न्यूट्रिशन वाले डाइट बच्चों को दें. बच्चों को यदि पर्याप्त न्यूट्रीशन मिले और शरीर में पानी की कमी ना रहे तो हल्के फुल्के वायरल बीमारियों को शुरू में ही शरीर खत्म कर देता है अन्यथा वायरल बीमारी विकराल रूप लेने लगती है.

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