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पीपा पुल चालू होने से नाविकों का रोजगार हुआ मंदा, सरकार से मदद की लगाई गुहार

नाविक बताते हैं कि लाखों रुपये की पूंजी लगाने के बाद वे नावों को खरीदते हैं. इसके बावजूद उनकी भूखे मरने की नौबत आ जाती है. वे बताते हैं कि सरकार ध्यान नहीं देती है. ऐसे में वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनको रोजगार मुहैया कराया जाए, ताकि उनका जीवनयापन हो सके.

employment of sailors is interrupted due to the commencement of the pipa bridge
गंगा नदी पर पीपा पुल
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Published : Dec 4, 2019, 12:10 PM IST

पटना: उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बने पीपा पुल चालू होने से गांधी सेतु का भार तो कम हो गया है, लेकिन नाविकों के पेट पर आफत आ गई है. पीपा पुल के चालू होने से लोग नाव छोड़कर पुल से ही गंगा को पार कर लेते हैं. जिससे नाविकों का रोजगार बंद हो गया है.

'पुल चालू होने से पेट पालना मुश्किल'
बरसात के बाद पीपा पुल को चालू कर दिया जाता है. तब तक नाविकों को अपना पेट पालना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा नाविकों को गंगा किनारे ही नाव के साथ रहना पड़ता है, क्योंकि नाव छोड़कर जाने से नाव चोरी होने का भी डर बना रहता है. हालांकि अनुमंडल और जिला प्रशासन ने दर्जनों नाविकों को परमिट निर्गत किया है. जिनके आदेश पर नाविक नाव चलाते हैं.

पीपा पुल चालू होने से नाविकों का रोजगार होता है बाधित

'रोजगार मुहैया कराए सरकार'
नाविक बताते हैं कि लाखों रुपये की पूंजी लगाने के बाद वे नावों को खरीदते हैं. इसके बावजूद उनकी भूखे मरने की नौबत आ जाती है. वे बताते हैं कि सरकार ध्यान नहीं देती है. ऐसे में वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनको रोजगार मुहैया कराया जाए, ताकि उनका जीवनयापन हो सके. बता दें कि राजधानी में प्रशासन ने लगभग तीन दर्जन नावों को परमिट कर रखा है, लेकिन पीपा पुल बन जाने के कारण लोग नाव छोड़कर पीपा पुल से ही गंगा नदी पार कर लेते हैं.

पटना: उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बने पीपा पुल चालू होने से गांधी सेतु का भार तो कम हो गया है, लेकिन नाविकों के पेट पर आफत आ गई है. पीपा पुल के चालू होने से लोग नाव छोड़कर पुल से ही गंगा को पार कर लेते हैं. जिससे नाविकों का रोजगार बंद हो गया है.

'पुल चालू होने से पेट पालना मुश्किल'
बरसात के बाद पीपा पुल को चालू कर दिया जाता है. तब तक नाविकों को अपना पेट पालना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा नाविकों को गंगा किनारे ही नाव के साथ रहना पड़ता है, क्योंकि नाव छोड़कर जाने से नाव चोरी होने का भी डर बना रहता है. हालांकि अनुमंडल और जिला प्रशासन ने दर्जनों नाविकों को परमिट निर्गत किया है. जिनके आदेश पर नाविक नाव चलाते हैं.

पीपा पुल चालू होने से नाविकों का रोजगार होता है बाधित

'रोजगार मुहैया कराए सरकार'
नाविक बताते हैं कि लाखों रुपये की पूंजी लगाने के बाद वे नावों को खरीदते हैं. इसके बावजूद उनकी भूखे मरने की नौबत आ जाती है. वे बताते हैं कि सरकार ध्यान नहीं देती है. ऐसे में वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनको रोजगार मुहैया कराया जाए, ताकि उनका जीवनयापन हो सके. बता दें कि राजधानी में प्रशासन ने लगभग तीन दर्जन नावों को परमिट कर रखा है, लेकिन पीपा पुल बन जाने के कारण लोग नाव छोड़कर पीपा पुल से ही गंगा नदी पार कर लेते हैं.

Intro:उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने बाला महात्मागाँधी के समानांतर बना पीपा पुल चालू होने से गाँधी सेतु पर प्रेसर तो कम हो गया,लेकिन नाविकों के पेट पर आफत हो गया।जिला व अनुमंडल प्रसाशन से निगर्त नाव का परमिट करीब दर्जनों नाविकों को है इस मात्र जीविका है लोगो को गंगा नाव से दोनों तरफ मंजिल तक पहुँचाकर दर्जनों नाविक अपना पेट पालते हैं।क्योंकि वरसात के दिनों में यही नाविक लोग अनुमंडल और जिला प्रसाशन के आदेश से नाव चलाते थे लेकिन जब गंगा पार पीपा पुल का निर्माण हुआ तो लोगो को पेट चलने तक आफत हो गया क्योंकि पीपा पुल अब वरसात के दिनों में ही खुलता है यानी आठ महीने लोगों पीपा पुल बनने के बाद नाव पीपा पुल के पार नही हो सकता।यानी आठ महीना इन नाविकों मो गंगा में ही नाव के साथ रहना पड़ेगा क्योंकि नाव छोङ कर जाने से नाव चोरी होने का डर रहता है।


Body:स्टोरी:-नाविकों का बुरा हाल।
रिपोर्ट:-पटनासिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-03-12-019.
एंकर:-पटनासिटी,लाखो रुपये पूंजी लगाने के बाद नाविकों को भूख मरने की नौबत आ गई है।नाविकों पर सरकार ध्यान नही देने के वजह से लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गये है।गौरतलब है कि महात्मा गाँधी सेतु के समांतर गंगा पार बना पीपा पुल बन जाने के बाद नाव इस पार से उस पार नही हो सकता उसके बाद पुल बन जाने के बाद लोग पुल से ही सुगम यातयात कर लेते है लोग नाव पर नही जाते है जबतक की वरसात नही आये।बरसात आने के बाद पीपा पुल खुल जाता है लोग गंगा पार करने का एक मात्र रास्ता नाव है जिसे जिला प्रसाशन व अनुमंडल प्रसाशन परमिट देती है।लगभग तीन दर्जन नाव का राजधानी पटना में परमिट है लेकिन पीपा पुल बन जाने के कारण नाव गंगा मव पीपा पुल पार नही कर सकता है अब आठ महीना नाविकों की स्तिथि काफी खराब हो जाती है,ईटीवी भारत की टीम जब गायघाट पहुँची तो नाविकों ने ईटीवी भारत से सरकार तक आवाज पहूचाने की आग्रह किया और बताया कि सरकार और प्रसाशन को बुरे बक्त में हम सभी नाविक गंगा पार यात्रियों को करवाते हैं लेकिन आठ महीने हमलोग क्या करे हमलोग बेरोजगार हो जाते है एक नाव बनाने में 12 से 15 लाख रुपये लगते है जिससे चार महीने कमाते हैं बाकी दिन वैठकर झख मारते हैं हम नाविकों को भी सरकार रोजगार मुहैया कराये ताकि हमलोगों का भी जीवन यापन हो सके।देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट-नाविकों का बुरा हाल।


Conclusion: वरसात में जब चारो और पानियो से भरा रहता है और पीपा पुल खुल जाते है तो आने जाने का एक मात्र सहारा नाव और नाविक होते है जो उस समय गंगा से इस पार से उस पार मंजिल तक पहुचाते है।उनदिनों में यही नाविक लोग अनुमंडल और जिला प्रसाशन के आदेश से नाव चलाते थे लेकिन जब गंगा पार पीपा पुल का निर्माण हुआ तो लोगो को पेट चलने तक आफत हो गया क्योंकि पीपा पुल अब वरसात के दिनों में ही खुलता है यानी आठ महीने लोगों पीपा पुल बनने के बाद नाव पीपा पुल के पार नही हो सकता।यानी आठ महीना इन नाविकों मो गंगा में ही नाव के साथ रहना पड़ेगा क्योंकि नाव छोङ कर जाने से नाव चोरी होने का डर रहता है।
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