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पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का प्रदर्शन, पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग - Patna University protest

पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की मांग (Patna University Employees Demand) है कि सरकार नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को पुनः बहाल करें. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो आने वाले दिनों में वे उग्र विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे. पढ़ें पूरी खबर..

Employees protest in Patna University
Employees protest in Patna University
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Published : Mar 30, 2022, 9:50 AM IST

पटना: बिहार राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार को आधे घंटे का विरोध प्रदर्शन (Employees Protest In Patna University) किया. जिसमें कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की एक ही मांग रही कि सरकार नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को पुनः बहाल करें. प्रदेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री और विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. नवल किशोर प्रसाद ने भी कर्मचारियों के इस मांग को अपना समर्थन दिया और समर्थन के लिए वह विश्वविद्यालय परिसर में भी मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें - बिहार विधानसभा में फिर उठा पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा, सरकार ने किया साफ- अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं

लंच के समय कर्मचारियों का प्रदर्शन: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महासचिव फरमान अब्बास ने बताया कि सभी कर्मचारियों की एक ही मांग है कि सरकार अविलंब नई पेंशन नीति को रद्द कर पुरानी पेंशन नीति को फिर से लागू करे. उन्होंने बताया कि उनकी विरोध प्रदर्शन से विश्वविद्यालय के कार्य में कोई बाधा नहीं आई है. लंच के समय में 1:30 से 2:00 तक सभी कर्मचारियों ने आकर विश्वविद्यालय में नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज किया है और सरकार से अपनी मांग की है कि अविलंब पुरानी पेंशन नीति को बहाल करें, अन्यथा आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र विरोध प्रदर्शन करने को विवश होंगे.

पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग: वहीं, पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि सभी कर्मचारी संकेतिक रूप से आज के दिन नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज करा रहे हैं. साथ ही सरकार को बता रहे हैं कि अगर उनकी मांगे नहीं सुनी गई तो आगे आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे. नई पेंशन नीति से कर्मचारियों को बहुत नुकसान हो रहा है, कर्मचारियों के रिटायर करने, उनकी मृत्यु होने पर कोई सुनने वाला नहीं है. इसलिए सभी कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू हो.

नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां हैं. यह पेंशन नीति कर्मचारी विरोधी है. नई पेंशन नीति की सबसे बड़ी खामी है कि एक लंबी अवधि तक सेवा करने के बाद जो फाइनेंशियल सिक्योरिटी कर्मचारी को मिलनी चाहिए वह नहीं मिलती है. सरकार इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं देती है और यह पूर्णतः एलआईसी और अन्य फाइनेंसियल एजेंसी के ग्रोथ पर पेंशन निर्भर है और इसमें कोई निश्चित राशि का प्रावधान नहीं है.

पटना विश्वविद्यालय में नई स्कीम भी ढंग से लागू नहीं: अर्थशास्त्री डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम अधिक कारगर है और यह सामाजिक सुरक्षा का एक बेहतर कारगर उपाय है. यही वजह है कि जितने भी शिक्षक हैं और कर्मचारी हैं सभी पुरानी पेंशन स्कीम चाहते हैं लेकिन सरकार यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना नहीं चाहती है. यही वजह है कि पहले केंद्र ने पुरानी पेंशन स्कीम को नई पेंशन स्कीम से रिप्लेस किया और फिर 2005 में पटना विश्वविद्यालय में भी नई पेंशन स्कीम लागू की गई. दुख की बात यह है कि पटना विश्वविद्यालय में नई स्कीम भी ढंग से लागू नहीं हो पाई है. जिसके परिणाम होता है कि कर्मचारी रिटायर करने के बाद बिना पेंशन के अपने आर्थिक और सामाजिक जीवन को सपोर्ट नहीं कर पाते हैं और यह अत्यंत दुखद है.

रिटायरमेंट के बाद परिवार चलाना मुश्किल: डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि यह दुखद इसलिए भी और अधिक है क्योंकि प्रदेश में रोजगार के अवसर भी कम है, परिवार में भी मुश्किल से एक या दो व्यक्ति को रोजगार मिल पाता है. ऐसी स्थिति में यदि एक बेहतर पेंशन स्कीम नहीं होने की वजह से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. पेंशन स्कीम कोई वरदान नहीं है यह कर्मचारियों का हक है. एक निश्चित अवधि तक सरकारी सेवा देने के बाद कर्मचारियों को यह है कि बुढ़ापे में उन्हें रिटायरमेंट के बाद एक सम्मानजनक राशि पेंशन के रूप में प्राप्त होता कि वह सामाजिक और आर्थिक जीवन अच्छे से जी सके.

'कर्मचारियों की मांग जायज': अर्थशास्त्री डॉ. चौधरी ने कहा कि कर्मचारियों की मांगें जायज हैं और वह कर्मचारियों के इन मांगों का शुरू से समर्थन करते रहे हैं. इसी कड़ी में कर्मचारियों की नई पेंशन स्कीम को लेकर के आयोजित विरोध प्रदर्शन में अपना समर्थन देने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह आशा करेंगे कि विश्वविद्यालय प्रबंधन और बिहार सरकार कर्मचारियों के हित में फैसला लेगी और कर्मचारियों को उग्र विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा और पुरानी पेंशन नीति को फिर से बहाल की जाएगी.

यह भी पढ़ें - बिहार विधानसभा के बाहर RJD विधायकों का प्रदर्शन, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की रखी मांग

यह भी पढ़ें - बिहार में पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर सियासत: विपक्ष इसे लागू करने की कर रहा मांग

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पटना: बिहार राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार को आधे घंटे का विरोध प्रदर्शन (Employees Protest In Patna University) किया. जिसमें कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की एक ही मांग रही कि सरकार नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को पुनः बहाल करें. प्रदेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री और विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. नवल किशोर प्रसाद ने भी कर्मचारियों के इस मांग को अपना समर्थन दिया और समर्थन के लिए वह विश्वविद्यालय परिसर में भी मौजूद रहे.

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लंच के समय कर्मचारियों का प्रदर्शन: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महासचिव फरमान अब्बास ने बताया कि सभी कर्मचारियों की एक ही मांग है कि सरकार अविलंब नई पेंशन नीति को रद्द कर पुरानी पेंशन नीति को फिर से लागू करे. उन्होंने बताया कि उनकी विरोध प्रदर्शन से विश्वविद्यालय के कार्य में कोई बाधा नहीं आई है. लंच के समय में 1:30 से 2:00 तक सभी कर्मचारियों ने आकर विश्वविद्यालय में नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज किया है और सरकार से अपनी मांग की है कि अविलंब पुरानी पेंशन नीति को बहाल करें, अन्यथा आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र विरोध प्रदर्शन करने को विवश होंगे.

पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग: वहीं, पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि सभी कर्मचारी संकेतिक रूप से आज के दिन नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज करा रहे हैं. साथ ही सरकार को बता रहे हैं कि अगर उनकी मांगे नहीं सुनी गई तो आगे आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे. नई पेंशन नीति से कर्मचारियों को बहुत नुकसान हो रहा है, कर्मचारियों के रिटायर करने, उनकी मृत्यु होने पर कोई सुनने वाला नहीं है. इसलिए सभी कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू हो.

नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां हैं. यह पेंशन नीति कर्मचारी विरोधी है. नई पेंशन नीति की सबसे बड़ी खामी है कि एक लंबी अवधि तक सेवा करने के बाद जो फाइनेंशियल सिक्योरिटी कर्मचारी को मिलनी चाहिए वह नहीं मिलती है. सरकार इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं देती है और यह पूर्णतः एलआईसी और अन्य फाइनेंसियल एजेंसी के ग्रोथ पर पेंशन निर्भर है और इसमें कोई निश्चित राशि का प्रावधान नहीं है.

पटना विश्वविद्यालय में नई स्कीम भी ढंग से लागू नहीं: अर्थशास्त्री डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम अधिक कारगर है और यह सामाजिक सुरक्षा का एक बेहतर कारगर उपाय है. यही वजह है कि जितने भी शिक्षक हैं और कर्मचारी हैं सभी पुरानी पेंशन स्कीम चाहते हैं लेकिन सरकार यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना नहीं चाहती है. यही वजह है कि पहले केंद्र ने पुरानी पेंशन स्कीम को नई पेंशन स्कीम से रिप्लेस किया और फिर 2005 में पटना विश्वविद्यालय में भी नई पेंशन स्कीम लागू की गई. दुख की बात यह है कि पटना विश्वविद्यालय में नई स्कीम भी ढंग से लागू नहीं हो पाई है. जिसके परिणाम होता है कि कर्मचारी रिटायर करने के बाद बिना पेंशन के अपने आर्थिक और सामाजिक जीवन को सपोर्ट नहीं कर पाते हैं और यह अत्यंत दुखद है.

रिटायरमेंट के बाद परिवार चलाना मुश्किल: डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि यह दुखद इसलिए भी और अधिक है क्योंकि प्रदेश में रोजगार के अवसर भी कम है, परिवार में भी मुश्किल से एक या दो व्यक्ति को रोजगार मिल पाता है. ऐसी स्थिति में यदि एक बेहतर पेंशन स्कीम नहीं होने की वजह से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. पेंशन स्कीम कोई वरदान नहीं है यह कर्मचारियों का हक है. एक निश्चित अवधि तक सरकारी सेवा देने के बाद कर्मचारियों को यह है कि बुढ़ापे में उन्हें रिटायरमेंट के बाद एक सम्मानजनक राशि पेंशन के रूप में प्राप्त होता कि वह सामाजिक और आर्थिक जीवन अच्छे से जी सके.

'कर्मचारियों की मांग जायज': अर्थशास्त्री डॉ. चौधरी ने कहा कि कर्मचारियों की मांगें जायज हैं और वह कर्मचारियों के इन मांगों का शुरू से समर्थन करते रहे हैं. इसी कड़ी में कर्मचारियों की नई पेंशन स्कीम को लेकर के आयोजित विरोध प्रदर्शन में अपना समर्थन देने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह आशा करेंगे कि विश्वविद्यालय प्रबंधन और बिहार सरकार कर्मचारियों के हित में फैसला लेगी और कर्मचारियों को उग्र विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा और पुरानी पेंशन नीति को फिर से बहाल की जाएगी.

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