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पटना: इलेक्ट्रो होम्योपैथी पर कार्यशाला, बोले डॉक्टर- चिकित्सा पद्धति में कैंसर, किडनी फेल्योर का इलाज संभव - Electro Homeopathic Karyashala

राजधानी पटना के कालिदास रंगालय में ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होम्योपैथी (Electro Homeopathic Karyashala) मेडिकल एसोसिएशन की साइंटिफिक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें बताया गया कि इस चिकित्सा पद्धति में गंभीर बीमारियों का आसानी से इलाज संभव है. पढ़ें पूरी खबर...

इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन का साइंटिफिक वर्कशॉप
इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन का साइंटिफिक वर्कशॉप
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Published : Dec 18, 2021, 3:50 PM IST

पटना : राजधानी पटना स्थित कालिदास रंगालय में ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होम्योपैथी (Electro Homeopathic Association) मेडिकल एसोसिएशन की साइंटिफिक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें देशभर से इस चिकित्सा पद्धति से जुड़े 250 से अधिक चिकित्सक शामिल हुए. वर्कशॉप में लोगों को बताया गया कि इस चिकित्सा पद्धति में 114 प्रकार के पौधों से निकलने वाले रस से दवाइयां तैयार ( Electro Homeopathic Medicine ) की जाती है. इस चिकित्सा पद्धति कैंसर और किडनी फेल्योर जैसे गंभीर रोगों के निदान में भी पूरी तरह सक्षम है. बताते चलें कि इस चिकित्सा पद्धति को राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त है. केंद्र सरकार इसे मान्यता देने के लिए प्रक्रियाधीन है.

ये भी पढ़ें : पटना: CM हाउस के नाम पर नौकरी दिलाने वाला ठग गिरफ्तार, DGP, SP, और IGIMS का स्टाम्प बरामद
ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सीवी प्रभाकर ने बताया कि, इलेक्ट्रो होम्योपैथी उच्च कोटि की चिकित्सा पद्धति है.देशभर में लोग अभी इस चिकित्सा पद्धति से अनजान है. इस चिकित्सा पद्धति ने सभी गंभीर रोगों का निदान है. उन्होंने कहा कि शरीर में रस और रक्त यदि खराब नहीं होता तो कोई बीमारी नहीं होती है. ऐसे में यह चिकित्सा पद्धति रस और रक्त के सिद्धांत पर काम करती है. उसी आधार पर दवाइयां दी जाती हैं.

देखें वीडियो

'शरीर पंचभूत से बना है. पौधों में पंचभूत पाये जाते हैं, इसलिए इस चिकित्सा पद्धति में सिर्फ पौधों के रस से दवाइयां तैयार की जाती हैं. किसी प्रकार का कोई केमिकल यूज़ नहीं किया जाता है. कई डायलिसिस के मरीजों को इस चिकित्सा पद्धति से इलाज किया गया है. कई लोग ठीक भी हो चुके हैं.' :- डॉ. सीवी प्रभाकर, ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष

वहीं, एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉक्टर मनीष प्रभाकर ने बताया कि इस चिकित्सा पद्धति में 114 प्रकार के पौधों के रस का प्रयोग किया जाता है. इसी से दवाइयां निर्मित की जाती है. यह चिकित्सा पद्धति सभी गंभीर रोगों के इलाज करने में सक्षम है. उन्होंने बताया कि इस चिकित्सा पद्धति के जो डॉक्टर होते हैं. वे BEMS / MBEH की 5 वर्ष की डिग्री कोर्स करने के बाद ही डॉक्टर बनते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता दे दी है. सरकारी स्तर पर भी इसकी पढ़ाई होती है, लेकिन प्रदेश में अभी प्राइवेट स्तर पर ही इसकी पढ़ाई होती है.

'केंद्र सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई को मान्यता देने के लिए उन लोगों से जो भी डिमांड रखे थे. जिसमें से लगभग 90% प्रक्रिया को पूरा कर दिया गया है, बाकी भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. राज्य सरकार से भी डिमांड करेंगे कि इस पढ़ाई को प्रदेश में मान्यता दी जाए. यह चिकित्सा पद्धति मूल रूप से इटली की चिकित्सा पद्धति है. इस चिकित्सा पद्धति के सिलेबस को एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर सीडी मिश्रा प्रभाकर ने 1972 में हिंदुस्तान में और बिहार में लांच किया था.' :- डॉ. मनीष प्रभाकर, होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी

ये भी पढ़ेंः पटना के भ्रष्ट इंजीनियर के ठिकाने पर विजिलेंस की रेड, नोटों की गड्डियां देख अधिकारी दंग, गिनती जारी...

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पटना : राजधानी पटना स्थित कालिदास रंगालय में ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होम्योपैथी (Electro Homeopathic Association) मेडिकल एसोसिएशन की साइंटिफिक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें देशभर से इस चिकित्सा पद्धति से जुड़े 250 से अधिक चिकित्सक शामिल हुए. वर्कशॉप में लोगों को बताया गया कि इस चिकित्सा पद्धति में 114 प्रकार के पौधों से निकलने वाले रस से दवाइयां तैयार ( Electro Homeopathic Medicine ) की जाती है. इस चिकित्सा पद्धति कैंसर और किडनी फेल्योर जैसे गंभीर रोगों के निदान में भी पूरी तरह सक्षम है. बताते चलें कि इस चिकित्सा पद्धति को राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त है. केंद्र सरकार इसे मान्यता देने के लिए प्रक्रियाधीन है.

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ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सीवी प्रभाकर ने बताया कि, इलेक्ट्रो होम्योपैथी उच्च कोटि की चिकित्सा पद्धति है.देशभर में लोग अभी इस चिकित्सा पद्धति से अनजान है. इस चिकित्सा पद्धति ने सभी गंभीर रोगों का निदान है. उन्होंने कहा कि शरीर में रस और रक्त यदि खराब नहीं होता तो कोई बीमारी नहीं होती है. ऐसे में यह चिकित्सा पद्धति रस और रक्त के सिद्धांत पर काम करती है. उसी आधार पर दवाइयां दी जाती हैं.

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'शरीर पंचभूत से बना है. पौधों में पंचभूत पाये जाते हैं, इसलिए इस चिकित्सा पद्धति में सिर्फ पौधों के रस से दवाइयां तैयार की जाती हैं. किसी प्रकार का कोई केमिकल यूज़ नहीं किया जाता है. कई डायलिसिस के मरीजों को इस चिकित्सा पद्धति से इलाज किया गया है. कई लोग ठीक भी हो चुके हैं.' :- डॉ. सीवी प्रभाकर, ऑल इंडिया इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष

वहीं, एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉक्टर मनीष प्रभाकर ने बताया कि इस चिकित्सा पद्धति में 114 प्रकार के पौधों के रस का प्रयोग किया जाता है. इसी से दवाइयां निर्मित की जाती है. यह चिकित्सा पद्धति सभी गंभीर रोगों के इलाज करने में सक्षम है. उन्होंने बताया कि इस चिकित्सा पद्धति के जो डॉक्टर होते हैं. वे BEMS / MBEH की 5 वर्ष की डिग्री कोर्स करने के बाद ही डॉक्टर बनते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता दे दी है. सरकारी स्तर पर भी इसकी पढ़ाई होती है, लेकिन प्रदेश में अभी प्राइवेट स्तर पर ही इसकी पढ़ाई होती है.

'केंद्र सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई को मान्यता देने के लिए उन लोगों से जो भी डिमांड रखे थे. जिसमें से लगभग 90% प्रक्रिया को पूरा कर दिया गया है, बाकी भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. राज्य सरकार से भी डिमांड करेंगे कि इस पढ़ाई को प्रदेश में मान्यता दी जाए. यह चिकित्सा पद्धति मूल रूप से इटली की चिकित्सा पद्धति है. इस चिकित्सा पद्धति के सिलेबस को एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर सीडी मिश्रा प्रभाकर ने 1972 में हिंदुस्तान में और बिहार में लांच किया था.' :- डॉ. मनीष प्रभाकर, होमियोपैथी मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी

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