पटनाः लोजपा (LJP) अब दो भागों में बंट चुकी है. एक है चिराग गुट (Chirag Paswan) और दूसरा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Paras) गुट. 6 में से पांच सांसदों को साथ लेकर पशुपति पारस लोजपा (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे हैं. वहीं चिराग गुट इसे असंवैधानिक करार दे रहा है. पार्टी और पद को चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) के द्वारा हथिया लेने के बाद भी चिराग पासवान के सामने कुछ विकल्प बचे हैं.
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चाचा की राह पर चलेंगे चिराग
कल यानि 17 जून को पटना में सूरभान सिंह (Surajbhan Singh) के आवास पर जिस प्रक्रिया के तहत पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष ( National President ) चुना गया है, चिराग भी अब वही रास्ता अपनाएंगे. आगामी 20 जून को दिल्ली में चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है.
राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ. संजय कुमार ( Dr. Sanjay Kumar ) कहते हैं कि कार्यकारिणी की बैठक में चिराग को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय कार्यकारी सदस्य द्वारा लिया जाएगा.
बहुमत से होगा फैसला
लोजपा में कुल कार्यकारिणी सदस्यों की संख्या 78 है. दोनों गुट अपने पास बहुमत होने का दावा कर रहे हैं. चिराग पासवान कार्यकारिणी की बैठक के बाद चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएंगे. साथ ही बैठक का हवाला देते हुए अपने पास बहुमत होने का दावा पेश करेंगे. जिस गुट के पास सदस्यों का बहुमत होगा, बंगला पर हक उसका ही होगा. फिलहाल तो दोनों ही गुट पार्टी पर अपना हक जता रहे हैं.
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चिराग कर चुके हैं बहुमत का दावा
पशुपति पारस के द्वारा पार्टी हाईजैक करने के बाद चिराग पासवान ने दो दिन पहले वीडियो कंफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी. जिसके बाद उन्होंने इस बैठक में 50 से अधिक सदस्यों के शामिल होने का दावा किया था.
जल्द ही पटना पहुंचेंगे चिराग
लोजपा में जारी घमासान के बीच अंदरखाने से खबर है कि चिराग पासवान अगले 3-4 दिनों के भीतर पटना पहुंचेंगे. यहां पहुंचकर प्रदेश और जिलास्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं चिराग?
लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने के फैसले पर मुहर लगाने को भी चिराग गुट गलत बता रहा है. चिराग गुट का कहना है कि इसका फैसला करने का लोकसभा स्पीकर को कोई अधिकार नहीं है. गलत निर्णय लिए जाने के कारण चिराग सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
राजनीतिक जानकार डॉ संजय कुमार की माने तो चिराग को सुप्रीम कोर्ट जाने की नौबत नहीं आएगी. पार्टी और पार्टी के अध्यक्ष का फैसला चुनाव आयोग ही कर देगा.
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किसका पक्ष मजबूत?
चिराग और पशुपति के गुट के बीच जारी घमासान के बीच सबसे बड़ा सवाल अब ये उठ रहा है कि आखिर दोनों पक्षों में किसका पक्ष मजबूत है? सवाल ये भी है कि पार्टी का असली हकदार बताने वाले पशुपति पारस गुट को लोकसभा स्पीकर के पास जाकर अलग दल बनाकर बैठने की इजाजत क्यों लेनी पड़ी ? अगर पारस का पार्टी पर पूर्णतः अधिकार होता तो वे सीधे चिराग पासवान को पार्टी से निकालकर अपना दावा पेश कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन सब के बीच निगाहें अब चुनाव आयोग पर टिकी हुई है कि बंगले का हकदार कौन है?
सूरजभान के आवास पर पारस बने राष्ट्रीय अध्यक्ष
गुरुवार को पूर्व सांसद सूरभान सिंह के पटना स्थित आवास पर सांसद पशुपति पारस (Pashupati Paras) को एलजेपी (Lok Janshakti Party) का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्विरोध चुन लिया गया. चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) की निगरानी में हुए चुनाव में वे निर्विरोध चुने गए. हालांकि, पारस का अध्यक्ष बनना पहले से ही तय माना जा रहा था. क्योंकि चिराग पासवान (Chirag Paswan) गुट का कोई सदस्य इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ था.
निर्विरोध निर्वाचन के लिए पशुपति पारस ने सभी नेताओं का आभार जताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि दल को आगे ले जाएं और रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करें. मेरी पूरी कोशिश होगी कि पार्टी को देश के तमाम राज्यों में विस्तार दूं.
प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव की प्रक्रिया पार्टी कार्यालय में न होकर एलजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव प्रभारी सूरज भान सिंह के निजी आवास पर होने जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि पारस गुट चुनावी प्रक्रिया पार्टी कार्यालय के बजाय किसी के निजी आवास पर क्यों करा रहा है. गौरतलब है कि सूरज भान सिंह का निजी आवास कंकड़ाबाग स्थित टीवी टावर के पास है.
चिराग के द्वारा सांसदों के निलंबन पर पारस ने उठाए थे सवाल
चिराग पासवान के द्वारा बागी पांचों सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद पशुपति पारस ( Pashupati Parsa ) ने सवाल उठाए थे. पारस का कहना कि चिराग ने किस हैसियत से उन्हें और सांसदों को पार्टी से निकाला है? पारस का कहना है कि चिराग को पहले नियम की जानकारी होनी चाहिए. उनका दावा है कि उनको पार्टी से निकालने का अधिकार नहीं है.
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