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बिहार के पर्यटन उद्योग को उबारने की हो रही कोशिश, मेडिकल टूरिज्म पर विशेष जोर - बिहार के पर्यटन उद्योग पर कोरोना का असर

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से पिछले डेढ़ साल से पर्यटन उद्योग लगभग बंद है. टूरिज्म सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए बिहार के नए पर्यटन स्थलों के प्रचार प्रसार पर जोर दिया जा रहा है ताकि टूरिज्म सेक्टर पर लगी पाबंदी हटने के बाद लोगों को बिहार आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

y neelakantham
केंद्रीय पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय वाई नीलकंठमदेशक
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Published : Jul 22, 2021, 4:23 PM IST

पटना: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से पिछले डेढ़ साल से पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) लगभग बंद है. इसके चलते पर्यटन उद्योग से जुड़े बिहार के लोग परेशान हैं. केंद्रीय पर्यटन विभाग से जुड़े अधिकारी इस कोशिश में हैं कि बिहार के नए और पुराने पर्यटन स्थलों (Tourist Places of Bihar) के जरिए टूरिज्म सेक्टर को पुनर्जीवित किया जाए. इसके लिए टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है.

यह भी पढ़ें- कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी पर पटना हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा ब्यौरा

बिहार की टूरिज्म इंडस्ट्री कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बंद पड़ी है. नवंबर-दिसंबर में कुछ दिनों के लिए पर्यटन स्थल खोले गए थे, लेकिन एक बार फिर अप्रैल महीने से तमाम पर्यटन स्थल बंद हैं. अगले कुछ महीने तक इनके खुलने की संभावना कम नजर आ रही है. इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हैं. टूर एंड ट्रेवल्स एसोसिएशन से जुड़े व्यवसायी हताश हैं.

देखें रिपोर्ट

केंद्रीय पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक वाई नीलकंठम के साथ टूर एंड ट्रैवल एसोसिएशन के लोगों की बैठक हुई है. इसमें नए पर्यटन केंद्र विकसित करने और पुराने पर्यटन केंद्र के साथ विभिन्न तरह के पैकेज तैयार कर घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना तैयार हुई है. इस बारे में क्षेत्रीय निदेशक वाई नीलकंठम ने कहा, "कोरोना ने इस इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. हमारी कोशिश है कि घरेलू पर्यटन और विशेष रूप से मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार के विभिन्न ट्रैवल ऑपरेटर के साथ मिलकर अलग-अलग पैकेज तैयार किए जाएं ताकि बिहार के बाहर अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों को यहां के पर्यटन स्थलों की जानकारी मिले और वे यहां घूमने आएं."

"राजगीर, बोधगया और नालंदा तो पहले से ही काफी मशहूर हैं. पटना के गंगा रिवर फ्रंट से लेकर जहानाबाद के बराबर की गुफाएं और वाल्मीकि नगर जैसे नए पर्यटन स्थलों के बारे में लोगों को बताना है. इन्हें पॉपुलर बनाकर इनके जरिए डोमेस्टिक टूरिस्ट की संख्या बढ़ाई जा सकती है. बिहार में मेडिकल टूरिज्म भी एक बेहतर मौका है. अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में कम खर्च में इलाज संभव है."- वाई नीलकंठम, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय पर्यटन विभाग

"बिहार में 700 से 800 करोड़ रुपये की टूरिज्म इंडस्ट्री पूरी तरह ठप पड़ी है. इस इंडस्ट्री से जुड़े छोटे व्यवसायी से लेकर बड़े ऑपरेटर तक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि सरकार की तरफ से मदद मिले. यह भी जरूरी है कि हम अलग-अलग पैकेज तैयार करें ताकि जैसे ही यह इंडस्ट्री खुले तो लोग बिहार घूमने के लिए बड़ी संख्या में आएं. हम बिहार सरकार के अधिकारियों से मिलकर तमाम प्रपोजल रखेंगे. सरकार से टैक्स में छूट देने की मांग करेंगे."- सुशील कुमार सिंह, चेयरमैन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स बिहार झारखंड

यह भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर तेजस्वी- 'कुत्ता-बिल्ली की गिनती हो सकती है तो OBC की क्यों नहीं'

पटना: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से पिछले डेढ़ साल से पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) लगभग बंद है. इसके चलते पर्यटन उद्योग से जुड़े बिहार के लोग परेशान हैं. केंद्रीय पर्यटन विभाग से जुड़े अधिकारी इस कोशिश में हैं कि बिहार के नए और पुराने पर्यटन स्थलों (Tourist Places of Bihar) के जरिए टूरिज्म सेक्टर को पुनर्जीवित किया जाए. इसके लिए टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है.

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बिहार की टूरिज्म इंडस्ट्री कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बंद पड़ी है. नवंबर-दिसंबर में कुछ दिनों के लिए पर्यटन स्थल खोले गए थे, लेकिन एक बार फिर अप्रैल महीने से तमाम पर्यटन स्थल बंद हैं. अगले कुछ महीने तक इनके खुलने की संभावना कम नजर आ रही है. इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हैं. टूर एंड ट्रेवल्स एसोसिएशन से जुड़े व्यवसायी हताश हैं.

देखें रिपोर्ट

केंद्रीय पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक वाई नीलकंठम के साथ टूर एंड ट्रैवल एसोसिएशन के लोगों की बैठक हुई है. इसमें नए पर्यटन केंद्र विकसित करने और पुराने पर्यटन केंद्र के साथ विभिन्न तरह के पैकेज तैयार कर घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना तैयार हुई है. इस बारे में क्षेत्रीय निदेशक वाई नीलकंठम ने कहा, "कोरोना ने इस इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. हमारी कोशिश है कि घरेलू पर्यटन और विशेष रूप से मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार के विभिन्न ट्रैवल ऑपरेटर के साथ मिलकर अलग-अलग पैकेज तैयार किए जाएं ताकि बिहार के बाहर अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों को यहां के पर्यटन स्थलों की जानकारी मिले और वे यहां घूमने आएं."

"राजगीर, बोधगया और नालंदा तो पहले से ही काफी मशहूर हैं. पटना के गंगा रिवर फ्रंट से लेकर जहानाबाद के बराबर की गुफाएं और वाल्मीकि नगर जैसे नए पर्यटन स्थलों के बारे में लोगों को बताना है. इन्हें पॉपुलर बनाकर इनके जरिए डोमेस्टिक टूरिस्ट की संख्या बढ़ाई जा सकती है. बिहार में मेडिकल टूरिज्म भी एक बेहतर मौका है. अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में कम खर्च में इलाज संभव है."- वाई नीलकंठम, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय पर्यटन विभाग

"बिहार में 700 से 800 करोड़ रुपये की टूरिज्म इंडस्ट्री पूरी तरह ठप पड़ी है. इस इंडस्ट्री से जुड़े छोटे व्यवसायी से लेकर बड़े ऑपरेटर तक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि सरकार की तरफ से मदद मिले. यह भी जरूरी है कि हम अलग-अलग पैकेज तैयार करें ताकि जैसे ही यह इंडस्ट्री खुले तो लोग बिहार घूमने के लिए बड़ी संख्या में आएं. हम बिहार सरकार के अधिकारियों से मिलकर तमाम प्रपोजल रखेंगे. सरकार से टैक्स में छूट देने की मांग करेंगे."- सुशील कुमार सिंह, चेयरमैन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स बिहार झारखंड

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