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ट्रेड यूनियन की राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल, एक्सपर्ट बोले- 'बिहार को होगा करोड़ों का नुकसान' - etv bharat

12 सूत्री मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन की राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल (Trade Unions Nationwide Strike) चल रही है. विशेषज्ञों का दावा है कि देश भर में 2 दिन में 25000 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा और बिहार में 1000 करोड़ का नुकसान होगा. इसके अलावा देश में एक्सपोर्ट और इंपोर्ट प्रभावित होने का इनफेक्ट सभी प्रदेश को आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे. साथ ही एटीएम में भी कैश की किल्लत रहेगी. पढ़ें पूरी खबर..

ट्रेड यूनियन की हड़ताल
ट्रेड यूनियन की हड़ताल
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Published : Mar 28, 2022, 9:56 PM IST

पटना: निजीकरण के विरोध और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने समेत 12 सूत्री मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन द्वारा राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल (All India Trade Union strike in patna) जारी है. इस हड़ताल में कुछ बैंकों को छोड़कर सभी बैंक और बीमा क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं. ऐसे में इस हड़ताल पर अर्थशास्त्र और उद्योग जगत से जुड़े हुए विशेषज्ञों का दावा है कि देश भर में 2 दिन में 25000 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा और बिहार में 1000 करोड़ का नुकसान होगा.

ये भी पढ़ें- पटना में LIC कर्मियों ने किया हड़ताल, सरकार से IPO वापस लेने की मांग

हड़ताल से एक्सपोर्ट इंपोर्ट प्रभावित: ट्रेड यूनियन की हड़ताल से एक्सपोर्ट इंपोर्ट प्रभावित होने से आने वाले कई दिनों तक इसका असर देखने को मिलेगा. देश में एक्सपोर्ट और इंपोर्ट प्रभावित होने का इफेक्ट (Export and import affected in India) सभी प्रदेश को आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे. बैंकिंग सेवाएं बंद रहने की वजह से रिटेलर के पास कैश का बहुत स्टॉक हो जाएगा, जबकि आम लोगों के पास कैश की किल्लत हो जाएगी. एटीएम में भी कैश की किल्लत रहेगी.

''किसी भी प्रकार के हड़ताल का इंपेक्ट देश और प्रदेश पर बुरा पड़ता है. इस दो दिवसीय हड़ताल से देश को 25 हजार करोड़ का नुकसान होगा और आने वाले दिनों में यह नुकसान और मल्टीपल होगा. यह लाखों करोड़ में तब्दील हो सकता है. इस हड़ताल का दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव होगा कि एक्सपोर्ट और इंपोर्ट कुछ समय के लिए रुक जाएंगे. इससे प्रोडक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. बिहार जैसे राज्य की बात करें तो प्रदेश में 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की संभावना है.''- विद्यार्थी विकास इकोनॉमिक एक्सपर्ट

'दो दिवसीय हड़ताल हुई 4 दिन की': वहीं, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सेक्रेटरी अमित मुखर्जी ने बताया कि यह दो दिवसीय हड़ताल 4 दिन का हो जा रहा है, क्योंकि 26 तारीख को फोर्थ सेटरडे होने की वजह से बैंकिंग सेवाएं बंद रहीं. वहीं, 27 तारीख को रविवार होने की वजह से सार्वजनिक अवकाश रहा. अब 28 और 29 मार्च को हड़ताल की वजह से बैंक बंद हैं. बैंकों के बंद होने की वजह से जो उद्योगपति, ट्रेडर और रिटेलर हैं उनकी समस्याएं अधिक बढ़ गई हैं. रिटेलर और जो बिजनेसमैन कैश में बिजनेस करते हैं. उनके पास 2 दिन में कैश का बहुत अधिक स्टॉक हो जाएगा और इतना अधिक कैश का स्टॉक रखना भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है.

''बैंक बंद होने की वजह से एटीएम में कैश की किल्लत हो जाएगी और अकस्मात स्थिति में भी व्यक्ति बैंक में पैसे होने के बावजूद पैसा नहीं निकाल पाएगा. ट्रेड यूनियन की मांगे जायज है, लेकिन किसी भी प्रकार के मामलों में हड़ताल कोई समाधान नहीं है. बैठकर टेबल पर अधिकारियों से बातचीत करनी चाहिए. बातचीत के माध्यम से ही मसले का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि बातचीत से ही मसला का समाधान होता है.''- अमित मुखर्जी, सेक्रेटरी, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स

'अरबों के ट्रांजेक्शन होंगे प्रभावित': अमित मुखर्जी ने कहा कि वित्तीय साल के अंत का महीना चल रहा है और इस समय में बैंकिंग सेवाएं बंद होने की वजह से अरबों के ट्रांजेक्शन प्रभावित होंगे. सरकार का पेमेंट सिस्टम रुक जाएगा. जो कंस्ट्रक्शन और अन्य क्षेत्र में कंपनियां काम कर रही हैं वह अपना फंड इन कैश नहीं करा पाएंगे और इकोनॉमिक ईयर एंड में बजट नहीं मैच हो पाएगा, जिस वजह से प्रदेश की आर्थिक समस्याएं बढ़ जाएंगी.

जब बैंक खुलेंगे तब बढ़ेगा लोड: इसके अलावा 30 और 31 मार्च को जब बैंक खुलेंगे तो उस समय बैंक पर बहुत अधिक लोड बढ़ जाएगा और कर्मचारियों को इस बड़े हुए लोड का सामना करना पड़ेगा और यह उन्हें मानसिक रूप से काफी तनाव में डालने वाला पल होगा, क्योंकि फाइनेंशियल ईयर खत्म हो रहा होता है और 2 दिन पहले बंद की वजह से वर्क लोड अधिक बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि वह ट्रेड यूनियन से अपील करेंगे कि हड़ताल के बजाय सरकार से वार्ता की कोशिश करें.

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पटना: निजीकरण के विरोध और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने समेत 12 सूत्री मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन द्वारा राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल (All India Trade Union strike in patna) जारी है. इस हड़ताल में कुछ बैंकों को छोड़कर सभी बैंक और बीमा क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं. ऐसे में इस हड़ताल पर अर्थशास्त्र और उद्योग जगत से जुड़े हुए विशेषज्ञों का दावा है कि देश भर में 2 दिन में 25000 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा और बिहार में 1000 करोड़ का नुकसान होगा.

ये भी पढ़ें- पटना में LIC कर्मियों ने किया हड़ताल, सरकार से IPO वापस लेने की मांग

हड़ताल से एक्सपोर्ट इंपोर्ट प्रभावित: ट्रेड यूनियन की हड़ताल से एक्सपोर्ट इंपोर्ट प्रभावित होने से आने वाले कई दिनों तक इसका असर देखने को मिलेगा. देश में एक्सपोर्ट और इंपोर्ट प्रभावित होने का इफेक्ट (Export and import affected in India) सभी प्रदेश को आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे. बैंकिंग सेवाएं बंद रहने की वजह से रिटेलर के पास कैश का बहुत स्टॉक हो जाएगा, जबकि आम लोगों के पास कैश की किल्लत हो जाएगी. एटीएम में भी कैश की किल्लत रहेगी.

''किसी भी प्रकार के हड़ताल का इंपेक्ट देश और प्रदेश पर बुरा पड़ता है. इस दो दिवसीय हड़ताल से देश को 25 हजार करोड़ का नुकसान होगा और आने वाले दिनों में यह नुकसान और मल्टीपल होगा. यह लाखों करोड़ में तब्दील हो सकता है. इस हड़ताल का दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव होगा कि एक्सपोर्ट और इंपोर्ट कुछ समय के लिए रुक जाएंगे. इससे प्रोडक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. बिहार जैसे राज्य की बात करें तो प्रदेश में 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की संभावना है.''- विद्यार्थी विकास इकोनॉमिक एक्सपर्ट

'दो दिवसीय हड़ताल हुई 4 दिन की': वहीं, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सेक्रेटरी अमित मुखर्जी ने बताया कि यह दो दिवसीय हड़ताल 4 दिन का हो जा रहा है, क्योंकि 26 तारीख को फोर्थ सेटरडे होने की वजह से बैंकिंग सेवाएं बंद रहीं. वहीं, 27 तारीख को रविवार होने की वजह से सार्वजनिक अवकाश रहा. अब 28 और 29 मार्च को हड़ताल की वजह से बैंक बंद हैं. बैंकों के बंद होने की वजह से जो उद्योगपति, ट्रेडर और रिटेलर हैं उनकी समस्याएं अधिक बढ़ गई हैं. रिटेलर और जो बिजनेसमैन कैश में बिजनेस करते हैं. उनके पास 2 दिन में कैश का बहुत अधिक स्टॉक हो जाएगा और इतना अधिक कैश का स्टॉक रखना भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है.

''बैंक बंद होने की वजह से एटीएम में कैश की किल्लत हो जाएगी और अकस्मात स्थिति में भी व्यक्ति बैंक में पैसे होने के बावजूद पैसा नहीं निकाल पाएगा. ट्रेड यूनियन की मांगे जायज है, लेकिन किसी भी प्रकार के मामलों में हड़ताल कोई समाधान नहीं है. बैठकर टेबल पर अधिकारियों से बातचीत करनी चाहिए. बातचीत के माध्यम से ही मसले का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि बातचीत से ही मसला का समाधान होता है.''- अमित मुखर्जी, सेक्रेटरी, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स

'अरबों के ट्रांजेक्शन होंगे प्रभावित': अमित मुखर्जी ने कहा कि वित्तीय साल के अंत का महीना चल रहा है और इस समय में बैंकिंग सेवाएं बंद होने की वजह से अरबों के ट्रांजेक्शन प्रभावित होंगे. सरकार का पेमेंट सिस्टम रुक जाएगा. जो कंस्ट्रक्शन और अन्य क्षेत्र में कंपनियां काम कर रही हैं वह अपना फंड इन कैश नहीं करा पाएंगे और इकोनॉमिक ईयर एंड में बजट नहीं मैच हो पाएगा, जिस वजह से प्रदेश की आर्थिक समस्याएं बढ़ जाएंगी.

जब बैंक खुलेंगे तब बढ़ेगा लोड: इसके अलावा 30 और 31 मार्च को जब बैंक खुलेंगे तो उस समय बैंक पर बहुत अधिक लोड बढ़ जाएगा और कर्मचारियों को इस बड़े हुए लोड का सामना करना पड़ेगा और यह उन्हें मानसिक रूप से काफी तनाव में डालने वाला पल होगा, क्योंकि फाइनेंशियल ईयर खत्म हो रहा होता है और 2 दिन पहले बंद की वजह से वर्क लोड अधिक बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि वह ट्रेड यूनियन से अपील करेंगे कि हड़ताल के बजाय सरकार से वार्ता की कोशिश करें.

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