पटना: पिछले साल कोरोना की वजह से शैक्षिक सत्र 2020-21 में पठन-पाठन की क्षति की भरपाई के लिए सरकारी स्कूलों की कक्षा दो से आठवीं तक के लिए तैयार विशेष शैक्षिक सामग्री कैच अप कोर्स पर ग्रहण लग गया है. क्योंकि राज्य में 15 मई तक स्कूल बंद है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग इस विशेष कोर्स को पुनर्निर्धारित करने पर विचार कर रहा है.
यह भी पढ़ें - पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के मौत की इनसाइड स्टोरी, निशाने पर सिस्टम की नाकामी
बता दें कि पूरे राज्य में शिक्षा विभाग ने 5 अप्रैल से शिक्षा विभाग ने कैच अप कोर्स की शुरुआत करने की तैयारी की थी. लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर को देखते हुए इसका शिक्षण कब शुरू होगा, इसको लेकर फिलहाल संशय की स्थिति है. 15 मई तक तो स्कूल बंदी घोषित है. वहीं, पिछले दिनों में इसके लिए पहले शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया था. प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले अनुमंडल स्तर पर फिर संकुल स्तर पर आयोजित किए गए थे.
पढ़ाई पर कोरोना का कहर
वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे साल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रही. पिछले साल बिहार में 13 मार्च को जो स्कूल बंद हुए वह इस वर्ष कुछ समय के लिए खुले लेकिन एक बार फिर संक्रमण की वजह से सरकार ने उन्हें 15 मई तक बंद कर दिया. ऐसे में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए प्रमोट कर दिया गया. लेकिन इन बच्चों की पिछली पढ़ाई को रिवाइज करने के लिए शिक्षा विभाग ने एक विशेष कोर्स तैयार किया जिसे कैच अप कोर्स नाम दिया गया.
यह भी पढ़ें - भगवान भरोसे बहाली के लिए बैठे शिक्षक अभ्यर्थी, शिक्षा विभाग से मांग रहे जवाब
शिक्षा विभाग ने इसके लिए 5 अप्रैल से 30 जून तक का समय भी निर्धारित कर दिया था. लेकिन अब जब 15 मई तक स्कूल बंद हैं तो कैच कोर्स पर भी ग्रहण लग गया है, शिक्षा विभाग अब इस कोर्स को री शेड्यूल करने पर विचार कर रहा है.
कैच अप कोर्स
बिना पढ़े अगली कक्षा में प्रमोट हुए बच्चों की पढ़ाई के नुकसान के भरपाई के लिए शिक्षा विभाग ने एससीईआरटी को विशेष कोर्स डिजाइन करने की जिम्मेदारी दी थी. एससीईआरटी ने करीब 2 महीने के प्रयास के बाद स्पेशलिस्ट टीचर्स की मदद से कैच अप कोर्स की सामग्री हर क्लास के लिए और हर विषय के लिए तैयार करवाई. इसके लिए राज्य भर के शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दी गई. लेकिन जब इस कोर्स की सामग्री सभी जिलों में भेजी जाने लगी इसी बीच फिर से कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गये.
यह भी पढ़ें - राजधानी को स्मार्ट बनाने का एक्शन प्लान तैयार, पटना में बनेंगी ऑटोमेटिक मल्टीलेवल पार्किंग
दरअसल, इसका कोर्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि उसे पूरा करने के लिए कम से कम 60 वर्किंग डेज यानी 60 कक्षाएं होनी चाहिए. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अब किस तरह इस कोर्स को करवाया जाए इसकी इसके लिए विचार-विमर्श हो रहा है.