पटना: नीतीश सरकार का आखिरी बजट 25 फरवरी को पेश होने वाला है. सूत्रों की मानें तो इस बार का बजट का आकार 2 लाख 10 हजार करोड़ तक का हो सकता है. जबकि पिछली बार 2 लाख 500 करोड़ का बजट था. 25 फरवरी को नीतीश सरकार का आखिरी बजट पेश किया जाएगा. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी बिहार सरकार का बजट पेश करेंगे.
10 हजार करोड़ तक हुई बढ़ोतरी
विभाग के अधिकारी बमुश्किल इस बार 10 हजार करोड़ तक ही बजट आकार में बढ़ोतरी करा सके. इसका मुख्य कारण बिहार में फंड की काफी कमी होना है. फंड में कमी होने का कारण केंद्र प्रायोजित योजना और जीएसटी के फंड में सेंटर गवर्नमेंट से आने वाली राशि में कमी है. कहा जा रहा है कि एक ओर जहां केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए बिहार को 33 हजार करोड़ मिलना था, उसमें 50% ही रकम बिहार को मिल रही है. वहीं, जीएसटी मद में बिहार को 39 हजार करोड़ राशि केंद्र से मिलना था, जिसके एवज में मार्च 2020 तक 24 हजार करोड़ ही मिलने की उम्मीद है.
अर्थशास्त्री का क्या है मानना
प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी का मानना है कि इस तरह के संकट के कारण बिहार जनता को काफी कुछ झेलना पड़ेगा. बिहार में चल रहे विकास के कार्यों में इससे बाधा उत्पन्न होगी. प्रो. चौधरी कहते हैं कि पिछले बजट की तुलना में इस बार के बजट में कोई खासा इजाफा नहीं हुआ है. जबकि महंगाई दर में काफी बढ़ोतरी हुई है. इसका असर आने वाले चुनाव पर भी दिखेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए सरकार का अपने दावे फेल होते दिख रहे हैं.
सरकार का क्या है दावा
एनडीए सरकार का दावा है कि बिहार में विकास की गति तेज होगी. लेकिन बजट के आकार को देखते हुए ऐसा होता प्रतीत नहीं हो रहा. प्रो. चौधरी कहते हैं कि सरकार को बजट का आकार और बड़ा करने के लिए संसाधन जुटाना चाहिए.
बजट के जुड़े महत्तवपूर्ण आंकड़े
पिछला बजट 2 लाख 500 करोड़ का था. इस बार 2 लाख 10 हजार करोड़ का बजट होने की उम्मीद है. जिसका तकरीबन 1 लाख 20 हजार करोड़ गैर योजना मद में खर्च किए जाएंगे. यानी इस राशि से सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को वेतन और पेंशन दिया जाएगा. वहीं, तकरीबन 1 लाख करोड़ योजना मद में खर्च किए जाएंगे. जिसका तकरीबन 20 हजार करोड़ कल्याणकारी योजनाओं के लिए डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) पर खर्च होंगे. जिसमें तकरीबन 25 हजार करोड़ शिक्षा के मद में खर्च होगा. वहीं, 10 से 15 हजार करोड़ ग्रीन बजट पर खर्च होगा. जिसमें करीब 7 से 9 हजार करोड़ स्वाथ्य सेवाओं के लिए खर्च होगा.