पटना: भारतीय अर्थव्यवस्था की चर्चा इन दिनों पूरे विश्व में हो रही है. जिस तरह से देश आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रहा है, उस पर विपक्ष से लेकर बड़े-बड़े अर्थशास्त्री तक चिंता जाहिर करने लगे हैं. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी देश में उत्पन्न हो रहे आर्थिक संकट पर अपनी चिंता जता चुके हैं.
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर ने देश में उत्पन्न हालात का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना प्लानिंग किए नोटबंदी और जीएसटी का निर्णय लिया. जिस कारण यह हालात पैदा हुए हैं. वर्तमान हालात के लिए अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि आंतरिक कारण जिम्मेदार हैं.
'रोजगार को महत्व नहीं देती मोदी सरकार'
डीएम दिवाकर मंदी को लेकर सरकार पर नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि इस सरकार को आर्थिक जगत की समझ नहीं है. ये सरकार रोजगार को महत्व नहीं देती. अर्थव्यवस्था के संचार को महत्व नहीं देती है. जिसका नमूना बिना सोचे-समझे देश पर नोटबंदी और जीएसटी थोप देना है. इससे छोटे-छोटे व्यवसाय खत्म होते चले गए और भारतीय अर्थव्यवस्था आज बेहाल है.
'गलत साबित हुआ नोटबंदी और जीएसटी का फैसला'
प्रोफेसर ने यह भी कहा कि हमारे देश की इकॉनमी छोटे और मंझले उद्योगपतियों के सहारे चल रही थी. लेकिन, सरकार ने जिस तरह से बिना सोचे समझे देश में नोटबंदी लागू की, इससे उन उद्योगपतियों का हाल बुरा होता गया. वहीं, नोटबंदी के 1 साल पूरा होते ही, सरकार ने देश भर में जीएसटी लागू कर दी. इससे स्थिति और खराब हो गई. हर क्षेत्र में छटनी का दौर शुरू हो गया.
पैसा नहीं है तो खरीदारी कहां से होगी?
डीएम दिवाकर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा फॉर्मल इकॉनमी पर चल रहा है, जो पूरी तरह खत्म हो गई. यदि लोगों का रोजगार खत्म होगा तो बाजार की हलचल भी खत्म हो ही जाएगी. इसी कारण हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, क्योंकि लोगों के पास रोजगार नहीं है तो बाजार में समान बिकेंगे नहीं.
पूर्व गवर्नर ने पहले ही जताई थी चिंता
प्रोफेसर ने कहा कि भारत में निजी क्षेत्र के व्यापारियों का भरोसा भारत सरकार से अब धीरे-धीरे उठता जा रहा है. पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार को अर्थव्यवस्था के लिए अगाह किया था तो सरकार ने उनकी बात को पूरी तरह से नकार दिया था, नतीजतन आज यह हाल हो रहा है.
सरकार और छोटे उद्योगपतियों के बीच टकराव
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का मानना है कि सरकार ने जिस तरह से देश में जीएसटी लागू किया, उससे छोटे उद्योगों की कमर टूट गई. वह आगे व्यापार करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. उद्योग सरकार और उद्योगपतियों के बीच विश्वास से चलता है. लेकिन, वर्तमान में सरकार और छोटे उद्योगपतियों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है.
'इतिहासकार को गवर्नर बनाना गलत फैसला'
डीएम दिवाकर की मानें तो भारत सरकार ने जिसे आरबीआई का गवर्नर बनाया है, उन्हें अर्थशास्त्र का कोई ज्ञान नहीं है. वह अर्थशास्त्री नहीं है बल्कि एक इतिहासकार हैं. उन्हें अर्थशास्त्र की नॉलेज नहीं होने के कारण ही आज भारत में आर्थिक संकट आन पड़ी है.
पिछले 70 सालों में नहीं हुए ये हालात
अर्थशास्त्री ने नीति आयोग के सवाल का समर्थन करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 70 सालों में कभी ऐसे नहीं चरमराई थी, जो मौजूदा हालात हैं. सरकार अब मंदी को दबाना चाह रही है, इसलिए निजी क्षेत्र के साथ-साथ अब सरकारी क्षेत्रों में भी छंटनी का दौर शुरू होने वाला है. भारत सरकार में सबसे बड़ा सरकारी सेक्टर रेलवे भी अब 55 वर्ष की आयु से ऊपर होने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट देने की तैयारी कर रहा है.
अर्थशास्त्रियों की चिंता पर वित्त विभाग ने कुछ हिस्सों में मंदी की मार झेलने के लिए निर्णय तो लिया है. लेकिन, अर्थशास्त्री इस निर्णय पर भी अब सवाल उठा रहे हैं. उनका मानना है कि वित्त विभाग से जो निर्णय लिए गए हैं, उससे रोजगार उत्पन्न नहीं होगा. यदि सरकार को आर्थिक मंदी से बचना है तो हर क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराना होगा और छोटे उद्योगपतियों को अपने विश्वास में लेना होगा. जिससे देश में आर्थिक मंदी की स्थिति उत्पन्न ना हो पाए.