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BPSC Paper Leak Case: आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी जारी, हिरासत में लिए गए कई संदिग्ध - ईटीवी भारत बिहार न्यूज

बीपीएससी पेपर लीक मामले की जांच में प्रतिदिन नये-नये खुलासे हो रहे हैं. आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offences Unit) लगातार इस मामले में छापेमारी कर रही है और संदिग्ध से पूछताछ भी कर रही है. जांच टीम को मुख्य सरगना की तलाश है. पढ़ें पूरी खबर..

आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई
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Published : May 16, 2022, 11:24 AM IST

पटना: बीपीएससी 67वीं पीटी के प्रश्न पत्र लीक (BPSC Paper Leak Case) मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. इस मामले में अब तक 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जिसमें से चार लोगों को जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तार किए गए युवकों से आर्थिक अपराध इकाई लगातार पूछताछ कर रही है. वहीं, बीपीसी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई को कई अहम सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजे गए वीर कुंवर सिंह कॉलेज के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए जांच टीम उसे रिमांड पर भी ले सकती है.

ये भी पढ़ें-BPSC Paper Leak case: पटना के कदमकुआं से दो युवक गिरफ्तार, EoU ने जब्त किया लैपटॉप और पेनड्राइव

14 सदस्यीय जांच दल कर रह रही अनुसंधान: पेपर लीक मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नैय्यर हसनैन खां ने आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार के नेतृत्व में 14 सदस्यीय विशेष अनुसंधान दल का गठन किया है. जो लगातार छापेमारी कर लोगों की गिरफ्तारी कर रही है. आर्थिक अपराध इकाई के जांच के पूरे प्रकरण में आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के साथ-साथ इसका तार बिहार के गोपालगंज और नवादा के साथ कई जिलों से जुड़ता दिख रहा है.

आर्थिक अपराध इकाई द्वारा पटना के लोहानीपुर से गिरफ्तार किए गए युवक से पूरे सरगना के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा अभी पता लगाया जा रहा है कि बीपीएससी पेपर लीक मामले में यह पहली घटना है या इससे पहले भी यह सरगना ऐसे घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है. जांच के दौरान उन्हें पता चला है कि पेपर लीक करवाने के लिए हर कैंडिडेट से लगभग 8 से 10 लाख रुपए लिया जाता था.

विशेषज्ञों की ली जा रही सहायता: इस काण्ड की जांच में विशेष अनुसंधान दल द्वारा तकनीकी अनुसंधान के साथ-साथ कई विशेषज्ञों की सहायता भी ली गई है, जिसमें साईबर फॉरेंसिंक विशेषज्ञ, विशेष निगरानी इकाई के पदाधिकारी और आर्थिक अपराध इकाई के विशेषज्ञ पदाधिकारी को शामिल किया गया है. इस काण्ड में की गई जांच और मिले साक्ष्य के आधार पर पूर्व में चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में पहले ही भेज दिया गया है.

मिले कई अहम सबूत: आपको बता दे कि अभी तक के अनुसंधान में विशेष अनुसंधान दल के द्वारा पटना सहित बिहार के कई जिलों में अनुसंधान और सत्यापन के अलावा विभिन्न सोशल मीडिया हैण्डल का सूक्ष्म विश्लेषण से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इस काण्ड में एक संगठित अपराधिक गिरोह की भूमिका प्रकाश में आया है. इस गिरोह के सदस्यों द्वारा मॉडर्न गजट और गोपनीय पेन, कैमरा, ब्लू-टूथ डिवाइस के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग गैर-कानूनी ढंग से किया जाता है. हालांकि, एसआईटी द्वारा इस काण्ड का उद्भेदन कर लिया गया है.

गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार: अभी तक इस संगठित गिरोह के 4 सदस्यों को एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किया गया है, गिरफ्तार इन लोगों के माध्यम से कई और लोग का साक्ष्य निकाला जा रहा है. गिरफ्तार अभियुक्तों से की गई पूछ-ताछ और इनके संबंध में किये गये तकनीकी अनुसंधान से उनके गिरोह के अन्य सदस्यों की भूमिका प्रकाश में आयी है. राजेश कुमार के निशानदेही पर इनके द्वारा संचालित एक कंट्रोल रुम का उद्भेदन किया गया है. जो कदमकुआं थाना क्षेत्र के लोहानीपुर मोहल्ले में चलाया जा रहा था.

इस पूरे गिरोह का सरगना आनन्द गौरव उर्फ पिन्टू यादव है. जो एनआईटी, पटना से स्नातक है. इंजिनियरिंग की डिग्री लेने के बाद से वह इस प्रकार के गैर कानूनी धंधे में संलिप्त है. इसके संबंध में साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कि ये पूर्व में वर्ष 2015 में इलाहाबाद (उप्र) के अध्यापक भर्ती घोटाला में गिरफ्तार हुआ था और वर्ष 2020 में मुंगेर जिला में हत्या के काण्ड में अभियुक्त है. इसके अतिरिक्त इस गिरोह में अन्य सदस्यों की भी पहचान की जा चुकी है और उनके विरुद्ध लगातार छापामारी और अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है. इसके अन्य सहयोगियों और आश्रय दाताओं के संबंध में एसआईटी द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है.

आपको बता दें कि एसआईटी द्वारा बरामद वस्तुएं स्पष्ट करता है कि इनके द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने और फर्जी अभियुक्तों से पैसे के एवज में बहुत परीक्षार्थियों को प्रश्नों का उत्तर उपलब्ध कराये जाते हैं. एसआईटी द्वारा इस कांड में आपराधिक षडयंत्र, मनी ट्रेल और अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अनुसंधान किया जा रहा है. इस षडयंत्र में शामिल हर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध साक्ष्य के आधार पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीपीएससी के कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं. हालांकि, इस बात की पुष्टि अभी नहीं की जा रही है. उनसे भी पूछताछ किया गया है. अभी कई और राज भी खुल सकते हैं.

ये भी पढ़ें-BPSC Paper Leak: वीर कुंवर सिंह कॉलेज का विवादों से पुराना नाता, 5 साल पहले ही किया गया था 'बैन'

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पटना: बीपीएससी 67वीं पीटी के प्रश्न पत्र लीक (BPSC Paper Leak Case) मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. इस मामले में अब तक 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जिसमें से चार लोगों को जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तार किए गए युवकों से आर्थिक अपराध इकाई लगातार पूछताछ कर रही है. वहीं, बीपीसी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई को कई अहम सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजे गए वीर कुंवर सिंह कॉलेज के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए जांच टीम उसे रिमांड पर भी ले सकती है.

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14 सदस्यीय जांच दल कर रह रही अनुसंधान: पेपर लीक मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नैय्यर हसनैन खां ने आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार के नेतृत्व में 14 सदस्यीय विशेष अनुसंधान दल का गठन किया है. जो लगातार छापेमारी कर लोगों की गिरफ्तारी कर रही है. आर्थिक अपराध इकाई के जांच के पूरे प्रकरण में आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के साथ-साथ इसका तार बिहार के गोपालगंज और नवादा के साथ कई जिलों से जुड़ता दिख रहा है.

आर्थिक अपराध इकाई द्वारा पटना के लोहानीपुर से गिरफ्तार किए गए युवक से पूरे सरगना के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा अभी पता लगाया जा रहा है कि बीपीएससी पेपर लीक मामले में यह पहली घटना है या इससे पहले भी यह सरगना ऐसे घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है. जांच के दौरान उन्हें पता चला है कि पेपर लीक करवाने के लिए हर कैंडिडेट से लगभग 8 से 10 लाख रुपए लिया जाता था.

विशेषज्ञों की ली जा रही सहायता: इस काण्ड की जांच में विशेष अनुसंधान दल द्वारा तकनीकी अनुसंधान के साथ-साथ कई विशेषज्ञों की सहायता भी ली गई है, जिसमें साईबर फॉरेंसिंक विशेषज्ञ, विशेष निगरानी इकाई के पदाधिकारी और आर्थिक अपराध इकाई के विशेषज्ञ पदाधिकारी को शामिल किया गया है. इस काण्ड में की गई जांच और मिले साक्ष्य के आधार पर पूर्व में चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में पहले ही भेज दिया गया है.

मिले कई अहम सबूत: आपको बता दे कि अभी तक के अनुसंधान में विशेष अनुसंधान दल के द्वारा पटना सहित बिहार के कई जिलों में अनुसंधान और सत्यापन के अलावा विभिन्न सोशल मीडिया हैण्डल का सूक्ष्म विश्लेषण से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इस काण्ड में एक संगठित अपराधिक गिरोह की भूमिका प्रकाश में आया है. इस गिरोह के सदस्यों द्वारा मॉडर्न गजट और गोपनीय पेन, कैमरा, ब्लू-टूथ डिवाइस के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग गैर-कानूनी ढंग से किया जाता है. हालांकि, एसआईटी द्वारा इस काण्ड का उद्भेदन कर लिया गया है.

गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार: अभी तक इस संगठित गिरोह के 4 सदस्यों को एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किया गया है, गिरफ्तार इन लोगों के माध्यम से कई और लोग का साक्ष्य निकाला जा रहा है. गिरफ्तार अभियुक्तों से की गई पूछ-ताछ और इनके संबंध में किये गये तकनीकी अनुसंधान से उनके गिरोह के अन्य सदस्यों की भूमिका प्रकाश में आयी है. राजेश कुमार के निशानदेही पर इनके द्वारा संचालित एक कंट्रोल रुम का उद्भेदन किया गया है. जो कदमकुआं थाना क्षेत्र के लोहानीपुर मोहल्ले में चलाया जा रहा था.

इस पूरे गिरोह का सरगना आनन्द गौरव उर्फ पिन्टू यादव है. जो एनआईटी, पटना से स्नातक है. इंजिनियरिंग की डिग्री लेने के बाद से वह इस प्रकार के गैर कानूनी धंधे में संलिप्त है. इसके संबंध में साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कि ये पूर्व में वर्ष 2015 में इलाहाबाद (उप्र) के अध्यापक भर्ती घोटाला में गिरफ्तार हुआ था और वर्ष 2020 में मुंगेर जिला में हत्या के काण्ड में अभियुक्त है. इसके अतिरिक्त इस गिरोह में अन्य सदस्यों की भी पहचान की जा चुकी है और उनके विरुद्ध लगातार छापामारी और अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है. इसके अन्य सहयोगियों और आश्रय दाताओं के संबंध में एसआईटी द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है.

आपको बता दें कि एसआईटी द्वारा बरामद वस्तुएं स्पष्ट करता है कि इनके द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने और फर्जी अभियुक्तों से पैसे के एवज में बहुत परीक्षार्थियों को प्रश्नों का उत्तर उपलब्ध कराये जाते हैं. एसआईटी द्वारा इस कांड में आपराधिक षडयंत्र, मनी ट्रेल और अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अनुसंधान किया जा रहा है. इस षडयंत्र में शामिल हर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध साक्ष्य के आधार पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीपीएससी के कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं. हालांकि, इस बात की पुष्टि अभी नहीं की जा रही है. उनसे भी पूछताछ किया गया है. अभी कई और राज भी खुल सकते हैं.

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