पटना: बिहार में इन दिनों पशु विभाग द्वारा मवेशियों की इयर टैगिंग की जा रही है. जिसको लेकर प्रखंड स्तर पर एक नोडल पदाधिकारी और हर पंचायत स्तर पर एक सुपरवाइजर की कमिटी बनाई गई है. जिसमें एक पशु चिकित्सक शामिल है. जिले के एक प्रखंड में कुल 25 स्वास्थकर्मियों की टीम बनी है. ऐसे में एक अनुमंडल में 100 लोगों की टीम बनाकर गांव-गांव में मवेशियों की इयर टैगिंग कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें - 2 करोड़ से ज्यादा पशुओं को लगाए जाएंगे FMD का टीका, की जा रही ईयर टैगिंग
पटना के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों एक अभियान के तहत मवेशियों की इयर टैंगिंग की जा रही है. जहां एक अनुमंडल एक लाख का लक्ष्य रखा गया है. मसौढ़ी प्रखंड में करीब 43 हजार 560 का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 28 हजार 360 मवेशियों की इयर टैगिंग हो चुकी है.
धनरूआ प्रखंड में 53 हजार 600 का लक्ष्य रखा है. जिसमें 46 हजार 670 मवेशियों की इयर टैगिंग हो चुकी है. वहीं पुनपुन प्रखंड में 18 हजार 560 का लक्ष्य रखा है. जिसमें 15 हजार 340 मवेशियों की इयर टैगिंग हो चुकी है.
आईए जानते हैं कि आखिर मवेशियों की जीओ टैगिंग क्या है? दरअसल, ईयर टैगिंग जानवरों का आधार नंबर की तरह होता है. जिसके तहत जानवरों की गिनती आसानी से होगी और जानवरों का टीकाकरण होगा. टैगिंग के बाद संबंधित जानवर की जानकारी कहीं से हासिल की जा सकेगी.
बता दें कि देशभर की हर गाय और भैंस के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी हो रहा है. इसके जरिए पशुपालक घर बैठे अपने पशु के बारे में सॉफ्टवेयर के जरिए जानकारी ले सकेंगे. जिसके लिए 16 डिजिट का एक कोड के साथ मवेशियों के दायें कान में एक पीले रंग का इयर वींग को छेद कर पहनाया जाता है. इस कोड के जरिए पशुपालक के नाम के साथ मवेशियों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है.
मवेशियों के रजिस्ट्रेशन के बाद से सरकार के पशुपालक को सरकार सभी योजनाओं और टीकाकरण, नस्ल सुधार कार्यक्रम, चिकित्सा सहायता सहित अन्य काम आसानी से हो पाएंगे. यही नहीं मवेशी चोरी हो जाने पर डिजिटल कोड से ट्रैक भी किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें -
कैमूर: किराए के कमरे में लगता है ग्राम कचहरी, पंचायत भवन में बांधे जाते हैं मवेशी
ट्रैक्टर चालक ने जान बूझकर गर्भवती जानवर काे मार डाला, गिरफ्तार
ठप है आमदनी, निगम को कहां से देंगे मवेशी पालने का टैक्स? मवेशी पालकों ने आंदोलन की चेतावनी