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बिहार में बनेगी ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग यूनिट, उद्योगपतियों को सरकार हर संभव करेगी मदद - Department of Forest Environment and Climate Change

वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में अब तक कोई ई-वेस्ट रीसाइकलिंग यूनिट नहीं है. बिहार में रीसाइक्लिंग यूनिट स्थापित करने वाले उद्योगपतियों को सरकार हर संभव मदद करेगी.

दीपक कुमार सिंह प्रधान सचिव, वन पर्यावरण विभाग
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Published : Sep 28, 2019, 2:13 PM IST

पटना: बिहार में ई-वेस्ट के निपटारे के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है. ई वेस्ट में कई प्रकार के खतरनाक पदार्थ जैसे लेड, मरकरी, आर्सेनिक और कैडमियम आदि होते हैं जिन्हें खतरनाक अपशिष्ट की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में सरकार ने ई वेस्ट की रीसाइक्लिंग इकाई स्थापित करने के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है.

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादक एजेंसियों ने इलेक्ट्रॉनिक कचरा के कलेक्शन के लिए क्या कार्रवाई की है, इसे जानने के लिए प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछले साल मई-जून और इस साल भी सर्वेक्षण कराया था. इस दौरान पता चला कि इन उत्पादकों ने जो संग्रहण केंद्र घोषित किए थे उनमें से ज्यादातर अस्तित्व में ही नहीं थे. इसके बारे में किसी उपभोक्ता को भी पता नहीं था कि ऐसा कोई संग्रहण केंद्र भी होता है.

सरकार करेगी मदद
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने अब ऐसी सभी कंपनियों के साथ बैठक कर उन्हें बाय बैक पॉलिसी लाने के लिए कहा है. साथ ही इन कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं को यह बताना होगा कि वे अपने इलेक्ट्रॉनिक कचरे का निष्पादन कहां करें. ईटीवी भारत से बातचीत में वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में अब तक कोई ई-वेस्ट रीसाइकलिंग यूनिट नहीं है. उन्होंने कहा कि रीसाइक्लिंग यूनिट बिहार में स्थापित करने वाले उद्योगपतियों को सरकार हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी.

जानकारी देते वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह

इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को बाय पॉलिसी बनाने का आदेश
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछली बैठक में तय हुए एजेंटों को लेकर सभी कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किया है. इसके मुताबिक सभी उत्पादक राज्य में ई-अपशिष्ट के लिए प्रभावी संग्रहण तत्व विकासित करेंगे. हर कंपनी अपने उत्पादों की स्थिति के मुताबिक बाय बैक पॉलिसी बनाएगी.

सरकार को देनी होगी ई-वेस्ट के कलेक्शन पॉइंट की सूची
कंपनी को स्थानीय समाचार पत्र और मीडिया के माध्यम से स्थानीय भाषा में व्यापक और प्रभावी जन जागरण अभियान चलाना होगा. ई-वेस्ट के कलेक्शन पॉइंट की सूची राज्य सरकार और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद को देनी होगी जिसे वे अपने वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे. साथ ही प्रत्येक रिटेल आउटलेट को संग्रहण केंद्र घोषित करने की बात भी कही गई है.

पटना: बिहार में ई-वेस्ट के निपटारे के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है. ई वेस्ट में कई प्रकार के खतरनाक पदार्थ जैसे लेड, मरकरी, आर्सेनिक और कैडमियम आदि होते हैं जिन्हें खतरनाक अपशिष्ट की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में सरकार ने ई वेस्ट की रीसाइक्लिंग इकाई स्थापित करने के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है.

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादक एजेंसियों ने इलेक्ट्रॉनिक कचरा के कलेक्शन के लिए क्या कार्रवाई की है, इसे जानने के लिए प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछले साल मई-जून और इस साल भी सर्वेक्षण कराया था. इस दौरान पता चला कि इन उत्पादकों ने जो संग्रहण केंद्र घोषित किए थे उनमें से ज्यादातर अस्तित्व में ही नहीं थे. इसके बारे में किसी उपभोक्ता को भी पता नहीं था कि ऐसा कोई संग्रहण केंद्र भी होता है.

सरकार करेगी मदद
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने अब ऐसी सभी कंपनियों के साथ बैठक कर उन्हें बाय बैक पॉलिसी लाने के लिए कहा है. साथ ही इन कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं को यह बताना होगा कि वे अपने इलेक्ट्रॉनिक कचरे का निष्पादन कहां करें. ईटीवी भारत से बातचीत में वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में अब तक कोई ई-वेस्ट रीसाइकलिंग यूनिट नहीं है. उन्होंने कहा कि रीसाइक्लिंग यूनिट बिहार में स्थापित करने वाले उद्योगपतियों को सरकार हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी.

जानकारी देते वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह

इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को बाय पॉलिसी बनाने का आदेश
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछली बैठक में तय हुए एजेंटों को लेकर सभी कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किया है. इसके मुताबिक सभी उत्पादक राज्य में ई-अपशिष्ट के लिए प्रभावी संग्रहण तत्व विकासित करेंगे. हर कंपनी अपने उत्पादों की स्थिति के मुताबिक बाय बैक पॉलिसी बनाएगी.

सरकार को देनी होगी ई-वेस्ट के कलेक्शन पॉइंट की सूची
कंपनी को स्थानीय समाचार पत्र और मीडिया के माध्यम से स्थानीय भाषा में व्यापक और प्रभावी जन जागरण अभियान चलाना होगा. ई-वेस्ट के कलेक्शन पॉइंट की सूची राज्य सरकार और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद को देनी होगी जिसे वे अपने वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे. साथ ही प्रत्येक रिटेल आउटलेट को संग्रहण केंद्र घोषित करने की बात भी कही गई है.

Intro:बिहार में इलेक्ट्रॉनिक कचरा के निपटारे के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है। अगर किसी का मोबाइल या लैपटॉप खराब हो गया हो तो वह उसका क्या करें इसकी जानकारी आमतौर पर उपभोक्ताओं को नहीं होती जबकि ई वेस्ट में कई प्रकार के खतरनाक पदार्थ जैसे लेड, मरकरी, आर्सेनिक और कैडमियम आदि होते हैं जिन्हें खतरनाक अपशिष्ट की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में सरकार ने ई वेस्ट की रीसाइक्लिंग इकाई स्थापित करने के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है।


Body:इस संबंध में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विभिन्न उत्पादक एजेंसियों ने इलेक्ट्रॉनिक कचरा के कलेक्शन के लिए क्या कार्रवाई की है इसे जानने के लिए प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछले साल मई-जून और इस साल भी सर्वेक्षण कराया था। जिसमें यह पता चला की इन उत्पादकों ने जो संग्रहण केंद्र घोषित किए थे उनमें से ज्यादातर अस्तित्व में ही नहीं थे। इसके बारे में किसी उपभोक्ता को भी पता नहीं था कि ऐसा कोई संग्रहण केंद्र भी होता है।
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने अब ऐसे सभी कंपनियों के साथ बैठक करके उन्हें बाय बैक पॉलिसी लाने के लिए कहा है। साथ ही इन कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं को यह बताना होगा कि वे अपने इलेक्ट्रॉनिक कचरे का निष्पादन कहां करें।
इस बारे में ईटीवी भारत भारत से बातचीत में वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में अब तक कोई ई वेस्ट रीसाइकलिंग यूनिट नहीं है। उन्होंने कहा कि रीसाइक्लिंग यूनिट बिहार में स्थापित करने के इच्छुक उद्योगपतियों को सरकार हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी।
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पिछली बैठक में तय हुए एजेंटों को लेकर सभी कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक सभी उत्पादक राज्य में ई अपशिष्ट के लिए प्रभावी संग्रहण तत्व विकासित करेंगे। हर कंपनी अपने उत्पादों की स्थिति के मुताबिक बाय बैक पॉलिसी बनाएगी और हर कंपनी को स्थानीय समाचार पत्र और मीडिया के माध्यम से स्थानीय भाषा में व्यापक और प्रभावी जन जागरण अभियान चलाना होगा। ई वेस्ट के कलेक्शन पॉइंट की सूची राज्य सरकार और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद को देनी होगी जिसे वे अपने वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे। साथ ही प्रत्येक रिटेल आउटलेट को संग्रहण केंद्र घोषित करने की बात भी कही गई है।


Conclusion:दीपक कुमार सिंह प्रधान सचिव, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
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