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पटना: सूखाग्रस्त अनुदान राशि न मिलने से किसान नाराज, वोट बहिष्कार का लिया निर्णय

पटना के बिहटा में बेंदौल पंचायत को सूखाग्रस्त अनुदान राशि से वंचित किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. नाराज किसानों ने इस साल चुनाव में वोट बहिस्कार करने का निर्णय लिया है.

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Published : Sep 25, 2020, 4:39 PM IST

पटना: राजधानी के बिहटा में सूखाग्रस्त अनुदान राशि न मिलने के कारण किसानों ने चुनाव में वोट बहिष्कार का करने का निर्णय लिया है. किसानों ने कहा कि सरकार ने हमारे साथ सोतेला व्यवहार कर रही है. वहीं, एक तरफ संसद में किसान बिल के पास होने के विरोध में देश किसान सड़क पर हैं तो दूसरी तरफ राजधानी पटना से सटे बिहटा के बिंदौल पंचायत में किसानों ने इस वार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है.

वोट बहिष्कार का निर्णय
किसानों ने बेंदौल पंचायत के घोडाटाप गांव में एक बैठक कर अपने पंचायत में किसी भी नेता को आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. किसानों ने कहना है कि स्थानीय सांसद हो या विधायक किसी ने भी 5 साल तक हमारी सुध नहीं ली. किसानों ने कहा कि पिछले साल पंचायत में भीषण सुखाड़ का सामना करना पड़ा. किसान प्रखंड और अनुमंडल में अनुदान के लिए पैर घिसते रह गए. लेकिन यहां के किसानों को अनुदान से वंचित रखा गया. किसानों का हाल जानने के लिए न तो स्थानीय विधायक आये और न ही सांसद पहुंचे. दरसअल बिहटा प्रखंड के 26 पंचायतों में से मात्र एक बिंदौल पंचायत को सुखा अनुदान से अलग कर दिया गया था. जिसके बाद पंचायत की किसानों और आम जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश है. स्थानीय अधिकारी के अलावा जिला अनुमंडल तक इसके लिए किसानों ने आवेदन तक दिया. लेकिन किसी ने भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

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किसानों में नाराजगी.

अनुदान राशि से किया गया वंचित
बेंदौल पंचायत के किसान ओमप्रकाश सिंह और पंचायत समिति सदस्य अरविंद कुमार का कहना है कि बिहटा के केवल बेंदौल पंचायत को सूखाग्रस्त अनुदान राशि से वंचित किया गया. उन्होंने सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि मानक से कम वाले पंचायतो को अनुदान में शामिल किया गया. जबकि खरीफ फसल के बुआई के बाद 52 प्रतिशत मानक को पूरा करने के बाद भी इसे वंचित रखा गया जो किसानों के प्रति भेदभाव को दर्शाता है. जिसको लेकर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में सरकार को मुंहतोड़ जवाब देने को लेकर पंचायत के तमाम किसान और जनता चुनाव में वोट बहिष्कार करेंगें. पंचायत में किसी भी उम्मीदवार या जनप्रतिनिधि को आने पर रोक लगा दी गई है.

पंचायत में 52 प्रतिशत ही हुई बुआई
बता दें कि पिछले साल खरीफ फसल के नुकसान होने पर सरकार ने किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन हजार रुपये की घोषणा की थी. जिसमे यह शर्त रखा था कि जहां 75 प्रतिशत से ज्यादा बुआई हुई है. वहां के किसान इसके दायरे में नहीं आएंगे. लेकिन बिंदौल पंचायत में मात्र 52 प्रतिशत ही बुआई हुई थी. इसके वाबजूद यहां के किसानों को अनुदान की लिस्ट से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद पंचायत के किसान और आम जनता में सरकार और स्थानीय अधिकारी के खिलाफ काफी आक्रोश है.

पटना: राजधानी के बिहटा में सूखाग्रस्त अनुदान राशि न मिलने के कारण किसानों ने चुनाव में वोट बहिष्कार का करने का निर्णय लिया है. किसानों ने कहा कि सरकार ने हमारे साथ सोतेला व्यवहार कर रही है. वहीं, एक तरफ संसद में किसान बिल के पास होने के विरोध में देश किसान सड़क पर हैं तो दूसरी तरफ राजधानी पटना से सटे बिहटा के बिंदौल पंचायत में किसानों ने इस वार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है.

वोट बहिष्कार का निर्णय
किसानों ने बेंदौल पंचायत के घोडाटाप गांव में एक बैठक कर अपने पंचायत में किसी भी नेता को आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. किसानों ने कहना है कि स्थानीय सांसद हो या विधायक किसी ने भी 5 साल तक हमारी सुध नहीं ली. किसानों ने कहा कि पिछले साल पंचायत में भीषण सुखाड़ का सामना करना पड़ा. किसान प्रखंड और अनुमंडल में अनुदान के लिए पैर घिसते रह गए. लेकिन यहां के किसानों को अनुदान से वंचित रखा गया. किसानों का हाल जानने के लिए न तो स्थानीय विधायक आये और न ही सांसद पहुंचे. दरसअल बिहटा प्रखंड के 26 पंचायतों में से मात्र एक बिंदौल पंचायत को सुखा अनुदान से अलग कर दिया गया था. जिसके बाद पंचायत की किसानों और आम जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश है. स्थानीय अधिकारी के अलावा जिला अनुमंडल तक इसके लिए किसानों ने आवेदन तक दिया. लेकिन किसी ने भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

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किसानों में नाराजगी.

अनुदान राशि से किया गया वंचित
बेंदौल पंचायत के किसान ओमप्रकाश सिंह और पंचायत समिति सदस्य अरविंद कुमार का कहना है कि बिहटा के केवल बेंदौल पंचायत को सूखाग्रस्त अनुदान राशि से वंचित किया गया. उन्होंने सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि मानक से कम वाले पंचायतो को अनुदान में शामिल किया गया. जबकि खरीफ फसल के बुआई के बाद 52 प्रतिशत मानक को पूरा करने के बाद भी इसे वंचित रखा गया जो किसानों के प्रति भेदभाव को दर्शाता है. जिसको लेकर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में सरकार को मुंहतोड़ जवाब देने को लेकर पंचायत के तमाम किसान और जनता चुनाव में वोट बहिष्कार करेंगें. पंचायत में किसी भी उम्मीदवार या जनप्रतिनिधि को आने पर रोक लगा दी गई है.

पंचायत में 52 प्रतिशत ही हुई बुआई
बता दें कि पिछले साल खरीफ फसल के नुकसान होने पर सरकार ने किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन हजार रुपये की घोषणा की थी. जिसमे यह शर्त रखा था कि जहां 75 प्रतिशत से ज्यादा बुआई हुई है. वहां के किसान इसके दायरे में नहीं आएंगे. लेकिन बिंदौल पंचायत में मात्र 52 प्रतिशत ही बुआई हुई थी. इसके वाबजूद यहां के किसानों को अनुदान की लिस्ट से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद पंचायत के किसान और आम जनता में सरकार और स्थानीय अधिकारी के खिलाफ काफी आक्रोश है.

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