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प्रथम राष्ट्रपति के जन्मदिवस 3 दिसम्बर को 'राष्ट्रीय मेधा दिवस घोषित किया जाए, रवि शंकर प्रसाद ने की मांग

देश के प्रथम राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस 3 दिसंबर को 'राष्ट्रीय मेधा दिवस' घोषित करने की मांग पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने की है. उन्होंने धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर इससे अवगत कराया है और इस दिन को 'राष्ट्रीय मेधा दिवस' घोषित करने की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर..

डॉ राजेंद्र प्रसाद
डॉ राजेंद्र प्रसाद
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 1, 2023, 8:16 PM IST

पटना: बिहार के पटना साहिब से सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है. रविशंकर प्रसाद ने पत्र के जरिए प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस को यादगार बनाने के लिए अनुरोध किया है. इसके लिए देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस तीन दिसंबर को राष्ट्रीय मेधा दिवास घोषित करने की मांग की है.

असाधारण प्रतिभा के धनी थे राजेंद्र बाबू : रविशंकर प्रसाद ने पत्र में लिखा है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार के छपरा जिले में एक साधारण परिवार में जन्म लेकर अपनी प्रखर प्रतिभा और संकल्प से देश के सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति के रूप में रहकर 12 वर्षों तक अद्वितीय नेतृत्व किया. उनकी सादगी, सरलता, सहजता, ईमानदारी और मर्यादायुक्त आचरण देशवासियों को सदैव प्रेरित करती है. वह बहुत ही प्रतिभावान छात्र थे. जिला स्कूल से उन्होंने तत्कालीन बंगाल बोर्ड द्वारा संचालित मैट्रिक की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था.

रविशंकर प्रसाद ने लिखा पत्र.
रविशंकर प्रसाद ने लिखा पत्र.
हमेशा अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा : पत्र में लिखा है कि अगर आज के संर्दभ में समझे तो उन्होंने आज के बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और असम जैसे बडे़ भूभाग में होने वाली मैट्रिक की परीक्षा में शीर्ष स्थान अर्जित किया था. कलकता विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की पढ़ाई में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी और उच्च श्रेणी में उच्च स्थान प्राप्त किया. कलकत्ता उच्च न्यायलय में जल्दी ही सफल अधिवक्ता बने और बाद में पटना उच्च न्यायलय बनने के बाद यहां वकालत करते हुए ख्याति-प्राप्त अधिवक्ता बने.

12 वर्षों तक रहे देश के राष्ट्रपति : डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सन 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े और वकालत को त्याग दिया. आजादी के आंदोलन के दौरान कई बार जेल गये. वे आजादी के आंदोलन में एक बडे़ नेता के रूप में उभरकर निकले. अपने योग्य नेतृत्व से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. वे एकमात्र राष्ट्रपति बने, जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री, संविधान सभा के सभापति और 12 वर्षों तक देश के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया.

'राजेंद्र बाबू की जयंती राष्ट्रीय मेधा दिवस के रूप में मने': आगे रविशंकर प्रसाद ने लिखा है कि राजेन्द्र बाबू का पूरा जीवन का निष्कर्ष प्रतिभा और मेधा है. उन्होंने अपने आचरण में सदैव गरिमामयी मर्यादा को महत्वपूर्ण स्थान दिया. वे अजातशत्रु थे. केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में बताया गया है कि ऐसे महान देशभक्त, विलक्षण प्रतिभा के धनी, महान नेता, भारत रत्न जिन्हें पूरा देश देशरत्न पुकारता है और देश के महापुरुषों में एक, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जन्मदिवस 3 दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय मेधा दिवस (National Merit Day) घोषित करना एक बडे़ सम्मान की बात होगी.

ये भी पढ़ें : प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती: सूझ-बूझ से अधिकारों का प्रयोग कर कायम की थी नई मिशाल

पटना: बिहार के पटना साहिब से सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है. रविशंकर प्रसाद ने पत्र के जरिए प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस को यादगार बनाने के लिए अनुरोध किया है. इसके लिए देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस तीन दिसंबर को राष्ट्रीय मेधा दिवास घोषित करने की मांग की है.

असाधारण प्रतिभा के धनी थे राजेंद्र बाबू : रविशंकर प्रसाद ने पत्र में लिखा है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार के छपरा जिले में एक साधारण परिवार में जन्म लेकर अपनी प्रखर प्रतिभा और संकल्प से देश के सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति के रूप में रहकर 12 वर्षों तक अद्वितीय नेतृत्व किया. उनकी सादगी, सरलता, सहजता, ईमानदारी और मर्यादायुक्त आचरण देशवासियों को सदैव प्रेरित करती है. वह बहुत ही प्रतिभावान छात्र थे. जिला स्कूल से उन्होंने तत्कालीन बंगाल बोर्ड द्वारा संचालित मैट्रिक की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था.

रविशंकर प्रसाद ने लिखा पत्र.
रविशंकर प्रसाद ने लिखा पत्र.
हमेशा अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा : पत्र में लिखा है कि अगर आज के संर्दभ में समझे तो उन्होंने आज के बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और असम जैसे बडे़ भूभाग में होने वाली मैट्रिक की परीक्षा में शीर्ष स्थान अर्जित किया था. कलकता विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की पढ़ाई में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी और उच्च श्रेणी में उच्च स्थान प्राप्त किया. कलकत्ता उच्च न्यायलय में जल्दी ही सफल अधिवक्ता बने और बाद में पटना उच्च न्यायलय बनने के बाद यहां वकालत करते हुए ख्याति-प्राप्त अधिवक्ता बने.

12 वर्षों तक रहे देश के राष्ट्रपति : डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सन 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े और वकालत को त्याग दिया. आजादी के आंदोलन के दौरान कई बार जेल गये. वे आजादी के आंदोलन में एक बडे़ नेता के रूप में उभरकर निकले. अपने योग्य नेतृत्व से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. वे एकमात्र राष्ट्रपति बने, जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री, संविधान सभा के सभापति और 12 वर्षों तक देश के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया.

'राजेंद्र बाबू की जयंती राष्ट्रीय मेधा दिवस के रूप में मने': आगे रविशंकर प्रसाद ने लिखा है कि राजेन्द्र बाबू का पूरा जीवन का निष्कर्ष प्रतिभा और मेधा है. उन्होंने अपने आचरण में सदैव गरिमामयी मर्यादा को महत्वपूर्ण स्थान दिया. वे अजातशत्रु थे. केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में बताया गया है कि ऐसे महान देशभक्त, विलक्षण प्रतिभा के धनी, महान नेता, भारत रत्न जिन्हें पूरा देश देशरत्न पुकारता है और देश के महापुरुषों में एक, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जन्मदिवस 3 दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय मेधा दिवस (National Merit Day) घोषित करना एक बडे़ सम्मान की बात होगी.

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