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पटना: बेजुबान जानवरों के लिए डॉक्टर प्रज्ञा का प्रेम, बेसहारा कुत्तों को हर दिन कराती हैं भोजन

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Published : Oct 23, 2019, 7:28 AM IST

डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि रविवार को वो स्पेशल चिकन चावल स्ट्रीट डॉग को खिलाती हैं. जिस दिन उन्हें खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता. उस दिन वह बिस्किट खरीद कर कुत्तों को खिलाती हैं

मिलिए पटना की डॉक्टर प्रज्ञा से

पटना: राजधानी के गोला रोड में रहने वाली डेंटिस्ट डॉ. प्रज्ञा का आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम अद्भुत है. मोहल्ले में लोग इन्हें स्ट्रीट डॉग लवर कहते हैं. मिसेज ग्लोबल कांटेस्ट 2019 की विजेता डॉ. प्रज्ञा बताती हैं कि वह बचपन से ही आवारा कुत्तों को भोजन कराते आ रही हैं. आवारा कुत्तों को भोजन कराने की प्रेरणा उन्हें माता-पिता से मिली है. वह बताती हैं कि पिछले 13- 14 सालों से वह गोला रोड मोहल्ले में रह रही हैं. इस मोहल्ले में 25 से 30 की संख्या में वह रोजाना स्ट्रीट डॉग को भोजन कराती हैं.

dr pragya feed food to street dogs of patna
कुत्तों को बिस्किट खिलातीं डॉ. प्रज्ञा

रविवार को खिलाती हैं चिकन चावल
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि रविवार को वो स्पेशल चिकन चावल स्ट्रीट डॉग को खिलाती हैं. जिस दिन उन्हें खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता. उस दिन वह बिस्किट खरीद कर कुत्तों को खिलाती हैं. उन्होंने बताया कि अगर किसी स्ट्रीट डॉग को कोई जख्म होता है या चोट लगी होती है, तो उसका वह वेटनरी ले जाकर इलाज कराती हैं. उसके बाद अपने पैसे से उसकी देखभाल करती हैं, जब तक वह स्वस्थ नहीं हो जाता.

पेश है रिर्पोट


निस्वार्थ होता है इनका प्रेम
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि जब वह बड़ी होने लगीं, तब उनके माता-पिता आवारा कुत्तों से थोड़ी दूरी बनाने को कहते थे. लेकिन उनका आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम देखकर माता-पिता भी झुक गए. उन्होंने कहा कि जिस दिन उन्हें ऑफिस जाने में जल्दी रहती है. उस दिन उनके पिता कुत्तों को भोजन कराते हैं. इनका प्रेम निस्वार्थ होता है. डॉ. प्रज्ञा बताती हैं कि उनके पति भी आवारा कुत्तों के जख्म को देखते हैं, तो उसे ले जाकर उसका इलाज कराते हैं.

dr pragya feed food to street dogs of patna
रोजाना आवारा कुत्तों को खाना खिलाती हैं डॉ. प्रज्ञा


'कुत्ते बेवजह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते'
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि कुत्तों के झुंड देखने पर जो लोग नगर निगम को फोन कर देते हैं कि इन्हें यहां से ले जाया जाए. यह उन्हें काफी गलत लगता है. कुत्ते भी भगवान के बनाए हुए पशु हैं. वे इंसान से ज्यादा स्मार्ट नहीं होते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि उनका जीने का हक छीन लिया जाए. लोग अगर आवारा कुत्तों से प्रेम से पेश आएंगे, तो कुत्ते बेवजह उन्हें हार्म नहीं करते हैं. डॉ प्रज्ञा के पिता और आईजीआईएमएस के डॉक्टर रविंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शुरुआत में उन्हें यह अजीब लग रहा था. उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में हमने समझाया कि इस तरह की हरकतें करना बंद करें. लेकिन कुत्तों के प्रति उनका लगाव देखकर वह झुक गए.

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डॉ. प्रज्ञा

पटना: राजधानी के गोला रोड में रहने वाली डेंटिस्ट डॉ. प्रज्ञा का आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम अद्भुत है. मोहल्ले में लोग इन्हें स्ट्रीट डॉग लवर कहते हैं. मिसेज ग्लोबल कांटेस्ट 2019 की विजेता डॉ. प्रज्ञा बताती हैं कि वह बचपन से ही आवारा कुत्तों को भोजन कराते आ रही हैं. आवारा कुत्तों को भोजन कराने की प्रेरणा उन्हें माता-पिता से मिली है. वह बताती हैं कि पिछले 13- 14 सालों से वह गोला रोड मोहल्ले में रह रही हैं. इस मोहल्ले में 25 से 30 की संख्या में वह रोजाना स्ट्रीट डॉग को भोजन कराती हैं.

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कुत्तों को बिस्किट खिलातीं डॉ. प्रज्ञा

रविवार को खिलाती हैं चिकन चावल
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि रविवार को वो स्पेशल चिकन चावल स्ट्रीट डॉग को खिलाती हैं. जिस दिन उन्हें खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता. उस दिन वह बिस्किट खरीद कर कुत्तों को खिलाती हैं. उन्होंने बताया कि अगर किसी स्ट्रीट डॉग को कोई जख्म होता है या चोट लगी होती है, तो उसका वह वेटनरी ले जाकर इलाज कराती हैं. उसके बाद अपने पैसे से उसकी देखभाल करती हैं, जब तक वह स्वस्थ नहीं हो जाता.

पेश है रिर्पोट


निस्वार्थ होता है इनका प्रेम
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि जब वह बड़ी होने लगीं, तब उनके माता-पिता आवारा कुत्तों से थोड़ी दूरी बनाने को कहते थे. लेकिन उनका आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम देखकर माता-पिता भी झुक गए. उन्होंने कहा कि जिस दिन उन्हें ऑफिस जाने में जल्दी रहती है. उस दिन उनके पिता कुत्तों को भोजन कराते हैं. इनका प्रेम निस्वार्थ होता है. डॉ. प्रज्ञा बताती हैं कि उनके पति भी आवारा कुत्तों के जख्म को देखते हैं, तो उसे ले जाकर उसका इलाज कराते हैं.

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रोजाना आवारा कुत्तों को खाना खिलाती हैं डॉ. प्रज्ञा


'कुत्ते बेवजह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते'
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि कुत्तों के झुंड देखने पर जो लोग नगर निगम को फोन कर देते हैं कि इन्हें यहां से ले जाया जाए. यह उन्हें काफी गलत लगता है. कुत्ते भी भगवान के बनाए हुए पशु हैं. वे इंसान से ज्यादा स्मार्ट नहीं होते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि उनका जीने का हक छीन लिया जाए. लोग अगर आवारा कुत्तों से प्रेम से पेश आएंगे, तो कुत्ते बेवजह उन्हें हार्म नहीं करते हैं. डॉ प्रज्ञा के पिता और आईजीआईएमएस के डॉक्टर रविंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शुरुआत में उन्हें यह अजीब लग रहा था. उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में हमने समझाया कि इस तरह की हरकतें करना बंद करें. लेकिन कुत्तों के प्रति उनका लगाव देखकर वह झुक गए.

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डॉ. प्रज्ञा
Intro:राजधानी पटना के गोला रोड में रहने वाली डेंटिस्ट डॉक्टर प्रज्ञा का आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम अद्भुत है. मोहल्ले में लोग इन्हें स्ट्रीट डॉग लवर कहते हैं. मिसेज ग्लोबल कांटेस्ट 2019 की विजेता है डॉ प्रज्ञा. डॉक्टर बताती हैं कि वह बचपन से ही आवारा कुत्तों को भोजन कराते आ रही हैं. आवारा कुत्तों को भोजन कराने की प्रेरणा उनके माता-पिता से मिली. वह बताती हैं कि पिछले 13- 14 सालों से वह गोला रोड मोहल्ले में रह रही है और इस मोहल्ले के स्ट्रीट डॉग को वह रोजाना भोजन कराती हैं. उन्होंने बताया की 25 से 30 की संख्या में वह रोजाना स्ट्रीट डॉग को भोजन कराती हैं. उन्होंने बताया कि रविवार को स्पेशल चिकन चावल स्ट्रीट डॉग को खिलाती हैं और जिस दिन उन्हें खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता उस दिन वह बिस्किट खरीद कर कुत्तों को खिलाती हैं.


Body:डॉ प्रज्ञा ने बताया कि अगर किसी स्ट्रीट डॉग को कोई जख्म होता है या चोट लगी होती है तो उसका वह वेटनरी ले जाकर इलाज कराती हैं और अपने पैसे से उसकी देखभाल करती हैं जब तक वह स्वस्थ नहीं हो जाता. उन्होंने बताया कि कुत्तों के झुंड देखने पर जो लोग नगर निगम को फोन कर देते हैं कि इन्हें यहां से ले जाया जाए या उन्हें काफी गलत लगता है. कुत्ते भी भगवान के बनाए हुए पशु हैं और इंसान जितना स्मार्ट नहीं होते इसका मतलब यह नहीं कि उनका जीने का हक छीन लिया जाए. लोग अगर आवारा कुत्तों से प्रेम से पेश आएंगे तो कुत्ते बेवजह उन्हें हार्म नहीं करते हैं.


Conclusion:डॉ प्रज्ञा ने बताया कि जब वह बड़ी होने लगी तक उनके माता-पिता आवारा कुत्तों से थोड़ी दूरी बनाने को कहते रहे लेकिन उनका आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम देखकर माता-पिता भी झुक गए. डॉ प्रज्ञा बताती है कि जिस दिन उन्हें ऑफिस जाने में जल्दी रहती है उस दिन उनके पिता कुत्तों को भोजन कराते हैं. उन्होंने बताया कि कुत्तों की देखभाल मैं महीने में लगभग 3 से चार हजार का खर्च आता है जिसकी उन्होंने कभी हिसाब नहीं की है. डॉ प्रज्ञा ने कहा कि कुत्तों को हम बॉडीगार्ड के रूप में ना देखें यह बहुत अच्छे बेस्ट फ्रेंड साबित होते हैं. इनका प्रेम निस्वार्थ होता है. डॉ प्रज्ञा बताती हैं कि उनके पति भी आवारा कुत्तों के जख्म को देखते हैं तो उसे ले जाकर उसका इलाज कराते हैं.

डॉ प्रज्ञा के पिता और आईजीआईएमएस के डॉक्टर रविंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शुरुआत में उन्हें अजीब लग रहा था जब यह बड़ी हो रही थी और कुत्तों को सड़कों से गोद में उठाकर लेकर चली आती थी. उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में हमने समझाया कि इस तरह की हरकतें करना बंद करें लेकिन कुत्तों के प्रति उनका लगाव देखकर वह झुक गए.

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