पटना: कोरोना संक्रमण देश में काफी खतरनाक होते जा रहा है और आए दिन नए संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. कोरोना के सेकंड वेब में टीनएजर्स और 12 से कम उम्र के छोटे बच्चे भी काफी संक्रमित हो रहे हैं. 18 से कम उम्र के कई बच्चों की कोरोना से जान जा चुकी है. ऐसे में चिकित्सा जगत का साफ मानना है कि कोरोना से अगर निर्णायक जंग जितनी है, तो देश और विश्व के हर नागरिक का कोरोना के खिलाफ टीकाकरण होना जरूरी है.
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टीकाकरण काफी कारगर
अभी विश्व भर में सिर्फ 18 से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण चल रहा है. टीकाकरण काफी कारगर नजर आ रहा है और जिन लोगों ने वैक्सीन का दोनों डोज ले लिया है, उनमें संक्रमण की स्थिति गंभीर नहीं हो रही है. देशभर में सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं और ऑनलाइन क्लास चल रहे हैं.
कोरोना के हाई रिस्क जोन में बच्चे
ऑनलाइन क्लास उतने कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं. क्योंकि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूल-कॉलेज में जाकर क्लास रूम पढ़ाई करने का एक अलग ही महत्व है. बच्चे कोरोना के हाई रिस्क जोन में आते हैं. इस वजह से बच्चों के परिजन ज्यादा चिंतित हैं और यह जानने को इच्छुक हैं कि क्या छोटे बच्चों और टीनएजर्स के लिए भी कोई वैक्सीन आ रही है या नहीं. ऐसे में विश्व में कुछ कंपनियां हैं, जो 12 से 18 साल के बच्चों के लिए जल्द ही कोरोना की वैक्सीन लॉन्च करने की तैयारी में हैं और उनका ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है. बस उन्हें मंजूरी की देर है.
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वैक्सीन का ट्रायल जारी
पटना के वरिष्ठ चिकित्सक और विश्व भर के होने वाले मेडिकल डेवलपमेंट से लगातार अपडेट रहने वाले डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि छोटे बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल जारी है. यह देखने को मिल रहा था कि पिछले एक साल में जब भी स्कूल ओपन हुए तो, बच्चे काफी संख्या में संक्रमित होने लगे. ऐसे में स्कूल को बार-बार बंद करना पड़ा.
"स्कूल-कॉलेजों का बच्चों के डेवलपमेंट और एजुकेशन में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है. ऐसे में वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने 12 से 18 साल के टीनएजर्स और 12 से कम उम्र के किड के लिए वैक्सीन निर्माण करने में अपनी रुचि दिखाई. दो वैक्सीन कंपनियां मॉडर्ना और फाइजर ने 12 से 18 साल के टीनएजर्स के लिए वैक्सीन का अपना ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अप्रूवल के लिए एफडीए के पास भेजा है. ऐसी संभावना बन रही है कि इस गर्मी के मौसम के समाप्त होने से पहले यूएस में इन दोनों वैक्सीन कंपनियों को 12 से 17 वर्ष के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की अनुमति मिल जाए"- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, चिकित्सक
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मेडिकल फील्ड के लिए एक बड़ी उपलब्धि
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि यह अगर एप्रूव्ड होता है तो, मेडिकल फील्ड के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. क्योंकि इससे काफी हद तक एसिंप्टोमेटिक कैरियर कम हो जाएंगे क्योंकि बच्चे सामान्यतः कोरोना के एसिंप्टोमेटिक कैरियर होते हैं. इसके साथ ही स्कूल-कॉलेज भी फिर से सही ढंग से खुल पाएंगे और कोरोना का ट्रांसमिशन भी काफी हद तक कंट्रोल होगा. इसके अलावा ब्रिटेन की एस्ट्राजेनिका, जिसका भारत में निर्माण हो रहा है, वह भी 18 से कम उम्र के और 12 से अधिक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन का ट्रायल कर रही है.
आखिरी दौर में ट्रायल की प्रक्रिया
ट्रायल की प्रक्रिया आखिरी दौर में है. उम्मीद है कि साल 2022 तक बाजार में 12 से 17 वर्ष के बच्चों के लिए कई कंपनियों के वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगे. डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि यूएस की कुछ वैक्सीन निर्माता कंपनियां जैसे कि फाइजर और मॉडर्ना 12 से कम उम्र के किड को लेकर भी वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं. इसके लिए डिफरेंट एज ग्रुप में किड को डिवाइड किया गया है और सब के लिए अलग-अलग डोज पर रिसर्च चल रहा है.
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अलग तरीके से करता है रिएक्ट
एक एज ग्रुप है 6 महीने से 2 साल, दूसरा 2 साल से 6 साल और तीसरा 6 साल से 12 साल के बच्चे का ग्रुप है. सबसे पहले यह ट्रायल बड़े बच्चों में होगी उसके बाद उनसे छोटे में और सबसे अंत में 6 महीने से 2 साल के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल होगा. बच्चों में इम्यूनिटी एडल्ट की तुलना में अलग तरीके से रिएक्ट करता है. ऐसे में यह देखा जा रहा है कि क्या कम डोज में ही बच्चे इम्यूनिटी गेन कर पाते हैं या नहीं. उम्मीद है कि अगले साल तक छोटे बच्चों के लिए भी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगा.