पटना: बिहार के सपूत और महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अब दुनिया में नहीं रहे. पीएमसीएच में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर है. नेतरहाट स्कूल में वशिष्ठ नारायण के जूनियर रहे मशहूर चिकित्सक डॉ. अजय कुमार ने ईटीवी भारत के साथ अपनी यादें साझा की.
ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ. अजय कुमार ने कहा कि वशिष्ठ नारायण की कृति को लोग हमेशा याद रखेंगे. स्कूल की यादें ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि वशिष्ठ नारायण आम छात्रों की तरह ही पढ़ाई करते थे. गणित में उनकी अभिरुचि थी. आरंभिक जीवन वशिष्ठ नारायण का तो काफी सुखद रहा लेकिन विदेश से लौटने के बाद उनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आए.
शिजोफ्रेनिया रोग से ग्रसित थे वशिष्ठ नारायण
डॉ. अजय कुमार ने बताया कि शादी और फिर तलाक होने के बाद वह डिप्रेशन में रहने लगे और शिजोफ्रेनिया रोग से ग्रसित हो गए. काफी इलाज चला. बीच में हालत में कुछ सुधार भी आया था लेकिन तबीयत उनकी फिर बिगड़ गई. मानसिक रूप से कुछ करने समझने में वो समर्थ नहीं थे. कुछ दिनों बाद वो घर से भाग गये थे. अचानक एक दिन उन्हें किसी अन्य जिले में भटकते देखा गया. सूचना मिलने के बाद परिजन उन्हें घर लेकर आये.
सरकार ने नहीं की देखभाल
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार की जिम्मेदारी बनती थी कि वो वशिष्ठ नारायण की देखभाल करे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. डॉ. अजय ने कहा कि नेतरहाट पुल स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी उनके लिए बहुत कुछ करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने भी कई बार वायदे किए लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन गुमनामी में ही गुजर गया. सरकार से जो उन्हें मदद और सम्मान मिलनी चाहिए थी, वो कभी नसीब नहीं हो सका.