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बिहार में 12 दिसंबर को डॉक्टरों का 'असहयोग आंदोलन', नहीं करेंगे मरीजों का इलाज - केंद्र सरकार के फैसले से डॉक्टर नाराज

बिहार के डॉक्टर असल मे सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत आयुर्वेदिक डॉक्टरों को भी सर्जरी की अनुमति दी गई है. कोरोना काल में 12 दिसंबर को प्रस्तावित 'असहयोग आंदोलन' से जाहिर तौर पर लोगों की परेशानी बढ़ सकती है.

IMA
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Published : Dec 2, 2020, 7:22 PM IST

पटना: 12 दिसंबर को बिहार के सभी डॉक्टर्स हड़ताल पर रहेंगे. ये लोग केंद्र सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें आयुर्वेद स्नातकों को सर्जरी की अनुमति दी गई है. प्रदेश में एलोपैथिक डॉक्‍टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आयुर्वेदिक डाक्‍टरों को सर्जरी के अयोग्‍य बताते हुए केंद्र के फैसले के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है.

2 चरणों में होगा आंदोलन
आईएमए के इस चरणबद्ध आंदोलन का पहला दौर 8 दिसंबर से शुरू होगा. जबकि दूसरे चरण में 12 दिसंबर को प्रदेश के डॉक्टर 12 घंटे 'असहयोग आंदोलन' चलाएंगे और मरीजो का इलाज भी नहीं करेंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से संबद्ध डॉक्टरों के आंदोलन के दूसरे मेडिकल एसोसिएशन के भी समर्थन मिल रहा है. इस आंदोलन में जूनियर और सीनियर दोनों स्तर के डॉक्टर शामिल होंगे.

केंद्र के फैसले से डॉक्टरों में रोष
केंद्र का फैसला आने के बाद इंडियन मेडिकल कमीशन के सदस्य और आइएमए बिहार के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने इसका विरोध किया. उसके साथ ही संगठन के सचिव डॉ. सुनील कुमार की ओर से एक पत्र भी भेजा गया. जिसमें कहा गया था कि देश के अप्रशिक्षित आयुर्वेद डॉक्टरों को शल्य प्रक्रिया की अनुमति देना उचित नहीं.

सर्जरी के लिए समुचित सेटअप जरूरी
इनका कहना है कि शल्य प्रक्रिया कितनी भी छोटी क्यों ना हो, उसके लिए एक समुचित सेटअप के साथ ही उचित प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टर, सहायकों के अलावा निश्चेतक की जरूरत होती है. यह जरूरतें अच्छा मेडिकल संस्थान और योग्य डॉक्टर ही पूरी कर सकता है. लेकिन बिना किसी उचित प्रशिक्षण के आयुर्वेद स्नातकों को सर्जरी की अनुमति देने का फैसला सही नही हैं.

आयुर्वेद छात्रों को भी सर्जरी की अनुमति
नए नियमों के मुताबिक आयुर्वेद के छात्र पढ़ाई के दौरान ही शल्य (सर्जरी) और शालक्य चिकित्सा को लेकर प्रशिक्षित किए जाएंगे. इसके तहत डॉक्टर हड्डीरोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-गला (ईएनटी) और दांतों से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे. हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक डाक्‍टरों को सर्जरी के अयोग्‍य बताते हुए केंद्र के फैसले के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है.

पटना: 12 दिसंबर को बिहार के सभी डॉक्टर्स हड़ताल पर रहेंगे. ये लोग केंद्र सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें आयुर्वेद स्नातकों को सर्जरी की अनुमति दी गई है. प्रदेश में एलोपैथिक डॉक्‍टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आयुर्वेदिक डाक्‍टरों को सर्जरी के अयोग्‍य बताते हुए केंद्र के फैसले के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है.

2 चरणों में होगा आंदोलन
आईएमए के इस चरणबद्ध आंदोलन का पहला दौर 8 दिसंबर से शुरू होगा. जबकि दूसरे चरण में 12 दिसंबर को प्रदेश के डॉक्टर 12 घंटे 'असहयोग आंदोलन' चलाएंगे और मरीजो का इलाज भी नहीं करेंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से संबद्ध डॉक्टरों के आंदोलन के दूसरे मेडिकल एसोसिएशन के भी समर्थन मिल रहा है. इस आंदोलन में जूनियर और सीनियर दोनों स्तर के डॉक्टर शामिल होंगे.

केंद्र के फैसले से डॉक्टरों में रोष
केंद्र का फैसला आने के बाद इंडियन मेडिकल कमीशन के सदस्य और आइएमए बिहार के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने इसका विरोध किया. उसके साथ ही संगठन के सचिव डॉ. सुनील कुमार की ओर से एक पत्र भी भेजा गया. जिसमें कहा गया था कि देश के अप्रशिक्षित आयुर्वेद डॉक्टरों को शल्य प्रक्रिया की अनुमति देना उचित नहीं.

सर्जरी के लिए समुचित सेटअप जरूरी
इनका कहना है कि शल्य प्रक्रिया कितनी भी छोटी क्यों ना हो, उसके लिए एक समुचित सेटअप के साथ ही उचित प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टर, सहायकों के अलावा निश्चेतक की जरूरत होती है. यह जरूरतें अच्छा मेडिकल संस्थान और योग्य डॉक्टर ही पूरी कर सकता है. लेकिन बिना किसी उचित प्रशिक्षण के आयुर्वेद स्नातकों को सर्जरी की अनुमति देने का फैसला सही नही हैं.

आयुर्वेद छात्रों को भी सर्जरी की अनुमति
नए नियमों के मुताबिक आयुर्वेद के छात्र पढ़ाई के दौरान ही शल्य (सर्जरी) और शालक्य चिकित्सा को लेकर प्रशिक्षित किए जाएंगे. इसके तहत डॉक्टर हड्डीरोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-गला (ईएनटी) और दांतों से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे. हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक डाक्‍टरों को सर्जरी के अयोग्‍य बताते हुए केंद्र के फैसले के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है.

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