पटना : मकर संक्रांति को हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है. यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. देश में मकर संक्रांति त्योहार को अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति मनाने के बाद खरमास माह की समाप्ति हो जाती है, इसके बाद शुभ कार्यक्रम का आगाज हो जाता है. ऐसे में मकर संक्रांति को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाए या 15 जनवरी को?
जानें मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त : आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि हिंदुओं का बड़ा त्योहार है. सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है. उसी दिन मकर सक्रांति मनाया जाता है. इस साल 14 जनवरी कि रात यानी 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 44 मिनट पर सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए. लोग गंगा नदी तालाब पोखर में स्नान नहीं कर सकते हैं. वह घर पर गंगाजल डालकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद पूजा पाठ का भी विशेष महत्व है.
संक्रांति पर सूर्य और शनि का मिलन : मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि का मिलन होता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं. जहां पर वह पूरे एक माह तक रहते हैं. उन्होंने कहा कि मकर के साथ-साथ कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव है. ऐसे में मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलते इसलिए सूर्य देवता काफी प्रसन्न होते हैं.
मकर संक्रांति में दान का महत्व : पूजा पाठ करने के बाद तिल अनाज छूकर ब्राह्मण को दान दिया जाता है. अपने पितृ के लिए जल भी देना चाहिए, जल में तिल अवश्य डालें जिससे कि पितृ शांत रहते हैं. मनोज मिश्रा ने कहा कि ''मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन काली उड़द, चावल, गुड़, तिल, घी आदि का दान काफी अच्छा माना जाता है. इसके अलावा जरूरत मंद लोगों को फल, कंबल भी दान किया जाता है. गरीबों को खिचड़ी खिलाने का भी विशेष महत्व है.''
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