पटना: बिहार के तमाम शहरी इलाकों को 31 मार्च तक लॉक डाउन कर दिया गया है. बावजूद इसके, कई लोग सड़क पर बिना कारण घूम रहे हैं. ऐसे लोगों को प्रशासन की ओर से गंभीर चेतावनी जारी की गई है और अपील भी की जा रही है कि वह अपने घर में रहकर सहयोग करें. अगर बाहर निकलेंगे, तो पुलिस को जवाब देना पड़ेगा कि वे कहां जा रहे हैं. वहीं, निजी दफ्तरों के खुले रहने पर भी पटना जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है.
पटना में डीएम, एसएसपी और तमाम अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार ने कहा कि पटना में तमाम इलाकों की सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है. लोगों को बार-बार यह अपील की जा रही है कि वह बिना कारण घर से न निकलें.
होगी एफआईआर
संजय कुमार ने बताया कि सिर्फ किराना दुकान और दवा दुकानों के अलावा किसी भी अन्य दुकान को खोलने की इजाजत नहीं है. अस्पताल, मीडिया, पुलिस प्रशासन और नगर निगम कर्मियों के अलावा कुछ चुनिंदा सेवा देने वाले दफ्तरों को ही सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान खोले रहने की इजाजत दी गई है. इनके अलावा अगर कोई भी निजी दफ्तर खुले रहते हैं, तो उन्हें बंद करके उनपर एफआईआर दर्ज किया जा रहा है.
बाहरी लोगों की स्क्रीनिंग
वहीं, मीठापुर में कुछ बसों के खुलने और उनपर लोगों की भीड़ को लेकर परिवहन सचिव सह पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि प्रशासन की देखरेख में जो लोग बाहर से आए हैं. उन्हें स्क्रीनिंग के बाद उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए यह व्यवस्था की गई है. लेकिन जब ट्रेन और बस सेवा पूरी तरह बंद हो गई, उसके बाद यह सुविधा भी उपलब्ध नहीं रहेगी. उन्होंने फुटपाथ और अन्य बेघर लोगों के लिए कहा कि वे रैन बसेरा का सहारा ले सकते हैं.
- एक तरफ पटना के प्रमंडलीय आयुक्त पटना डीएम एसएसपी समेत तमाम अधिकारी विभिन्न सड़कों पर घूम कर हालात का जायजा ले रहे हैं. वहीं, लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मीटिंग के जरिए परिस्थितियों पर निगाह रखे हुए हैं.