पटना/नई दिल्ली: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और आरसीपी सिंह (Dispute Between RCP Singh And Lalan Singh) के बीच की तल्खी गाहे बगाहे सामने आ ही जाती है. शनिवार को जब ललन सिंह ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 ( Controversy in JDU over UP election 2022 ) के लिए 26 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की तो ललन-आरपीसी की दूरी साफ झलकी. पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में ललन सिंह ने बीजेपी पर जितने हमले नहीं किए, उससे ज्यादा आरसीपी सिंह को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि, आरसीपी सिंह के कहने पर ही हम बीजेपी के जवाब का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
यूपी विधानसभा चुनाव (UP election 2022) के कारण बिहार की सियासत में उबाल तो है ही लेकिन इसका असर जेडीयू के अंदर भी देखने को मिल रहा है. पार्टी में एक तरफ आरसीपी सिंह का खेमा है, तो दूसरी तरफ जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह का. दोनों खेमों के बीच यूपी चुनाव को लेकर एक मत नहीं बन रहा है. आरसीपी सिंह लगातार बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने की बात कहते रहे, लेकिन ललन सिंह ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए कहीं न कहीं आरसीपी सिंह की रणनीति पर भी सवाल खड़े कर दिए. ललन सिंह ने साफ-साफ तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों इशारों में इतना जरूर कह दिया कि आरसीपी सिंह के कहने पर हम आज तक इंतजार कर रहे थे.
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"भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कल शाम तक कोई जवाब नहीं आया. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष माननीय नड्डा साहब ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर ये कहा कि,उत्तर प्रदेश में उनके दो सहयोगी हैं, संजय सहनी की पार्टी और अपना दल. उसके बाद भी हमने कहा कि, अगर बीजेपी हमारे साथ समझौता करना चाहती है तो उनको ये कम से कम कहना तो पड़ेगा. तभी तो हम मानेंगे. लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया. आरसीपी सिंह के कहने पर ही हमने एक दो दिन तक इंतजार किया लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया. इसलिए 26 विधानसभाओं की सूची हमलोग जारी कर रहे हैं."- ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जहां बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है. वहीं, बिहार में सहयोगी जदयू का बीजेपी से तालमेल नहीं हो सका. उत्तर प्रदेश चुनाव के कारण जदयू के अंदर ही घमासान मचा है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) यूपी चुनाव के बहाने आरसीपी सिंह (RCP Singh) को पार्टी के बैड बुक में लाने की कोशिश कर रहे हैं. ललन सिंह यूपी में 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहते हैं, 26 सीटों की लिस्ट भी जारी कर दी गई है.
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बता दें कि, यूपी चुनाव अब जदयू के दो नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. 2017 में भी पार्टी ने पूरी तैयारी की थी, लेकिन चुनाव नहीं लड़ी थी और इसका ठीकरा शरद यादव के माथे पर फोड़ा गया था. पार्टी 2017 में चुनाव नहीं लड़ने को बड़ी भूल बताती रही है. 2017 की स्थिति इस बार भी बनती दिखी, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ललन सिंह के तेवर आरसीपी सिंह पर सख्त साफ दिखे. दरअसल आरसीपी सिंह चाहते थे कि, चुनाव बीजेपी से तालमेल में ही लड़ा जाए.
जदयू के अंदर की खींचतान से पार्टी को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. ललन सिंह (Lalan Singh have different policy regarding UP election) यूपी चुनाव के बहाने आरसीपी सिंह को फंसाना भी चाहते हैं. लेकिन ललन सिंह के लिए भी उत्तर प्रदेश में बिना बीजेपी के सहयोग के चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा.
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जदयू का बिहार में बीजेपी के साथ लंबे समय से तालमेल है. बिहार में पार्टी का संगठन भी है लेकिन बिहार से बाहर जदयू का मजबूत संगठन कहीं नहीं है. पार्टी पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी है और अधिकांश जगह उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बचा सकी. बिहार से बाहर दिल्ली में जदयू का बीजेपी के साथ तालमेल भी पिछले विधानसभा चुनाव में हुआ था. लेकिन उसमें भी सफलता हाथ नहीं लगी.
अब यूपी चुनाव में आरसीपी सिंह चाहते थे कि, हर हाल में बीजेपी के साथ तालमेल हो जाए और तभी चुनाव लड़े. लेकिन ललन सिंह लगातार बयान देते रहे कि, तालमेल नहीं हुआ तो पार्टी 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उन्होंने उम्मीदवार भी तय कर दिया है. जदयू के दोनों शीर्ष नेताओं के कारण पार्टी के अंदर घमासान होता दिख रहा है.
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सीएम नीतीश ने भी अपना समर्थन ललन सिंह को दिया है, तभी तो उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर पाना संभव हुआ है. कहीं न कहीं अब इस फैसले का असर बिहार की सियासत भी होगा. बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव में अपना दल और निषाद की पार्टी से समझौता कर चुकी है. ऐसे में अगर बीजेपी, जदयू के साथ सीटों पर समझौता करती तो उसे अपने हिस्से से ही सीट देनी पड़ती, जिसके लिए बीजेपी खुदको मना नहीं सकी.
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बता दें कि, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच अंदरखाने में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जेडीयू (JDU) में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए कुर्मी और कुशवाहा को एकजुट करने की कोशिश की तो वहीं संगठन स्तर पर भी बड़े बदलाव किए. इस बीच ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के समय बनाए गए सभी प्रकोष्ठों और इकाई को भंग करवा दिया था. तभी से गुटबाजी का खेल पार्टी के अंदर जारी है.
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