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पटना: पुस्तक मेला में यक्षिणी पुस्तक पर परिचर्चा, लोगों की उमड़ी भीड़ - पटना म्यूजियम

पटना के गांधी मैदान में आयोजिक पुस्तक मेला में युवाओं की भीड़ काफी देखने को मिल रही है. इस बार वैचारिक किताबें बहुत बिक रही है.

यक्षिणी पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन
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Published : Nov 16, 2019, 8:09 AM IST

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेला में पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. काफी संख्या में लोग पुस्तक मेला में आ रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं. शुक्रवार के दिन स्कूली छात्रों की काफी भीड़ देखने को मिली. पुस्तक मेला में डॉ. विनय कुमार की यक्षिणी पुस्तिक पर भी परिचर्चा का आयोजन किया गया.

डॉ. विनय कुमार ने यक्षिणी पर एक काव्य संग्रह लिखा है. यक्षिणी काव्य श्रृंखला के लेखक डॉ. विनय कुमार ने बताया कि 1917 में दीदारगंज में खुदाई के दौरान यक्षिणी की प्रतिमा मिली थी जिसे पटना म्यूजियम में रखा गया था. यह मूर्ति जब कुछ सालों पहले पुराने म्यूजियम से नए म्यूजियम में ले जा कर रखी जा रही थी तब उन्होंने यक्षिणी पर कुछ कविता लिखी थी, जो आगे चलकर 86 कविताओं की काव्य श्रृंखला बन गई.

पुस्तक मेला में यक्षिणी पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन

पुस्तक मेला में युवाओं की उमड़ी भीड़
वाणी प्रकाशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अदिति महेश्वरी गोयल बताती हैं कि इस बार पुस्तक मेला में युवाओं की भीड़ काफी देखने को मिल रही है. पुस्तक मेला आने वाले लोगों में 90% लोग युवा वर्ग के हैं. युवा पुस्तकें खरीद रहे हैं, देख रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस पर चर्चा भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैचारिक किताबें बहुत बिक रही है. कटिहार टू केनेडी पुस्तक पाठक अधिक पसंद कर रहे हैं. यह संजय सिंह का ऑटोबायोग्राफी है जो हावर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया हेड हैं. बता दें कि 8 नवंबर से आयोजित यह मेला 18 नवंबर तक चलेगा.

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेला में पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. काफी संख्या में लोग पुस्तक मेला में आ रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं. शुक्रवार के दिन स्कूली छात्रों की काफी भीड़ देखने को मिली. पुस्तक मेला में डॉ. विनय कुमार की यक्षिणी पुस्तिक पर भी परिचर्चा का आयोजन किया गया.

डॉ. विनय कुमार ने यक्षिणी पर एक काव्य संग्रह लिखा है. यक्षिणी काव्य श्रृंखला के लेखक डॉ. विनय कुमार ने बताया कि 1917 में दीदारगंज में खुदाई के दौरान यक्षिणी की प्रतिमा मिली थी जिसे पटना म्यूजियम में रखा गया था. यह मूर्ति जब कुछ सालों पहले पुराने म्यूजियम से नए म्यूजियम में ले जा कर रखी जा रही थी तब उन्होंने यक्षिणी पर कुछ कविता लिखी थी, जो आगे चलकर 86 कविताओं की काव्य श्रृंखला बन गई.

पुस्तक मेला में यक्षिणी पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन

पुस्तक मेला में युवाओं की उमड़ी भीड़
वाणी प्रकाशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अदिति महेश्वरी गोयल बताती हैं कि इस बार पुस्तक मेला में युवाओं की भीड़ काफी देखने को मिल रही है. पुस्तक मेला आने वाले लोगों में 90% लोग युवा वर्ग के हैं. युवा पुस्तकें खरीद रहे हैं, देख रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस पर चर्चा भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैचारिक किताबें बहुत बिक रही है. कटिहार टू केनेडी पुस्तक पाठक अधिक पसंद कर रहे हैं. यह संजय सिंह का ऑटोबायोग्राफी है जो हावर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया हेड हैं. बता दें कि 8 नवंबर से आयोजित यह मेला 18 नवंबर तक चलेगा.

Intro:राजधानी पटना के गांधी मैदान में चल रहे पटना पुस्तक मेला में पटना वासियों का पुस्तकों के प्रति प्रेम देखने को मिल रहा है. काफी संख्या में लोग पुस्तक मेला में आ रहे हैं और पुस्तके देख रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं. शुक्रवार के दिन स्कूली छात्रों की काफी भीड़ देखने को मिली. पुस्तक मेला में डॉ विनय कुमार की यक्षिणी पुस्तिका पर परिचर्चा का आयोजन भी कराया गया. यक्षिणी पर उन्होंने एक काव्य संग्रह लिखा है.


Body:यक्षिणी काव्य श्रृंखला के लेखक डॉ विनय कुमार ने बताया कि 1917 में दीदारगंज में खुदाई के दौरान यक्षिणी की प्रतिमा मिली थी जिसे पटना म्यूजियम में रखा गया था. यह मूर्ति जब कुछ सालों पहले पुराने म्यूजियम से नए म्यूजियम में ले जा कर रखी जा रही थी तब उन्होंने यक्षिणी पर कुछ कविता लिखी थी जो आगे चलकर 86 कविताओं की काव्य श्रृंखला बन गई.


Conclusion:इस बार पटना पुस्तक मेला में युवाओं की रुचि देखने को मिल रही है. वाणी प्रकाशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अदिति महेश्वरी गोयल बताती हैं कि इस बार पुस्तक मेला में युवाओं की भीड़ काफी देखने को मिल रही है और पुस्तक मेला आने वाले लोगों में 90% युवा वर्ग के हैं. यह वर्ग पुस्तकें खरीद रहे हैं देख रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस पर चर्चा भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बार पुस्तक मेला में यह मिथक टूटी है कि युवा वर्ग पढ़ने में अभिरुचि नहीं ले रहा है. उन्होंने बताया कि वैचारिक किताबें बहुत बिक रही है. कटिहार टू केनेडी पुस्तक उनके स्टॉल पर अधिक पाठक पसंद कर रहे हैं. यह संजय सिंह का ऑटो बायोग्राफी है जो हावर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया हेड हैं.
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