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किताब खरीदने के लिए पैसे पहुंचे अकाउंट में, फिर भी बिना पुस्तक बच्चे कर रहे पढ़ाई

राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चे किताबें नहीं खरीद रहे हैं. वह भी तब, जब उन्हें किताबें खरीदने के लिए सरकार पैसे दे रही है. अभिभावक बच्चों की पाठ्यपुस्तकों के पैसे घर-परिवार की दूसरी जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं. इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई (Bihar Education) पर पड़ रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

bihar education news today
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Published : Aug 30, 2021, 8:08 PM IST

पटना: पिछले कई सालों से बिहार में बच्चों को सरकारी स्कूल (Bihar Government School) में किताबें नहीं मिलने की शिकायत आम बात हो गई थी. तमाम शिकायतों और कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के मद्देनजर सरकार ने इस साल से बच्चों को किताब के लिए पैसे अकाउंट में भेजने शुरू किए हैं. लेकिन अब नई मुसीबत यह है कि पैसे मिलने के बाद भी बच्चे किताब खरीद नहीं रहे हैं. अभिभावक इन पैसों से अपनी दूसरी जरुरतें पूरी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- उच्च शिक्षा के मामले में फिसड्डी है बिहार, GER बढ़ाने के लिए करने होंगे ये उपाय

ई कंटेंट (E-Content) के लिए सरकार प्रयास कर रही है लेकिन इसे भी लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब गरीब बच्चों के परिवार के पास मोबाइल, लैपटॉप या टैब नहीं हैं तो ई कंटेंट से पढ़ाई कैसे होगी. बिहार के 72000 सरकारी प्राइमरी और मध्य विद्यालयों में कक्षा 2 से 8 के करीब सवा करोड़ बच्चों को पाठ्य पुस्तक खरीदने के लिए शिक्षा विभाग 402 करोड़ 71 लाख 15 हजार 200रुपये जारी कर रहा है. यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (Direct Benefit Transfer) के जरिए सीधे बच्चों के अकाउंट में जाएगी. बता दें कि दूसरी से चौथी कक्षा के बच्चों को प्रति बच्चा 250 रुपये मिलेंगे जबकि पांचवी से आठवीं कक्षा के बच्चों को प्रति बच्चा 400 रुपये मिलेंगे.

देखें वीडियो

भाजपा नेता और शिक्षकों के प्रतिनिधि नवल किशोर यादव ने बताया कि पिछले साल के कड़वे अनुभवों के आधार पर शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है. किताब खरीदने के लिए बच्चों को सीधे उनके अकाउंट में पैसे भेजे जाएंगे जिससे वह समय पर किताब खरीद सकें और पढ़ाई कर सकें.

अधिकांश बच्चे किताब नहीं खरीद रहे हैं. इससे पठन पाठन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मैं सरकार से अपील करता हूं कि वो बच्चों को किताब उपलब्ध कराए पैसा देने से काम नहीं चलेगा यह पर्याप्त नहीं है.- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ

हालांकि सरकार के इस निर्णय को लेकर प्राथमिक शिक्षकों ने सवाल खड़े किए हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार ने फैसला तो सही किया है लेकिन परेशानी यह है कि बच्चे पैसे मिलने के बाद भी किताब नहीं खरीद रहे. इसलिए बेहतर यही हो कि सरकार बच्चों को किताब मुहैया कराए.

सरकार की एक कोशिश यह भी है कि ई लाइब्रेरी के जरिए सरकारी स्कूल का पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है. कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों के लिए पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध है और इस ई कंटेंट को बच्चे पढ़ें, इसके लिए स्कूलों में शिक्षकों को निर्देश जारी किया गया है कि वे बच्चों और उनके अभिभावकों को उसके बारे में जानकारी दें.

कई वर्षों से किताबें समय पर प्रिंट नहीं हो पाती थी इसलिए सरकार ने निर्णय लिया कि ऑनलाइन बच्चों को पैसा मुहैया करा दिया जाएगा. ताकि समय पर बच्चे किताब खरीद सकें. शिक्षक जब बच्चों पर किताब को लेकर दबाव बनाएंगे अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी तो वे किताब जरूर खरीदेंगे.- नवल किशोर यादव, भाजपा एमएलसी

लेकिन ना सिर्फ प्राथमिक शिक्षक संघ बल्कि बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने भी इस पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह संभव नहीं है क्योंकि यह सबको पता है कि सरकारी स्कूलों में सबसे गरीब घरों के बच्चे पढ़ते हैं उनके पास कोई डिजिटल डिवाइस नहीं है तो वे इन लाइब्रेरी से पढ़ाई कैसे करेंगे.

यह भी पढ़ें- बिहार: कालेजों और विश्वविद्यालयों में भुगतान बकाया तो कैसे मिलेगी मुफ्त शिक्षा

यह भी पढ़ें- शिक्षा विभाग और संघ आमने-सामने, महज 11000 शिक्षकों ने अब तक अपलोड किया सर्टिफिकेट

पटना: पिछले कई सालों से बिहार में बच्चों को सरकारी स्कूल (Bihar Government School) में किताबें नहीं मिलने की शिकायत आम बात हो गई थी. तमाम शिकायतों और कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के मद्देनजर सरकार ने इस साल से बच्चों को किताब के लिए पैसे अकाउंट में भेजने शुरू किए हैं. लेकिन अब नई मुसीबत यह है कि पैसे मिलने के बाद भी बच्चे किताब खरीद नहीं रहे हैं. अभिभावक इन पैसों से अपनी दूसरी जरुरतें पूरी कर रहे हैं.

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ई कंटेंट (E-Content) के लिए सरकार प्रयास कर रही है लेकिन इसे भी लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब गरीब बच्चों के परिवार के पास मोबाइल, लैपटॉप या टैब नहीं हैं तो ई कंटेंट से पढ़ाई कैसे होगी. बिहार के 72000 सरकारी प्राइमरी और मध्य विद्यालयों में कक्षा 2 से 8 के करीब सवा करोड़ बच्चों को पाठ्य पुस्तक खरीदने के लिए शिक्षा विभाग 402 करोड़ 71 लाख 15 हजार 200रुपये जारी कर रहा है. यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (Direct Benefit Transfer) के जरिए सीधे बच्चों के अकाउंट में जाएगी. बता दें कि दूसरी से चौथी कक्षा के बच्चों को प्रति बच्चा 250 रुपये मिलेंगे जबकि पांचवी से आठवीं कक्षा के बच्चों को प्रति बच्चा 400 रुपये मिलेंगे.

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भाजपा नेता और शिक्षकों के प्रतिनिधि नवल किशोर यादव ने बताया कि पिछले साल के कड़वे अनुभवों के आधार पर शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है. किताब खरीदने के लिए बच्चों को सीधे उनके अकाउंट में पैसे भेजे जाएंगे जिससे वह समय पर किताब खरीद सकें और पढ़ाई कर सकें.

अधिकांश बच्चे किताब नहीं खरीद रहे हैं. इससे पठन पाठन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मैं सरकार से अपील करता हूं कि वो बच्चों को किताब उपलब्ध कराए पैसा देने से काम नहीं चलेगा यह पर्याप्त नहीं है.- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ

हालांकि सरकार के इस निर्णय को लेकर प्राथमिक शिक्षकों ने सवाल खड़े किए हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार ने फैसला तो सही किया है लेकिन परेशानी यह है कि बच्चे पैसे मिलने के बाद भी किताब नहीं खरीद रहे. इसलिए बेहतर यही हो कि सरकार बच्चों को किताब मुहैया कराए.

सरकार की एक कोशिश यह भी है कि ई लाइब्रेरी के जरिए सरकारी स्कूल का पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है. कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों के लिए पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध है और इस ई कंटेंट को बच्चे पढ़ें, इसके लिए स्कूलों में शिक्षकों को निर्देश जारी किया गया है कि वे बच्चों और उनके अभिभावकों को उसके बारे में जानकारी दें.

कई वर्षों से किताबें समय पर प्रिंट नहीं हो पाती थी इसलिए सरकार ने निर्णय लिया कि ऑनलाइन बच्चों को पैसा मुहैया करा दिया जाएगा. ताकि समय पर बच्चे किताब खरीद सकें. शिक्षक जब बच्चों पर किताब को लेकर दबाव बनाएंगे अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी तो वे किताब जरूर खरीदेंगे.- नवल किशोर यादव, भाजपा एमएलसी

लेकिन ना सिर्फ प्राथमिक शिक्षक संघ बल्कि बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने भी इस पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह संभव नहीं है क्योंकि यह सबको पता है कि सरकारी स्कूलों में सबसे गरीब घरों के बच्चे पढ़ते हैं उनके पास कोई डिजिटल डिवाइस नहीं है तो वे इन लाइब्रेरी से पढ़ाई कैसे करेंगे.

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