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मानव की शक्ल में जी रहे दानवों के मानवाधिकार पर होना चाहिए विचार- DGP

मानवाधिकार दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में डीजीपी ने कहा कि अपराधियों के मानवाधिकार की सीमा होना चाहिए. जरूरी है ये तय करना कि मानवाधिकार किसको मिले और किस परिस्थिति में मिले.

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Published : Dec 10, 2019, 5:39 PM IST

गुप्तेश्वर पांडेय, डीजीपी
गुप्तेश्वर पांडेय, डीजीपी

पटना: मंगलवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने प्रदेश में बढ़ रहे क्राइम पर चिंता जाहिर की. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने साफ कहा कि इन दिनों महिलाओं के साथ जो हो रहा है वो दुर्भाग्यपूर्ण है. आए दिन दुष्कर्म, दहेज उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में अगर आरोपियों के मानवाधिकार की बात की जाए तो वर्तमान में इस विषय पर सोचने की जरूरत है.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा है कि जिस देश में महिलाओं की पूजा होती है. आज उसी देश में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात हो रही है. उन्हें जिंदा जलाया जा रहा है. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मानव की शक्ल में जी रहे दानवों का कोई मानवाधिकार नहीं है.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का बयान

ये भी पढ़ें: नागरिकता संशोधन बिल पर JDU के समर्थन पर कांग्रेस का तंज, 'बार-बार U टर्न ले रहे नीतीश'

तय हो मानवाधिकार का पैमाना- गुप्तेश्वर पांडेय
मानवाधिकार दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में डीजीपी ने कहा कि अपराधियों के मानवाधिकार की सीमा होनी चाहिए. जरूरी है ये तय करना कि मानवाधिकार किसको मिले और किस परिस्थिति में मिले. इसका सही से उदाहरण दिया जाए. डीजीपी ने कहा कि अब समय आ गया है जब समाज में रहने वाले विकृत मानसिकता के लोगों के लिए कानून पर विचार हो.

पटना: मंगलवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने प्रदेश में बढ़ रहे क्राइम पर चिंता जाहिर की. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने साफ कहा कि इन दिनों महिलाओं के साथ जो हो रहा है वो दुर्भाग्यपूर्ण है. आए दिन दुष्कर्म, दहेज उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में अगर आरोपियों के मानवाधिकार की बात की जाए तो वर्तमान में इस विषय पर सोचने की जरूरत है.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा है कि जिस देश में महिलाओं की पूजा होती है. आज उसी देश में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात हो रही है. उन्हें जिंदा जलाया जा रहा है. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मानव की शक्ल में जी रहे दानवों का कोई मानवाधिकार नहीं है.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का बयान

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तय हो मानवाधिकार का पैमाना- गुप्तेश्वर पांडेय
मानवाधिकार दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में डीजीपी ने कहा कि अपराधियों के मानवाधिकार की सीमा होनी चाहिए. जरूरी है ये तय करना कि मानवाधिकार किसको मिले और किस परिस्थिति में मिले. इसका सही से उदाहरण दिया जाए. डीजीपी ने कहा कि अब समय आ गया है जब समाज में रहने वाले विकृत मानसिकता के लोगों के लिए कानून पर विचार हो.

Intro:एंकर राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने कहा है कि जिस देश मे नारी को समाज मे बड़ा स्थान दिया जाता है वहां आजकल जो घटना हो रही है वो दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि जिस तरह छोटे छोटे बच्चीयों के साथ बलात्कार की खबरे आ रही है निश्चित तौर पर ऐसे घटना को अंजाम देनेवाले लोगों के लिए मानवाधिकार की बात पर अब एक बार सोचने का समय आ गया है उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सोच जाय कि क्या उन्हें भी मानवता का अधिकार मिलना चाहिए जो समाज मे दानव के रूप में हैं जो 3 साल के बच्चीयों को बलात्कार करने के बाद जिंदा जला देते है


Body: पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे आज बिहार मानवाधिकार आयोग के 11वां स्थापना दिवस पर बोल रहे थे उन्होंने कहा कि यदा-कदा पुलिसिया कार्रवाई में मानवाधिकार का उल्लंघन हो जाता है निश्चित तौर पर इसमें जो दोषी होते हैं उन्हें सजा मिलता है और कई ऐसे झूठे भी मामले होते हैं उसका हम लोग अन्वेषण करते हैं लेकिन जरूरी है कि मानवाधिकार किसको मिले और किस परिस्थिति में मिले इसका सही से उदाहरण दिया जाएगा और अब समय आ गया है जब समाज में विकृत मानसिकता के लोग कुछ ऐसे कर जाते हैं तब ऐसे कानून पर विचार होने की गुंजाइश होती है जो खुद मानवता का उलंघन कर समाज मे विद्वेष फैलाते है निश्चित तौर पर मानव होने का अधिकार उन्हें नही है


Conclusion:
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