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माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी, घाट पर उमड़ी बंपर भीड़ - गंगा स्नान

उत्तरायणी गंगा के तट पर बसा उमानाथ धाम, जहां मांघी पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोग गंगा स्नान करते है. वहीं, बाढ़ प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का भरपूर ख्याल रखा जाता है.

गंगा घाट
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Published : Feb 9, 2020, 9:59 AM IST

पटना: माघी पूर्णिमा को लेकर अनुमंडल के अलग-अलग गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे है. वहीं, बाढ़ के प्रसिद्ध उमानाथ घाट में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है. वहीं, बाढ़ के उमानाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि 'बाढ़-बनारस एक है बसे गंगा के तीर उमानाथ के दर्शन से कंचन होत शरीर है'.

patna
गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
श्रद्धालुओं की दिखी भीड़
इसी कहावत को चरितार्थ करने हेतु हर साल बाढ़ के उमानाथ धाम में प्रदेश के अन्य जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं और गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं. इस बार भी बाढ़ रेलवे स्टेशन 1 दिन पहले से ही खचाखच भरा हुआ था. बाढ़ शहर के चप्पे-चप्पे पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही है. इस धाम में गंगा स्नान को लेकर लोग पहले से ही मन्नत मान कर रखते है और मन्नत की पूर्ति होते ही लोग अपने-अपने तरीके से गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करते है. कहीं मुंडन की परंपरा, कहीं मवेशी दान की, कहीं भूत खेलने की परंपरा है.
देखें पूरी रिपोर्ट

नहीं मिला राष्ट्रीय मेले का दर्जा
बाढ़ प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का भरपूर ख्याल रखा जाता है. पानी, बिजली, सुरक्षा पर एक सप्ताह पहले ही प्रशासन की ओर से तैयारी की जाती है. तब जाकर संपन्न होता है माघी पूर्णिमा का विशाल मेला. बाढ़ वासियों को आज भी अफसोस है कि-हर साल उमानाथ धाम में लाखों की संख्या में लोग पूजा अर्चना करते हैं. लेकिन आज तक न तो बाढ़ जिला का दर्जा ले पाया है, और न हीं यहां का विशाल मेला 'राष्ट्रीय मेला' का दर्जा ले पाया है. जबकि बिहार में लगने वाली सिमरिया मेला और चौहरमल मेला को बहुत पहले ही 'राष्ट्रीय मेला' का दर्जा प्राप्त हो चुका है.

पटना: माघी पूर्णिमा को लेकर अनुमंडल के अलग-अलग गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे है. वहीं, बाढ़ के प्रसिद्ध उमानाथ घाट में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है. वहीं, बाढ़ के उमानाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि 'बाढ़-बनारस एक है बसे गंगा के तीर उमानाथ के दर्शन से कंचन होत शरीर है'.

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गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
श्रद्धालुओं की दिखी भीड़
इसी कहावत को चरितार्थ करने हेतु हर साल बाढ़ के उमानाथ धाम में प्रदेश के अन्य जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं और गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं. इस बार भी बाढ़ रेलवे स्टेशन 1 दिन पहले से ही खचाखच भरा हुआ था. बाढ़ शहर के चप्पे-चप्पे पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही है. इस धाम में गंगा स्नान को लेकर लोग पहले से ही मन्नत मान कर रखते है और मन्नत की पूर्ति होते ही लोग अपने-अपने तरीके से गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करते है. कहीं मुंडन की परंपरा, कहीं मवेशी दान की, कहीं भूत खेलने की परंपरा है.
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नहीं मिला राष्ट्रीय मेले का दर्जा
बाढ़ प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का भरपूर ख्याल रखा जाता है. पानी, बिजली, सुरक्षा पर एक सप्ताह पहले ही प्रशासन की ओर से तैयारी की जाती है. तब जाकर संपन्न होता है माघी पूर्णिमा का विशाल मेला. बाढ़ वासियों को आज भी अफसोस है कि-हर साल उमानाथ धाम में लाखों की संख्या में लोग पूजा अर्चना करते हैं. लेकिन आज तक न तो बाढ़ जिला का दर्जा ले पाया है, और न हीं यहां का विशाल मेला 'राष्ट्रीय मेला' का दर्जा ले पाया है. जबकि बिहार में लगने वाली सिमरिया मेला और चौहरमल मेला को बहुत पहले ही 'राष्ट्रीय मेला' का दर्जा प्राप्त हो चुका है.

Intro:माघी पूर्णिमा को लेकर अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे है। बाढ़ के प्रसिद्ध उमानाघाट में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।Body:बाढ़:उत्तरायण गंगा के तट पर बसा बाढ़ का उमानाथ धाम !जहां मांघी पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोग करते हैं गंगा स्नान! बाढ़ के उमानाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि--"बाढ़ बनारस एक है बसे गंग के तीर! उमानाथ के दर्शन से कंचन होत शरीर!"

इसी कहावत को चरितार्थ करने हेतु हर साल बाढ़ के उमानाथ धाम में बिहार के अन्य जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं ,और गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं! इस बार भी बाढ़ रेलवे स्टेशन 1 दिन पहले से ही खचाखच भरी हुई थी! बाढ़ शहर के चप्पे-चप्पे में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है! इस धाम में गंगा स्नान को लेकर लोग पूर्व से ही मन्नत मान रखते हैं! और मन्नत की पूर्ति होते ही लोग अपने-अपने तरीके से गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं! कहीं मुंडन की परंपरा जारी रहती है! तो कहीं पाठा दान की! कहीं भूत खेली की परंपरा देखी जाती है, तो कहीं भगत को सिद्ध होते हुए! बाढ़ प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का भरपूर ख्याल रखा जाता है! पानी, बिजली, सुरक्षा पर सप्ताह पूर्व प्रशासन की ओर से तैयारी की जाती है !तब जाकर संपन्न होता है, माघी पूर्णिमा का विशाल मेला! बाढ़ वासियों को आज भी अफसोस है कि-हर साल उमानाथ धाम में लाखों-लाख की संख्या में लोग पूजा अर्चना करते हैं! लेकिन आज तक न तो बाढ़ जिला का दर्जा ले पाया है, और न हीं यहां का विशाल मेला "राष्ट्रीय मेला "का दर्जा ले पाया है! जबकि बिहार में लगने वाली सिमरिया मेला,और चौहरमल मेला, को बहुत पहले ही 'राष्ट्रीय मेला' का दर्जा प्राप्त हो चुका है!

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