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पटना: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचने लगे श्रद्धालु

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Published : Nov 2, 2019, 3:18 PM IST

राजधानी पटना में छठ को लेकर जिला प्रशासन ने शानदार व्यवस्था की है. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए जगह-जगह पर कई वाच टावर, कंट्रोल रूम, फायरबिग्रेड, एनडीआरएफ, खोया-पाया केंद्र, शौचालय, छठव्रतियों के लिए कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम बनाया गया है.

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचने लगे श्रद्धालु

पटना: प्रदेश भर में छठ की तैयारियां अंतिम चरण पर है.लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के तीसरे दिन राजधानी के सभी गंगा घाटों और तालाबों को सार्वजनिक कर दिया गया है. श्रद्धालु भगवान भास्कर को अस्ताचलगामी अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचने लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर छठ माता की प्रतिमाओं का निर्माण भी अंतिम चरण में है. कारीगरों के हाथ तेजी से चल रहे हैं. प्रतिमाओं को अंतिम आकर्षक रूप देने में कारीगर जुटे हुए हैं.

भगवान भाष्कर की प्रतीमा
भगवान भाष्कर की प्रतिमा

प्रशासन है सजग
राजधानी पटना में छठ को लेकर जिला प्रशासन ने शानदार व्यवस्था की है. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए जगह-जगह पर कई वाच टावर, कंट्रोल रूम, फायरबिग्रेड, एनडीआरएफ, खोया-पाया केंद्र, शौचालय, छठव्रतियों के लिए कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम बनाया गया है.

वाच टावर पर तैनात पुलिस बल के जवान
वाच टावर पर तैनात पुलिस बल के जवान

आज दिया जा रहा है पहला अर्घ्य
आज छठ पर्व पर पहला अर्घ्य दिया जाएगा. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय गंगा जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं.

देखिए यह खास रिपोर्ट

छठ पूजा तिथि और शुभ मुहूर्त
2 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय-17:35:42

अर्घ्य देने की विधि
बांस की टोकरी में सभी सामान रखें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

पटना छठ घाट
पटना छठ घाट

छठ पूजा का महत्व
शाम को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्घ्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते है. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

घाट पर तैनात एनडीआरएफ टीम
घाट पर तैनात एनडीआरएफ टीम

छठ पूजा की पौराणिक कथा
छठ पूजा के कई कथाएं हैं. जिनमें से मुख्य कथा के रूप में महर्षि कश्यप और राजा की कथा सुनाई जाती है. इस कथा के अनुसार एक राजा और रानी के कोई संतान नहीं थी. राजा और रानी काफी दुखी थे. एक दिन महर्षि कश्यप के आशीर्वाद से राजा और रानी के घर संतान उत्पन्न हुई. दुर्भ्याग्य से राजा और रानी के यहां जो संतान पैदा हुई थी वो मृत अवस्था में थी और इस घटना से राजा और रानी बहुत दुखी हुए.इसके बाद राजा और रानी आत्महत्या करने के लिए एक घाट पर पहुंचे और जब वो आत्महत्या करने जा रहे थे तभी वहां ब्रह्मा की मानस पुत्री ने उन्हें दर्शन दिया. राजा और रानी को अपना परिचय देते हुए उस देवी ने अपना नाम छठी बताया और उनकी पूजा अर्चना करने की बात कही. राजा ने वैसा ही किया और उसको संतान का सुख प्राप्त हुआ. कार्तिक मास के शुक्ला पक्ष को यह घटना घटी थी.

हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है छठ
बता दें कि पूरे प्रदेश में लोक आस्था का पर्व धूमधाम से मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में इसे सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इसमें व्रती चार दिनों को व्रत रहते हैं. वहीं, मिथिला पांचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा. उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है. जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा. उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है.

पटना: प्रदेश भर में छठ की तैयारियां अंतिम चरण पर है.लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के तीसरे दिन राजधानी के सभी गंगा घाटों और तालाबों को सार्वजनिक कर दिया गया है. श्रद्धालु भगवान भास्कर को अस्ताचलगामी अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचने लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर छठ माता की प्रतिमाओं का निर्माण भी अंतिम चरण में है. कारीगरों के हाथ तेजी से चल रहे हैं. प्रतिमाओं को अंतिम आकर्षक रूप देने में कारीगर जुटे हुए हैं.

भगवान भाष्कर की प्रतीमा
भगवान भाष्कर की प्रतिमा

प्रशासन है सजग
राजधानी पटना में छठ को लेकर जिला प्रशासन ने शानदार व्यवस्था की है. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए जगह-जगह पर कई वाच टावर, कंट्रोल रूम, फायरबिग्रेड, एनडीआरएफ, खोया-पाया केंद्र, शौचालय, छठव्रतियों के लिए कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम बनाया गया है.

वाच टावर पर तैनात पुलिस बल के जवान
वाच टावर पर तैनात पुलिस बल के जवान

आज दिया जा रहा है पहला अर्घ्य
आज छठ पर्व पर पहला अर्घ्य दिया जाएगा. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय गंगा जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं.

देखिए यह खास रिपोर्ट

छठ पूजा तिथि और शुभ मुहूर्त
2 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय-17:35:42

अर्घ्य देने की विधि
बांस की टोकरी में सभी सामान रखें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

पटना छठ घाट
पटना छठ घाट

छठ पूजा का महत्व
शाम को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्घ्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते है. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

घाट पर तैनात एनडीआरएफ टीम
घाट पर तैनात एनडीआरएफ टीम

छठ पूजा की पौराणिक कथा
छठ पूजा के कई कथाएं हैं. जिनमें से मुख्य कथा के रूप में महर्षि कश्यप और राजा की कथा सुनाई जाती है. इस कथा के अनुसार एक राजा और रानी के कोई संतान नहीं थी. राजा और रानी काफी दुखी थे. एक दिन महर्षि कश्यप के आशीर्वाद से राजा और रानी के घर संतान उत्पन्न हुई. दुर्भ्याग्य से राजा और रानी के यहां जो संतान पैदा हुई थी वो मृत अवस्था में थी और इस घटना से राजा और रानी बहुत दुखी हुए.इसके बाद राजा और रानी आत्महत्या करने के लिए एक घाट पर पहुंचे और जब वो आत्महत्या करने जा रहे थे तभी वहां ब्रह्मा की मानस पुत्री ने उन्हें दर्शन दिया. राजा और रानी को अपना परिचय देते हुए उस देवी ने अपना नाम छठी बताया और उनकी पूजा अर्चना करने की बात कही. राजा ने वैसा ही किया और उसको संतान का सुख प्राप्त हुआ. कार्तिक मास के शुक्ला पक्ष को यह घटना घटी थी.

हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है छठ
बता दें कि पूरे प्रदेश में लोक आस्था का पर्व धूमधाम से मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में इसे सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इसमें व्रती चार दिनों को व्रत रहते हैं. वहीं, मिथिला पांचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा. उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है. जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा. उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है.

Intro:लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के तीसरे दिन राजधानी के सभी गंगा घाटों और तालाबो को सार्वजनिक कर दिया गया है।भगवान भाष्कर का पहला अर्ग देने के लिये गंगा घाट और वैकल्पिक तालाब पूरी तरह से सजधज कर तैयार बिहार सरकार और जिला प्रसाशन ने पूरी गंगा घाटों को तैयार कर सार्वजनिक कर दिया है।


Body:स्टोरी:-अर्ग के लिये तैयार घाट,और तलाब।
रिपोर्ट:-पटना सिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-02-11-019.
एंकर:-पटना सिटी,लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के तीसरे दिन भगवान भास्कर को अर्ग देने के लिये राजधानी गंगा के सभी घाटो और वैकल्पिक तालाबो को पूरी तरह से तैयारी का जिला प्रसाशन ने सभी घाटो को सार्वजनिक कर दिया है।अब से कुछ ही देर बाद सभी छठव्रती श्रद्धालु गंगा घाटों पर वैंड-बाजो के साथ अपना अपना पर्व को भगवान सूर्य को अस्त होने के दौरान अर्ग देकर अपना व्रत सफल होने की कामना करते है।इस पर्व का मकसद यह है दुनिया मे जितने भी प्राणी है सबका कोई न कोई महत्व है जिसे अनादर नही करना चाहिये, सबका आदर और सम्मान करना चाहिये।सभी छठव्रती भगवान भास्कर को अर्ग देकर अपना व्रत पूरा करने की कामना करती हैं।बिहार सरकार और जिला प्रसाशन सभी घाटो को सुरक्षित करने के लिए कई वेवस्था किया है,टावर वाच,घाट में बास वैरिकेटिंग,कोई अप्रिय घटना न घटे उसके लिए फायरबिग्रेड,एनडीआरएफ, कंट्रोल रूम,खोया-पाया केंद्र,बाथरूम,चेंजिंग रूम यानी छठव्रतियों और बाहर से आने बाले सभी श्रद्धालुओ को ध्यान में रखते हुए सारी वेवस्था किया है देखिये एक रिपोर्ट।



Conclusion:लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के तीसरे दिन राजधानी के सभी गंगा घाटों और तालाबो को सार्वजनिक कर दिया गया है।भगवान भाष्कर का पहला अर्ग देने के लिये गंगा घाट और वैकल्पिक तालाब पूरी तरह से सजधज कर तैयार बिहार सरकार और जिला प्रसाशन ने पूरी गंगा घाटों को तैयार कर सार्वजनिक कर दिया है।
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