ETV Bharat / state

जिस स्थान पर सती हुईं थी माता सती.. उस धाम की अनोखी है मान्यता.. शक्तिपीठों का उद्गम स्थल है ये मंदिर

author img

By

Published : Oct 12, 2021, 6:20 PM IST

नवरात्र में आमी गांव स्थित अंबिका भवानी मंदिर में मां के दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या लोग पहुंचते हैं. इस मंदिर में मां की प्रतिमा मिट्टी के पिंडी से बनी हुई है. जिसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है, देखें रिपोर्ट-

शारदीय नवरात्र
शारदीय नवरात्र

पटनाः शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) को लेकर के चारों तरफ भक्तिमय माहौल है. राजधानी से 50 किलोमीटर दूर दिघवारा थाना (Dighwara Police Station) क्षेत्र में अंबिका भवानी माता का बहुत ही पुराना और भव्य मंदिर है. जहां नवरात्रि के समय श्रद्धालु पहुंचकर माता की पूजा अर्चना करते हैं. गंगा नदी के तट पर आमी गांव स्थित मृणमयी मां अंबिका के मंदिर में इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः नवरात्र 2021: मां दुर्गा के सप्तम रूप मां कालरात्रि की उपासना आज

शारदीय नवरात्र में मां अंबिका भवानी का महत्व और बढ़ जाता है. यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां पर मां सती हुई थी और भगवान शंकर ने मां सती के शव को अपने कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य करते हुए माता को पूरे ब्रह्मांड में घुमाया. फिर उसके बाद विष्णु के चक्र से सती के शव के 51 टुकड़ों में विभक्त किया गया था. 51 टुकड़े जहां-जहां गिरे वह स्थल शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है और आमी के अंबिका भवानी मंदिर शक्ति और सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है. जहां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

देखें वीडियो

मान्यता ये भी है कि राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और उसमें माता सती और भगवान शंकर को नहीं बुलाया. मां बिन बुलाए आ गईं लेकिन अपना अनादर देख दुखी हुई और यज्ञशाला में कूदकर अपनी जान दे दी. जिसके बाद भगवान शंकर नाराज हो गए और माता के शव को कंधे पर उठा तांडव करने लगे और पूरे ब्रह्मांड में घूमे. मां अंबिका भवानी से जुड़ी कई कहानी हैं.

ये भी पढ़ेंः नवरात्रि के मौके पर मां वनदेवी महाधाम में श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़, यहां सभी मुरादें होती हैं पूरी

एक दूसरी कहानी के अनुसार आमी में राजा सुरथ और वैश्य की कठोर साधना से प्रसन्न होकर मां अंबिका भवानी प्रकट हुईं और वर प्रदान की. राजा सुरथ को वरदान में खोया हुआ राज्य प्राप्त हुआ. बैरागी वैश्य को दुर्लभ ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. तभी से आमी स्थिति पीठ के रूप में विख्यात हुई. यह संसार का इकलौता सिद्ध पीठ है. यहां भक्त अपनी कामना को पूर्ण करने के लिए आते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर यह नवरात्रि व्रत पाठ भी करते हैं. और मां को चुनरी मेवा मिष्ठान के साथ घंटा दान भी करते हैं.

पुजारी कल्याण तिवारी ने बताते हैं कि यह जो माता का पिंड है पूरे देश में इस तरह का पिंड कहीं नहीं है .क्योंकि यहां मां सती हुई थी और यह जो पिंड है वो मां का मृणमयी स्वरूप (मिट्टी का) है, जहां मां कुंड में अपन प्राण त्यागी थी. मां के स्थान के बगल में ही एक मनोकामना कुंड है, जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण नहीं होती है, वह इस कुंड में हाथ डालते हैं और मां उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

ये भी पढ़ेंः VIDEO: गया के प्राचीन दुर्गा बाड़ी पूजा समिति के द्वारा दुर्गा पूजा अनुष्ठान शुरू

पटना की रहने वाली एडवोकेट कंचन मिश्रा ने बताया कि मां अंबिका भवानी के बारे में लोगों से काफी कुछ सुना है. वह पहली बार मां अंबिका भवानी के दर्शन के लिए पहुंची है. सच्चे दिल से जो भी मां के दरबार में पहुंचता है उनकी माता मनोकामना पूर्ण करती हैं.

पटना छपरा मुख्य मार्ग के आमी गांव स्थित इस मंदिर में मां की प्रतिमा मिट्टी के पिंडी से बनी हुई है. जो अपने आप में काफी प्रासंगिक है. ऐसा कहा जाता है कि पिंडी से निर्मित मां की प्रतिमा देश में कहीं और नहीं है. वैसे तो श्रद्धालुओं की भीड़ साल भर यहां रहती है. लेकिन शारदीय नवरात्र के समय काफी दूर-दराज से श्रद्धालु मां का दर्शन करने आते हैं.

पटनाः शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) को लेकर के चारों तरफ भक्तिमय माहौल है. राजधानी से 50 किलोमीटर दूर दिघवारा थाना (Dighwara Police Station) क्षेत्र में अंबिका भवानी माता का बहुत ही पुराना और भव्य मंदिर है. जहां नवरात्रि के समय श्रद्धालु पहुंचकर माता की पूजा अर्चना करते हैं. गंगा नदी के तट पर आमी गांव स्थित मृणमयी मां अंबिका के मंदिर में इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः नवरात्र 2021: मां दुर्गा के सप्तम रूप मां कालरात्रि की उपासना आज

शारदीय नवरात्र में मां अंबिका भवानी का महत्व और बढ़ जाता है. यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां पर मां सती हुई थी और भगवान शंकर ने मां सती के शव को अपने कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य करते हुए माता को पूरे ब्रह्मांड में घुमाया. फिर उसके बाद विष्णु के चक्र से सती के शव के 51 टुकड़ों में विभक्त किया गया था. 51 टुकड़े जहां-जहां गिरे वह स्थल शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है और आमी के अंबिका भवानी मंदिर शक्ति और सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है. जहां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

देखें वीडियो

मान्यता ये भी है कि राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और उसमें माता सती और भगवान शंकर को नहीं बुलाया. मां बिन बुलाए आ गईं लेकिन अपना अनादर देख दुखी हुई और यज्ञशाला में कूदकर अपनी जान दे दी. जिसके बाद भगवान शंकर नाराज हो गए और माता के शव को कंधे पर उठा तांडव करने लगे और पूरे ब्रह्मांड में घूमे. मां अंबिका भवानी से जुड़ी कई कहानी हैं.

ये भी पढ़ेंः नवरात्रि के मौके पर मां वनदेवी महाधाम में श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़, यहां सभी मुरादें होती हैं पूरी

एक दूसरी कहानी के अनुसार आमी में राजा सुरथ और वैश्य की कठोर साधना से प्रसन्न होकर मां अंबिका भवानी प्रकट हुईं और वर प्रदान की. राजा सुरथ को वरदान में खोया हुआ राज्य प्राप्त हुआ. बैरागी वैश्य को दुर्लभ ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. तभी से आमी स्थिति पीठ के रूप में विख्यात हुई. यह संसार का इकलौता सिद्ध पीठ है. यहां भक्त अपनी कामना को पूर्ण करने के लिए आते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर यह नवरात्रि व्रत पाठ भी करते हैं. और मां को चुनरी मेवा मिष्ठान के साथ घंटा दान भी करते हैं.

पुजारी कल्याण तिवारी ने बताते हैं कि यह जो माता का पिंड है पूरे देश में इस तरह का पिंड कहीं नहीं है .क्योंकि यहां मां सती हुई थी और यह जो पिंड है वो मां का मृणमयी स्वरूप (मिट्टी का) है, जहां मां कुंड में अपन प्राण त्यागी थी. मां के स्थान के बगल में ही एक मनोकामना कुंड है, जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण नहीं होती है, वह इस कुंड में हाथ डालते हैं और मां उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

ये भी पढ़ेंः VIDEO: गया के प्राचीन दुर्गा बाड़ी पूजा समिति के द्वारा दुर्गा पूजा अनुष्ठान शुरू

पटना की रहने वाली एडवोकेट कंचन मिश्रा ने बताया कि मां अंबिका भवानी के बारे में लोगों से काफी कुछ सुना है. वह पहली बार मां अंबिका भवानी के दर्शन के लिए पहुंची है. सच्चे दिल से जो भी मां के दरबार में पहुंचता है उनकी माता मनोकामना पूर्ण करती हैं.

पटना छपरा मुख्य मार्ग के आमी गांव स्थित इस मंदिर में मां की प्रतिमा मिट्टी के पिंडी से बनी हुई है. जो अपने आप में काफी प्रासंगिक है. ऐसा कहा जाता है कि पिंडी से निर्मित मां की प्रतिमा देश में कहीं और नहीं है. वैसे तो श्रद्धालुओं की भीड़ साल भर यहां रहती है. लेकिन शारदीय नवरात्र के समय काफी दूर-दराज से श्रद्धालु मां का दर्शन करने आते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.