बाढ़: सावन की अंतिम सोमवारी को लेकर अनुमंडल के उमानाथ मंदिर में हजारों भक्तों ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया. गंगा नदी में स्नान करने के बाद भक्तों ने पवित्र जल के साथ बेलपत्र, धतूरा, भांग और चंदन के साथ पूजा अर्चना की. इस दौरान शिवालयों में सुबह से ही भोले शंकर का उद्घोष होता रहा और मंदिरों में घंटियां बजती रहीं.
मंदिर प्रशासन ने की विशेष तैयारी
वहीं, सावन की अंतिम सोमवारी को लेकर मंदिर प्रशासन ने विशेष तैयारी की है. श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए कई तरह की व्यवस्था की गई है. मंदिर के आसपास फूल और श्रृंगार की कई दुकानें सजी हैं. बाढ़ में दूर-दूर से हजारों की संख्या में लोग गंगा तट के किनारे बने घाट पर पहुंचे हैं. वहीं, महिलाओं ने पूजा करने के बाद श्रृंगार की कई सामग्रियां भी खरीदी, साथ ही मंदिर प्रशासन की तरफ से भक्तों के लिए लाइट सहित कई अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई है.
सदियों पुराना है मंदिर
बता दें कि बाढ़ में उमानाथ उत्तरायण गंगा है. उत्तरायण गंगा पूरे भारतवर्ष में मात्र चार हैं. हरिद्वार, बनारस, बाढ़ और सुल्तानगंज. उत्तरायण गंगा का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. ऐसा माना जाता है कि उत्तरायण गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं. वहीं, पूरे भारतवर्ष में नौ नाथों में से एक नाथ उमानाथ हैं. जिसको लेकर पूरे बिहार से यहां लोग स्नान करने के लिए आते हैं. इसके साथ ही सावन की सोमवारी में यहां स्नान करना हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस मंदिर में लगी एक मूर्ति वैशाली जिला संग्रहालय में रखी उस मूर्ति से मिलती है जो सात सौ से आठ सौ साल पुरानी बताई जाती है.