पटना: लंबे अंतराल के बाद बिहार विधान परिषद के स्थायी सभापति ( Bihar Legislative Council) के रूप में देवेश चंद्र ठाकुर ( Devesh Chandra Thakur ) को निर्विरोध निर्वाचित कर लिया गया है. सदन की समाप्ति के बाद देवेश ठाकुर ने अपने कक्ष में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सदन अच्छे से चले यह हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी. सदन के अंदर हमारे लिए सभी सदस्य सामान्य हैं.
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'हमारे लिए एक बराबर है पक्ष-विपक्ष': देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि पक्ष विपक्ष को हम एक नजरिये से देखते हैं. जनता के मुद्दों का सदन के अंदर निष्पादन हो यह हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी क्योंकि हम लगभग सभी सदस्यों के साथ कार्य कर चुके हैं. परिषद में जितनी भी समितियां हैं, वो ठीक ढंग से काम करें इसको लेकर हम सभी सदस्यों के साथ बैठक भी करेंगे. कमेटी का जो निर्णय होगा वो प्रभावी हो इसको लेकर भी सदन गंभीरता के साथ विचार करेगा.
"सदन में सभी सदस्यों का सवाल सही समय पर मिले इसको लेकर हमारा प्रयास जारी रहेगा. हम चाहेंगे कि सवाल किसी भी सदस्य का हो उसका सही समय पर जवाब सदन में रखा जाय. जिस सवाल के उत्तर से सदस्य सन्तुष्ट नहीं होगा उसको लेकर भी सदन में चर्चा की जाएगी. हमारी कोशिश रहेगी कि सदन की गरिमा बने रहे."- देवेश चंद्र ठाकुर, सभापति, बिहार विधान परिषद
देवेश चंद्र ठाकुर बने विधान परिषद के सभापति: सीतामढ़ी के रहने वाले देवेश चंद्र ठाकुर तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर विधान परिषद में आए हैं. वह सीएम नीतीश कुमार के काफी नजदीकी माने जाते हैं. सूत्र बताते हैं कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने अवधेश नारायण सिंह को कार्यकारी सभापति पद छोड़ने के लिए कहा था. इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने अवधेश नारायण सिंह से भेंट भी की थी और सीएम के फैसले से उन्हें अवगत कराया था. जिसके बाद कार्यकारी सभापति ने अगले साल होने वाले विधान परिषद के चुनाव तक उन्हें पद पर बने रहने देने की गुजारिश की थी लेकिन नीतीश कुमार इसके लिए तैयार नहीं हुए.