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'POK सिर्फ नाम का पाक के कब्जे में, जिन्ना ने भी माना था गिलगित है स्वतंत्र राज्य'

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी के निर्देशक शक्ति सिन्हा ने गिलगित—बलतिस्तान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गिलगित कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं रहा है. जिन्ना ने भी कहा था कि गिलगित एक स्वतंत्र राज्य था, गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान के कब्जे में हैं.

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Published : Sep 21, 2019, 8:51 PM IST

आद्य पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन

पटना: राजधानी के आईएमए हॉल में शनिवार को विश्व संवाद केंद्र ने आद्य पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन किया. इसका मुख्य विषय गिलगित और बलतिस्तान (पीओके) की महत्ता था. इसमें पत्रकारों को सम्मानित किया गया साथ ही आज की पत्रकारिता से क्षेत्रीय भाषा के विलुप्त होने पर भी चर्चा की गई.

'गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान में'
इस अवसर पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी के निर्देशक शक्ति सिन्हा ने गिलगित—बलतिस्तान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गिलगित कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं रहा है. जिन्ना ने भी कहा था कि गिलगित एक स्वतंत्र राज्य था, गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान के कब्जे में हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के बारे में सबसे अधिक गलतफहमी भारत के लोगों के मन में है. कार्यक्रम में नवादा के पत्रकार रविंद्र नाथ उर्फ भैया जी, पूर्णिया के अखिलेश चंद्र और भागलपुर के शशि शेखर को सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार विश्व संवाद केंद्र द्वारा पत्रकारिता के लिए समर्पित लोगों को दिया जाता है.

आद्य पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन

लोक भाषा से दूर हो रहा मीडिया
इसमें वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर, प्रवीण बागी के अलावा संस्थान के अध्यक्ष और विधायक संजीव चौरसिया सहित अनेक पत्रकार शामिल थे. इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थानीय भाषा को लेकर विद्वानों ने चर्चा भी की. उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी के पत्रकारों को लोकल शब्दों की जानकारी नहीं है. इसके लिए किसी बाहरी ताकत को जिम्मेवार ठहराने के बजाय हर व्यक्ति को लोक भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देना चाहिए. इससे हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकते हैं. कई विद्वानों ने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे मीडिया लोक भाषाओं से दूर होता जी रही है और इसका संरक्षण जरूरी है.

पटना: राजधानी के आईएमए हॉल में शनिवार को विश्व संवाद केंद्र ने आद्य पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन किया. इसका मुख्य विषय गिलगित और बलतिस्तान (पीओके) की महत्ता था. इसमें पत्रकारों को सम्मानित किया गया साथ ही आज की पत्रकारिता से क्षेत्रीय भाषा के विलुप्त होने पर भी चर्चा की गई.

'गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान में'
इस अवसर पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी के निर्देशक शक्ति सिन्हा ने गिलगित—बलतिस्तान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गिलगित कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं रहा है. जिन्ना ने भी कहा था कि गिलगित एक स्वतंत्र राज्य था, गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान के कब्जे में हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के बारे में सबसे अधिक गलतफहमी भारत के लोगों के मन में है. कार्यक्रम में नवादा के पत्रकार रविंद्र नाथ उर्फ भैया जी, पूर्णिया के अखिलेश चंद्र और भागलपुर के शशि शेखर को सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार विश्व संवाद केंद्र द्वारा पत्रकारिता के लिए समर्पित लोगों को दिया जाता है.

आद्य पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन

लोक भाषा से दूर हो रहा मीडिया
इसमें वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर, प्रवीण बागी के अलावा संस्थान के अध्यक्ष और विधायक संजीव चौरसिया सहित अनेक पत्रकार शामिल थे. इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थानीय भाषा को लेकर विद्वानों ने चर्चा भी की. उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी के पत्रकारों को लोकल शब्दों की जानकारी नहीं है. इसके लिए किसी बाहरी ताकत को जिम्मेवार ठहराने के बजाय हर व्यक्ति को लोक भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देना चाहिए. इससे हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकते हैं. कई विद्वानों ने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे मीडिया लोक भाषाओं से दूर होता जी रही है और इसका संरक्षण जरूरी है.

Intro: पटना में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित आध पत्रकार देवर्षी नारद स्मृति कार्यक्रम में पत्रकारों को सम्मानित किया गया साथ ही आज ही पत्रकारिता में क्षेत्रीय भाषा को जिस तरह से विलोपित किया जा रहा है उस पर भी चर्चा की गई


Body:पटना---आज पटना के आईएमए हॉल में आज पत्रकार देवर्षि नारद मुनि समिति कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले तीन पत्रकारों को सम्मानित किया गया जिसमें नवादा के रविंद्र नाथ उर्फ भैया जी, पूर्णिया के अखिलेश चंद्र और भागलपुर के शशि शेखर शामिल हैं यह पुरस्कार विश्व संवाद केंद्र द्वारा पत्रकारिता के लिए समर्पित लोगों को दिया जाता है
इस अवसर पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी के निर्देशक शक्ति सिन्हा ने गिलगित बल तिस्तान के महता पर प्रकाश डाला और कहा कि गिलगित कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं रहा है जिन्ना ने भी खुल कहा था कि गिलगित एक स्वतंत्र राज्य था वही कश्मीर मुद्दे और pok पर बात करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि पहले की सरकार कश्मीर मुद्दे पर जिस तरह से ध्यान दे रही थी अबकी सरकार कानूनी तौर पर इसे डील कर रही है जिस तरह कानून से हम कश्मीर समस्या का हल किए उस तरह से वहां के नागरिकों को अधिकार देंगे जिससे पीओके पर भी प्रभाव पड़ेगा गिलगित और पीओके सिर्फ नाम के पाकिस्तान के कब्जे में है।

इसमें वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर प्रवीण बागी के अलावा संस्थान के अध्यक्ष और विधायक संजीव चौरसिया सहित अनेक पत्रकार शामिल थे इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थानीय बोली को लेकर कई विद्वानों ने चर्चा भी की और चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज के पत्रकार पीढ़ी को लोकल शब्दों की जानकारी नहीं है इसके लिए किसी बाहरी ताकत को जिम्मेवार ठहराने के बजाय हर एक व्यक्ति को लोक भाषा का प्रयोग करना शुरू कर दे तो हम अपने जड़ से जुड़े रह सकते हैं कई विद्वानों ने उदाहरण देते हुए स्पष्ट कहा कि मीडिया कैसे लोक भाषाओं से दूर होता जा रहा है लोक भाषाओं का संरक्षण जरूरी है
बाइट...शक्ति सिन्हा.. निदेशक नेहरू मेमोरियल म्यूजियम दिल्ली


Conclusion: पटना से अरविंद राठौर के रिपोर्ट
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