पटना: एसएलबीसी (राज्य स्तरीय बैंकर समिति) की बैठक में उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने बैंकों को ज्यादा सक्रिय होने का निर्देश दिया. साथ ही कई बैंकों काम काज पर उपमुख्यमंत्री ने नाराजगी भी जताई. बैंकों का रवैया पहले भी बिहार के प्रति बहुत बेहतर नहीं रहा है. कर्ज देने से लेकर बैंक शाखा खोलने तक में बैंक की भूमिका उपेक्षा पूर्ण रहा है. ऐसे बैंकों की ओर से भी बैठक में बढ़ते एनपीए पर चिंता जताई गई.
उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने बैंकों को कई निर्देश:
- बैंकों को ज्यादा से ज्यादा ऋण देने का दिया निर्देश
- 30 जिलों का प्रदर्शन औसत से कम है
- 18 बैंक का शाखा अनुपात औसत से काफी कम
- सरकार बनाएगी कोऑर्डिनेशन कमिटी.
- बैंकों के साथ मिलकर लोन की मॉनिटरिंग करेगी.
- डीएलसीसी की बैठक के लिए प्रखंड स्तर पर बनेगा कैलेंडर
- हर पंचायत में कॉमन सर्विस सेंटर हर हाल में होंगे चालू
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों और एटीएम की शाखा बढ़ाने का भी निर्देश.
बैंकों ने एनपीए पर जताई चिंता
एसएलबीसी की बैठक में बैंकों की ओर से एनपीए को लेकर चिंता जताई गई. स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि बिहार में एनपीए का प्रतिशत बढ़कर 11.38 हो गया है, जो काफी अधिक राज्य में सभी निजी और सरकारी बैंकों ने सितंबर 2020 तक 151933 करोड़ के कर्ज दिए हैं. इसमें से 17258 करोड़ एनपीए में फंसा हुआ है. लोन के रूप में दिए गए कर्ज की रिकवरी नहीं हो रही है और ना ही हर महीने किस्त ही मिल रहा है. सबसे ज्यादा कृषि सेक्टर के ऋण में एनपीए 22% फंसा हुआ है. ऐसे बैंकों को जो लक्ष्य दिया गया था, चाहे वह शिक्षा लोन हो या केसीसी लोन, बैंक सभी में काफी पीछे है.