पटना: कोरोना संक्रमण को लेकर बिहार में लॉकडाउन है. ऐसे में व्यवसायियों का भी काफी बुरा हाल है और इसी बीच 1 जून से गोल्ड ज्वेलरी पर हॉल मार्किंग अनिवार्य हो जाएगी. इससे स्वर्ण व्यवसायियों की परेशानी और अधिक बढ़ गई है और स्वर्ण व्यवसायी काफी चिंतित हैं.
व्यवसायियों ने सरकार से मांग कि है कि हॉल मार्किंग कानून को 31 मई 2022 तक बढ़ाया जाए. ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन के बिहार कन्वेनर अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि 1 जून से हॉल मार्किंग कानून लागू हो रहा है. इसके तहत गोल्ड ज्वेलरी पर हॉल मार्किंग अनिवार्य होगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो व्यापारियों के लिए जेल का भी प्रावधान है. इसलिए हमने सरकार से मांग की है कि इसकी तिथि को फिलहाल बढ़ाया जाए. इसके लिए हमने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद, मंत्री शाहनवाज हुसैन, मुकेश सहनी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस कानून की तिथि को आगे बढ़ाया जाए.
'व्यवसायियों को हो सकता है नुकसान'
अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि हॉल मार्किंग कानून लोगों के लिए काफी अच्छा है. ज्वेलर्स को 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट गोल्ड की हॉलमार्क ज्वेलरी बेचने की अनुमति है. ग्राहक को मानक के हिसाब से सोना मिले. इसके लिए हॉल मार्क जरूरी है. लॉकडाउन और कोरोना महामारी के कारण काफी समय दुकानें बंद है. ऐसे में अगर यह कानून लागू होता है तो बिहार के स्वर्ण व्यवसायियों को काफी बड़ा नुकसान होगा.
11 जगहों पर लाइसेंस होल्डर का सेंटर
जानकारी के अनुसार पूरे बिहार में लगभग दो लाख छोटे-बड़े ज्वेलर्स हैं, जिनमें से महज 1000 ज्वेलर्स ने ही हॉल मार्क ले रखा है. बिहार के 38 जिलों में केवल 10 से 11 जगहों पर लाइसेंस होल्डर का सेंटर है.
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ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन के बिहार कन्वेनर अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि पटना में छोटे और बड़े ज्वेलर्स सभी को मिलाकर करीब 560 किलो सोने का स्टॉक फंसा हुआ है. अगर यह कानून लागू हो गया तो उन्हें सोना गलाना पड़ेगा, जिससे करीब 12 करोड़ का नुकसान होगा. वहींं, अगर बात करें बिहार की तो करीब 62 करोड़ से अधिक का नुकसान व्यापारियों को होगा.