पटना: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में एक तरफ अस्पतालों में बेड की कमी हो रही है. वहीं दूसरी तरफ इलाज में प्रभावी दिखने वाले एंटीवायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की भी मांग बढ़ गई है. इसका नतीजा यह है कि कई जगहों से यह खबरें आ रही हैं कि रेमडेसिविर आउट ऑफ स्टॉक है. भारत में रेमडेसिविर दवा को इंजेक्शन के रूप में कई कंपनियां बना रही हैं. जैसे कि डॉ. रेड्डी लैब, जायडस कैडिला, सिपला और हेटेरो.
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विभिन्न कंपनियों के अलग-अलग रेट
भारत में यह इंजेक्शन 100 एमजी केवल में आता है और विभिन्न कंपनियों का रेट भी अलग-अलग है. बाजार में यह 800 से लेकर 5100 तक में उपलब्ध है. सभी कंपनियों के रेमडेसिविर वैक्सीन का अलग-अलग रेट है.
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"रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है और इसका डेवलपमेंट हैपेटाइटिस सी के इलाज के लिए हुआ था. रेमडेसिविर कोरोना वायरस के रेप्लीकेशन को कम करती है. रेमडेसिविर एफडीए अप्रूव्ड दवा है. जो कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर साबित हुई है. यह प्रारंभिक अवस्था में जब इंफेक्शन होता है और उसके बाद रिप्लिकेशन जब हाईएस्ट रहता है, उस समय यह बहुत काम करता है. अभी अस्पतालों में जो कोरोना के मरीज भर्ती होते हैं, जिन में वायरस की रेप्लीकेबिलिटी काफी तेज होती है, जब तक वह लंग्स में प्रवेश करता है और इन्फ्लेमेशन शुरू करता है. उसके पहले अगर रेमडेसिवीर का इंजेक्शन दे दिया जाता है, तो यह वायरस के कुप्रभाव को कम कर देता है"- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
मरीजों की बढ़ी संख्या
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अभी के समय में अचानक से कोरोना रोगियों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में देश में रेमडेसिविर की डिमांड भी बढ़ गई. इस स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने रेमडेसिविर के निर्यात पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. सरकार का प्रयास है कि पहले देश में इतनी जरूरत है, उतनी रेमडेसिविर का इंजेक्शन उपलब्ध हो जाए.
"भारत में कई कंपनियां यह दवा की इंजेक्शन बनाती हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह कंपनियां जल्द ही भारत में जितनी इसकी जरूरत है, उतनी रेमडेसिविर का डोज तैयार करने में सक्षम है और उन्हें उम्मीद है कि 2 से 3 दिनों में जो रेमडेसिविर की कमी की खबरें सामने आ रही है, वह कमी भी दूर हो जाएगी और पर्याप्त मात्रा में स्टॉक उपलब्ध हो जाएंगे"- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
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"रेमडेसिविर प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और इसकी कहीं कोई कमी नहीं है. पटना में सिर्फ 3 ड्रग एजेंसियां हैं. जिन्हें रेमडेसिविर का इंजेक्शन बेचने की अनुमति है. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बीएमएसआईसीएल के माध्यम से इस दवा का सप्लाई किया जाता है. जबकि प्राइवेट अस्पतालों और अन्य जरूरतमंदों के लिए इन तीन एजेंसियों द्वारा ही सप्लाई किया जाता है. पटना में 550 से अधिक संख्या में रेमडेसिविर इंजेक्शन का डोज उपलब्ध है और बुधवार तक और काफी संख्या में रेमडेसिविर का स्टॉक उपलब्ध हो जाएगा. डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन और मरीज के आधार कार्ड को देखने के बाद ही रेमडेसिविर का डोज लोगों को उपलब्ध कराया जाता है. रेमडेसिविर की कालाबाजारी ना हो और गलत लोग इसे ना खरीदें इसलिए, तीनों ड्रग एजेंसियों के यहां ड्रग इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि जरूरतमंद व्यक्ति ही इस दवा का डोज ले रहा है कि नहीं. पटना में केसर ड्रग एजेंसी, नेशनल ड्रग एजेंसी और पूरण ड्रग एजेंसी के पास रेमडेसिविर का इंजेक्शन बेचने और सप्लाई करने की अनुमति है". रविंद्र कुमार सिन्हा, स्टेट ड्रग कंट्रोलर
क्यों है रेमडेसिविर की भारी डिमांड?
कोरोना में रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है. कोरोना की वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन होता है और फिर मरीज को निमोनिया हो जाता है. ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन फेफड़े के इंफेक्शन से लोगों को बचाता है. ज्यादा गंभीर स्थिति में एक मरीज को 6 इंजेक्शन तक लगाने पड़ते हैं.