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'सर... आपके चरणों में 70 कर्मचारियों का भविष्य रख रहा हूं', सुनते ही CM नीतीश बोले- ...अरे का हुआ?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार में लोगों की समस्या सुन रहे हैं. इसी क्रम में वित्त रहित शिक्षकों को मिलने वाले अनुदान की मांग को लेकर एक शख्स पहुंचा, जिसकी मांग सुन कुछ देर के लिए सीएम सकते में आ गए. पढ़ें पूरी खबर...

Demand for Grant For Teacher In CM Nitish Janta Darbar
Demand for Grant For Teacher In CM Nitish Janta Darbar
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Published : Oct 11, 2021, 11:30 AM IST

Updated : Oct 11, 2021, 12:13 PM IST

पटना: जनता के दरबार ( Janta Darbar ) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) आम लोगों की समस्या सुन रहे हैं. इसी क्रम में वित्त रहित शिक्षकों को मिलने वाले अनुदान की मांग को लेकर एक कर्मचारी जनता दरबार में पहुंचा. इस क्रम में उसने कहा कि अपने वित्त रहित शिक्षकों को अनुदान देने की बात कही थी, लेकिन अनुदान नहीं मिल रहा है.

आगे उसने कहा कि सीएम सर, मैं आपके चरण में 70 कर्मचारियों का भविष्य रख रहा हूं. अब आप ही फैसला लीजिए. इस पर सीएम नीतीश ने कहा कि ऐसे कैसा हो गया. सरकार अनुदान देती है. इसके बाद उन्होंने तुरंत शिक्षा विभाग के अधिकारियों इस पर त्वरित कार्रवाई करने को कहा.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: CM ही नहीं बल्कि संपूर्ण मुख्यमंत्री सचिवालय भी थक चुका है- तेजस्वी यादव


बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

ये भी पढ़ें- राबड़ी देवी आ गईं पटना.. अब आरजेडी सुप्रीमो का इंतजार, एयरपोर्ट पर कहा- 'अच्छे हैं लालू'

महीने के प्रथम सोमवार को गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मध्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी, खान भूतत्व और समान प्रशासन विभाग से जुड़े लोगों की समस्या सुनी जाएगी. महीने के दूसरे सोमवार को स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की बारी आएगी.

जबकि तीसरे सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, पीएचईडी विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और इसके अलावा कई विभाग से जुड़े समस्या का निदान होगा.

ये भी पढ़ें- 'चुनाव प्रचार नहीं, परिवार के झगड़े सुलझाने बिहार आ रहे हैं लालू'

जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया जा रहा है. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आ रहे हैं, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

पटना: जनता के दरबार ( Janta Darbar ) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) आम लोगों की समस्या सुन रहे हैं. इसी क्रम में वित्त रहित शिक्षकों को मिलने वाले अनुदान की मांग को लेकर एक कर्मचारी जनता दरबार में पहुंचा. इस क्रम में उसने कहा कि अपने वित्त रहित शिक्षकों को अनुदान देने की बात कही थी, लेकिन अनुदान नहीं मिल रहा है.

आगे उसने कहा कि सीएम सर, मैं आपके चरण में 70 कर्मचारियों का भविष्य रख रहा हूं. अब आप ही फैसला लीजिए. इस पर सीएम नीतीश ने कहा कि ऐसे कैसा हो गया. सरकार अनुदान देती है. इसके बाद उन्होंने तुरंत शिक्षा विभाग के अधिकारियों इस पर त्वरित कार्रवाई करने को कहा.

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बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

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महीने के प्रथम सोमवार को गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मध्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी, खान भूतत्व और समान प्रशासन विभाग से जुड़े लोगों की समस्या सुनी जाएगी. महीने के दूसरे सोमवार को स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की बारी आएगी.

जबकि तीसरे सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, पीएचईडी विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और इसके अलावा कई विभाग से जुड़े समस्या का निदान होगा.

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जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया जा रहा है. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आ रहे हैं, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

Last Updated : Oct 11, 2021, 12:13 PM IST
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