पटना: प्रदेश में कोरोना संकट गहराता ही जा रहा है. राजधानी पटना में भी पिछले कुछ दिनों में संक्रमण के मामले में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. पटना शहर में 400 से ज्यादा कोरोना के एक्टिव मामले हैं. यहां पिछले कुछ दिनों में कई चिकित्सक, माइक्रोबायोलॉजी के स्टाफ और अस्पताल के सफाई कर्मी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. इस घटना के बाद से प्रदेश में 14 दिनों का स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लगाने की मांग उठने लगी है.
14 दिनों का स्ट्रिक्ट लॉकडाउन जरूरी
राजधानी में प्राइवेट जॉब करने वाले आदित्य ने कहा कि पटना शहर में जिस तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ने लगे है. इसकी कड़ी को तोड़ने को तोड़ने के लिए 14 दिनों का स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लगाना अनिवार्य हो गया है. उन्होंने कहा कि कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों में आवाजाही पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए. यदि समय रहते नहीं संभले तो यहां की भी स्थिति दिल्ली और मुंबई जैसी हो जाएगी.
शहर में हैं कई अज्ञात मामले
प्रख्यात टीबी रोग विशेषज्ञ सह फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि हाल के दिनों में पटना सहित पूरे बिहार में जितनी तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि जो मामले सामने आए, उन मरीजों को तो आइसोलेट कर दिया गया है. लेकिन कई अज्ञात मामले भी शहर में हैं. जिनसे संक्रमण फैलता ही जा रहा है.
लोगों में नहीं दिख रही संजीदगी
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 जब से शुरू हुआ, उसके बाद से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जितनी तत्परता और संजीदगी लोगों में होनी चाहिए, वह नहीं दिखी. उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से भी मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो कराने को लेकर पहले जैसी महत्ता नहीं दी जा रही है.
मास्क लगाना जरूरी
डॉ. दिवाकर ने कहा कि ऐसी स्थिति में संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए कम से कम 14 से 15 दिनों का स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लगाना अनिवार्य हो जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है तो संक्रमण की स्थिति भयावह हो जाएगी. अनलॉक के बाद आर्थिक और पॉलिटिकल गतिविधियां बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन चेहरे पर मास्क और 6 फीट की दूरी का पालन कराया जाना भी जरूरी है.