पटना : जातिगत जनगणना की रिपोर्ट नीतीश सरकार के लिए गले का फांस बनती दिख रही है. महागठबंधन में महा झमेला शुरू हो गया है. आबादी के आधार पर हिस्सेदारी की मांग उठने लगी है. भाजपा ने मामले को और उलझा दिया है. जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा भी हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. कांग्रेस ने भी इसको लेकर सरकार के अंदर से ही आवाज बुलंद कर दी है.
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बिहार में जातिगत गणना की रिपोर्ट प्रकाशित हो चुकी है. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद तमाम राजनीतिक दल एकसुर में 'जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी' की वकालत कर रहे हैं. नीतीश कैबिनेट में हिस्सेदारी को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है. महागठबंधन नेता लगातार पिछड़ों के हिमायती होने का दावा करते रहे हैं. महागठबंधन के अंदर ही हिस्सेदारी को लेकर बवाल खड़ा हो गया है, कांग्रेस पार्टी ने जातिगत जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से मंत्रिमंडल में नेताओं को जगह देने की वकालत की है.
अति पिछड़ों की सर्वाधिक आबादी : जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 27 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है. 36% आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है. कुल मिलाकर 63% आबादी पिछड़े और अति पिछड़े की है. अनुसूचित जाति की आबादी 19.65% है. ऐसे में पहले से ही नीतीश कैबिनेट का विस्तार बहु प्रतीक्षित है. लंबे अरसे से विस्तार की मांग सहयोगी दलों की ओर से भी उठाई जाती रही है. जाति की गणना रिपोर्ट सामने आने के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार के मामले ने तूल पकड़ लिया है.
जाति के आधार पपर कैबिनेट में वर्तमान स्थिति : बात करें तो नीतीश कैबिनेट में कुल 31 सदस्य हैं. इसमें जातिगत प्रतिशत देखें तो कुर्मी की आबादी 6.4% है लेकिन आबादी का प्रतिशत 2.8 ठहरता है. वहीं कोइरी भी बिहार में 6.4% हैं. ये आबादी के अनुसार 4.2 फीसदी हैं. इन दोनों जातियों में आबादी से ज्यादा इनका प्रतिनिधित्व है. जबकि बनिया और फॉर्वर्ड कास्ट में इनका प्रतिनिधित्व आबादी के हिसाब से कम है. यादव की आबादी 14.27 फीसदी है लेकिन उनकी मंत्रिमंडल में मौजूदगी 26 फीसदी है. वहीं मुस्लिमों की बात करें तो उनकी संख्या लगभग आबादी के मुताबिक है. सबसे कम संख्या अति पिछड़ा वर्ग की है क्योंकि उनकी आबादी का प्रतिशत 36 है लेकिन मंत्रिमंडल में स्थान महज 12 फीसदी है.
सबसे ज्यादा यादव मंत्री : संख्या के लिए लिहाज से नीतीश कैबिनेट में सबसे ज्यादा यादव जाति से हैं. इनकी संख्या कुल आठ है. इसके अलावा पांच मुस्लिम समुदाय से मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. 31 में 13 मंत्री मुस्लिम और यादव जाति से शामिल किए गए हैं. यादव जाति की आबादी बिहार में 14% है, जबकि मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी दो गुना अर्थात 26% है. बिहार में अगर जातिगत जनगणना के फार्मूले को लागू किया गया तो यादव जाति के चार मंत्री बाहर जा सकते हैं. पिछड़े समुदाय से आने वाले मंत्री की भी छुट्टी हो सकती है.
क्या होगी कई मंत्रियों की छुट्टी? : अगर नीतीश सरकार में कैबिनेट विस्तार हुआ तो कई कास्ट के मंत्रियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से उनका पत्ता कट सकता है. नीतीश मंत्रिमंडल में आबादी के हिसाब से जिनकी संख्या कम है उस कास्ट की संख्या भी बढ़ेगी. कांग्रेस इसी को आधार बनाकर अपने कोटे में विस्तार पाना चाहती है. लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या वाकई में नीतीश जातीय गणना की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार करेंगे? यदि इसका जवाब हां में है तो नीतीश यहां भी रोल मॉडल बनेंगे.
कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा है कि ''जातिगत जनगणना के रिपोर्ट में त्रुटियां हैं. बावजूद इसके रिपोर्ट सामने है. रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट में लोगों को जगह नहीं मिली है. अति पिछड़ा समुदाय से लोग अपेक्षित हैं. नीतीश कुमार को आबादी के हिसाब से कैबिनेट में जगह देनी चाहिए.''
जदयू प्रवक्ता डॉक्टर सुनील ने कहा है कि ''हमारे नेता नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो देश के लिए नजीर बना है. आगे भी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नीतीश कुमार काम करेंगे.''
कैबिनेट भंग कर नए सिरे से हो विस्तार-BJP : एक कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा ने महागठबंधन सरकार पर हमला बोला है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि अब जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. ऐसे में नीतीश कुमार को कैबिनेट भंग कर नए सिरे से सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देखकर कैबिनेट का गठन करना चाहिए.
भाजपा के पेट में दर्द-RJD : राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा है कि लालू प्रसाद यादव ने सभी वर्ग जाति और समुदाय को सशक्त करने का काम किया है. विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा भेजने के क्रम में लालू प्रसाद यादव ने सभी जाति समुदाय का ख्याल रखा है. भाजपा को जातिगत जनगणना के रिपोर्ट के वजह से पेट में दर्द हो रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी ने कहा है कि ''सरकार पर दबाव बढ़ गया है. रिपोर्ट आने के बाद से मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चा बढ़ गई है. नीतीश कुमार के ऊपर दो तरफा दबाव है. हालात से निपटना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं.''