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बीमार मां से मिल सकेंगे आरजेडी के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी पैरोल कस्टडी - Shahabuddin shifted from Bihar to Tihar on order of SC

आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन अब अपनी बीमार मां से मिल सकेंगे. इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन को पैरोल कस्टडी दे दी है.

पटना
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Published : Dec 3, 2020, 7:50 PM IST

नई दिल्ली/पटना: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपनी बीमार मां को देखने के लिए तीन दिनों के लिए छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल पर रिहा करने की अनुमति दे दी है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने कहा कि शहाबुद्दीन अगले एक महीने के अंदर किसी भी तीन दिन अपनी मां से मिलने के लिए कस्टडी पैरोल पर जा सकता है.


मां से मिलने के लिए कस्टडी पेरोल मिली

कोर्ट ने कहा कि जिन तीन दिनों पर शहाबुद्दीन अपनी बीमार मां से मिलना चाहेगा उन दिनों में उसे पर्याप्त सुरक्षा के साथ मां से मिलने के लिए ले जाया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन अपनी मां, पत्नी और नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी नहीं मिल सकता है. कोर्ट ने कहा कि अपनी मां से मिलने वक्त उसे इतनी निजता दी जाएगी, ताकि वह ठीक से बात कर सके. कोर्ट ने कहा कि कस्टडी पैरोल के दौरान शहाबुद्दीन के साथ उसके निजी गार्ड या दूसरे लोग नहीं रहेंगे. कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दिल्ली में अपनी मां से मिलने की इजाजत दी है. बता दें कि पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शहाबुद्दीन को अपने परिवार को दिल्ली बुलाकर तिहाड़ जेल में मिल लेने की सलाह दी थी.

पिता कि 19 सितंबर को मौत हो गई थी

शहाबुद्दीन ने याचिका दायर कर अपनी बीमार मां से मिलने के लिए सीवान जाने की अनुमति मांगी है. याचिका में कहा गया था कि शहाबुद्दीन के पिता की पिछले 19 सितंबर को मौत हो गई थी और वो अपने पिता के कब्र पर जाकर नमाज अदा करना चाहता है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और बिहार पुलिस ने शहाबुद्दीन को सुरक्षा देने में असमर्थता जताई थी. दिल्ली सरकार की ओर से वकील संजय लॉ ने कहा था कि कोरोना के संकट काल में शहाबुद्दीन को एस्कोर्ट करना कठिन काम है और शहाबुद्दीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बिहार और दिल्ली सरकार ने सुरक्षा देने से इनकार किया

बिहार सरकार की ओर से वकील केशव मोहन ने कहा था कि अगर शहाबुद्दीन को कस्टडी पेरोल पर रिहा किया जाता है तो ये दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो सुरक्षा दे. बिहार सरकार और दिल्ली सरकार की सुरक्षा देने की अनिच्छा जाहिर करने पर कोर्ट ने शहाबुद्दीन को सलाह दी कि वो अपने परिवार को दिल्ली क्यों नहीं बुला लेता. उसे अपने परिवार से मिलने के लिए अलग जगह उपलब्ध करा दिया जाएगा.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से तिहाड़ शिफ्ट किया गया था

बता दें कि 15 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को बिहार से तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था. बिहार के सीवान के दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और चर्चित तेजाब कांड में तीन बेटों को गंवा चुके चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ये मांग की थी कि अपराधी को बिहार से दिल्ली के तिहाड़ जेल शिफ्ट किया जाए. 30 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब कांड में शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

नई दिल्ली/पटना: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपनी बीमार मां को देखने के लिए तीन दिनों के लिए छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल पर रिहा करने की अनुमति दे दी है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने कहा कि शहाबुद्दीन अगले एक महीने के अंदर किसी भी तीन दिन अपनी मां से मिलने के लिए कस्टडी पैरोल पर जा सकता है.


मां से मिलने के लिए कस्टडी पेरोल मिली

कोर्ट ने कहा कि जिन तीन दिनों पर शहाबुद्दीन अपनी बीमार मां से मिलना चाहेगा उन दिनों में उसे पर्याप्त सुरक्षा के साथ मां से मिलने के लिए ले जाया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन अपनी मां, पत्नी और नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी नहीं मिल सकता है. कोर्ट ने कहा कि अपनी मां से मिलने वक्त उसे इतनी निजता दी जाएगी, ताकि वह ठीक से बात कर सके. कोर्ट ने कहा कि कस्टडी पैरोल के दौरान शहाबुद्दीन के साथ उसके निजी गार्ड या दूसरे लोग नहीं रहेंगे. कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दिल्ली में अपनी मां से मिलने की इजाजत दी है. बता दें कि पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शहाबुद्दीन को अपने परिवार को दिल्ली बुलाकर तिहाड़ जेल में मिल लेने की सलाह दी थी.

पिता कि 19 सितंबर को मौत हो गई थी

शहाबुद्दीन ने याचिका दायर कर अपनी बीमार मां से मिलने के लिए सीवान जाने की अनुमति मांगी है. याचिका में कहा गया था कि शहाबुद्दीन के पिता की पिछले 19 सितंबर को मौत हो गई थी और वो अपने पिता के कब्र पर जाकर नमाज अदा करना चाहता है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और बिहार पुलिस ने शहाबुद्दीन को सुरक्षा देने में असमर्थता जताई थी. दिल्ली सरकार की ओर से वकील संजय लॉ ने कहा था कि कोरोना के संकट काल में शहाबुद्दीन को एस्कोर्ट करना कठिन काम है और शहाबुद्दीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बिहार और दिल्ली सरकार ने सुरक्षा देने से इनकार किया

बिहार सरकार की ओर से वकील केशव मोहन ने कहा था कि अगर शहाबुद्दीन को कस्टडी पेरोल पर रिहा किया जाता है तो ये दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो सुरक्षा दे. बिहार सरकार और दिल्ली सरकार की सुरक्षा देने की अनिच्छा जाहिर करने पर कोर्ट ने शहाबुद्दीन को सलाह दी कि वो अपने परिवार को दिल्ली क्यों नहीं बुला लेता. उसे अपने परिवार से मिलने के लिए अलग जगह उपलब्ध करा दिया जाएगा.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से तिहाड़ शिफ्ट किया गया था

बता दें कि 15 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को बिहार से तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था. बिहार के सीवान के दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और चर्चित तेजाब कांड में तीन बेटों को गंवा चुके चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ये मांग की थी कि अपराधी को बिहार से दिल्ली के तिहाड़ जेल शिफ्ट किया जाए. 30 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब कांड में शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

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