पटना: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पूरे देश में न जाने कितने लोगों की जिंदगी छीन ली है. न जाने कितने लोग बेसहारा हो गये हैं. किसी के पिता का सहारा तो छीन गया तो किसी के पति का साया नहीं रहा. किसी मां की गोद सूनी हो गई है. मसौढ़ी (Masaurhi) अनुमंडल में सरकारी आंकडों के मुताबिक अभी तक 13 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है.
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ड्यूटी के दौरान मौत
ईटीवी भारत की टीम आज एक ऐसे परिवार के दुख को साझा कर रहा है जिसमें दो मासूम बच्चे हैं. शादी के महज सात साल हुए थे. कोरोना ने बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया. अमृता मूल रूप से गया जिले के खाजपुरा (Khajpura) की रहने वाली हैं.
धनरूआ में किराये के मकान में रह रहे पंचायत शिक्षक के रूप में कार्यरत राजेश कुमार की मौत कोरोना काल में लगे ड्यूटी के दौरान हो गई.
अमृता पर टूटा दुखों का पहाड़
राजेश कुमार की मौत के बाद उनकी पत्नी अमृता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. ऐसे मुश्किल हालात में अमृता के पास बच्चों की परवरिश के लिए कुछ नहीं बचा है, जो भी पैसे थे, वो पति के इलाज में खर्च हो गये.
यहां तक कि अपने सारे गहने बेच दिये लेकिन पति को नहीं बचा पायी. इसके बावजूद अमृता अपने बच्चों के लिए जिंदगी के इस संघर्ष को झेलने को तैयार हैं.
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संघर्ष करने को तैयार
अमृता ने बताया कि चाहे रास्ते में जितने भी रोड़े आयें, फिर भी अपने बच्चों को पालेंगे. अमृता समाज के लिए आईना हैं, जिनके सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. लेकिन अपने और अपने बच्चों की परवरिश के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं. बहरहाल सरकार के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी अमृता की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.
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