नालंदा/पटना: बिहार के कुछ जिले के लोग पानी नहीं जहर पी रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं. एक रिसर्च के बाद की रिपोर्ट यह कह रही है. रिपोर्ट बेहद ही चौंकानेवाली है. दरअसल, महावीर कैंसर संस्थान (Mahaveer Cancer Institute), यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के साथ यूके के कुछ रिसर्च इंस्टीट्यूट और भारत के रिसर्च इंस्टीट्यूट (Indian Research Institute) के शोधार्थियों ने बिहार के ग्राउंड वाटर पर रिसर्च किया है. बिहार की राजधानी पटना समेत 6 शहरों के पानी में पहली बार यूरेनियम (Urenium) काफी अधिक मात्रा में मिली है. जो बेहद खतरनाक है.
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सामान्य तौर पर 1 लीटर पानी में 30 माइक्रोग्राम या उससे कम यूरेनियम होनी चाहिए. लेकिन बिहार के कई शहरों में 50 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम मिले हैं. पानी में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा होने से लीवर और किडनी की समस्याएं बढ़ जाती हैं. कैंसर का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. इस रिसर्च को महावीर कैंसर संस्थान, यूनिवर्सिटी ऑफ मेनचेस्टर, ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, आईआईटी खड़गपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी उत्तराखंड के रिसर्चर्स ने मिलकर किया है. यह एक जॉइंट रिसर्च है.
'यूके के कुछ रिसर्च इंस्टीट्यूट और भारत के कुछ रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मिलकर जॉइंट रिसर्च किया है. इस रिसर्च में यूके की 50% राशि खर्च हुई है. भारत सरकार की भी 50% राशि खर्च हुई है. पहले बिहार में ग्राउंड वॉटर में आर्सेनिक की मात्रा का ही पता लगाया जाता था. लेकिन कुछ वर्ष पहले उन लोगों ने तय किया कि अन्य मिनिरल्स का भी पता लगाया जाए. ऐसे में साल 2018 से ग्राउंड वाटर में अन्य मिनिरल्स का पता लगाने का कार्य शुरू हुआ. यह कार्य अब तक चल रहा है. अभी तक प्रदेश के 38 जिले से कुल 46 हजार से अधिक जगहों से ग्राउंड वॉटर सैंपल कलेक्ट किए गए और इस दौरान चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई कि प्रदेश के कई जिलों में ग्राउंड वाटर में यूरेनियम की मात्रा काफी अधिक हैं. हालांकि सैंपल जितने भी कलेक्ट किए गए उनमें से 10% में ही यूरेनियम मिले हैं. यह गंगा और सोन के तटवर्ती इलाकों में काफी अधिक पाए गए हैं.' -डॉ. अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण परिषद सह विभागाध्यक्ष, महावीर कैंसर संस्थान रिसर्च विंग
डॉ. अशोक घोष ने बताया कि गंगा के दक्षिणी हिस्से में यूरेनियम की मात्रा अधिक मिली है. पहले झारखंड के जादूगोड़ा में यूरेनियम सबसे अधिक पाया जाता रहा है. लेकिन अब बिहार में गोपालगंज, सिवान, सारण, पटना, नालंदा और नवादा जिले में यूरेनियम की मात्रा काफी देखने को मिली है.
उन्होंने कहा कि इस दौरान एक आश्चर्यजनक रिपोर्ट यह देखने को मिली है कि जिस सैंपल में यूरेनियम की मात्रा अधिक निकली, वहां आर्सेनिक की मात्रा नहीं है. जहां आर्सेनिक की मात्रा अधिक मिली वहां यूरेनियम की मात्रा नहीं मिली है. यह बिहार के लोगों के लिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बुरी खबर है. क्योंकि यूरेनियम स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. किडनी और लीवर की बीमारियां बढ़ जाती हैं.
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डॉ. अशोक घोष ने बताया कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने भी बिहार के पानी में हाल ही में यूरेनियम की पुष्टि की है. ऐसे में अब यह शोध का विषय है कि बिहार के ग्राउंड वाटर में पाया जा रहा यूरेनियम ग्राउंड वाटर में किस लेवल से मिल रहा है. ग्राउंड वाटर में पाया जाने वाला यूरेनियम जियोजेनिक है या एंथ्रोपोजेनिक है. अगली रिसर्च इसी दिशा में होगी. यह पता लगाया जाएगा कि अगर कहीं यूरेनियम की मात्रा अधिक है तो क्या वहां यूरेनियम के माइंस को लेकर कोई संभावना भी है या नहीं.
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर जो जनरल वाटर प्यूरीफायर होते हैं, वह पानी से यूरेनियम और आर्सेनिक निकाल पाने में अक्षम होता है. आरओ का बहुत व्यापक रेंज है. जरूरी नहीं कि सभी आरओ हर मिनिरल्स को प्यूरिफाई कर दे.
'यूरेनियम स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होती है. यह कैंसर का एक बड़ा कारक है. यूरेनियम लीवर को काफी डैमेज करता है. इसके अलावा थायराइड जैसी बीमारी का भी कारक होता है. यूरेनियम से सबसे अधिक गोल ब्लाडर का खतरा बढ़ता है. हाल के दिनों में जिस प्रकार से गंगा और सोन के तटवर्ती इलाकों के लोगों में गोल ब्लाडर के कैंसर के मामले बढ़े हैं, उसका एक बड़ी और प्रमुख वजह यह भी हो सकती है.' -डॉ. एसके झा, कैंसर रोग विशेषज्ञ पटना सह डायरेक्टर, आस्था कैंसर हॉस्पिटल
'यूरेनियम किडनी को काफी प्रभावित करता है. किडनी से संबंधित रोगों का यह एक बड़ा कारक है. किडनी की कई बीमारियां जैसे नेफ्राइटिस, किडनी फेलियर और अन्य बीमारियों में यूरेनियम का काफी स्ट्रांग रिलेशन है. यूरेनियम काफी बुरा प्रभाव डालता है. प्रदेश के ग्राउंड वाटर में अगर यूरेनियम की मात्रा अधिक पाई जा रही है, तो यह प्रदेश के लिए चिंता की बात है. मेरे पास किडनी से संबंधित बीमारी को लेकर जब मरीज आते हैं, तो कई केसेज में यह पता चल जाता है कि किस वजह से किडनी फेल हो रही है. लेकिन 30% केस में यह पता नहीं चल पाता कि किडनी फेल होने की वजह क्या है. अब जब यह रिसर्च सामने आया है तो इस बात को बल मिल रहा है कि यूरेनियम की वजह से ही ऐसे 30% लोगों की किडनी फेल हो रही है. ऐसे में जरूरी है कि साफ और शुद्ध पानी पिएं. साफ और शुद्ध पानी पीने का सबसे बेहतर तरीका है कि पानी को गर्म करके उबाल लें और फिर उसे साफ कपड़े से छान कर ठंडा कर पिएं. क्योंकि जनरल वाटर प्यूरीफायर पानी से यूरेनियम और आर्सेनिक जैसे मिनरल्स को नहीं निकाल सकता.' -डॉ निखिल चौधरी, सीनियर यूरोलॉजिस्ट सह चिकित्सक आईजीआईएमएस
जानकारी दें कि नालंदा के स्थानीय लोग, किसान, समाजसेवी इस खबर से चिंतित हैं. समाजसेवी राकेश बिहारी कहते हैं कि पानी में यूरेनियम मिलने से हमारी तबीयत पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही किसानों को भी काफी नुकसान होगा. वहीं किसान वीर सिंह ने कहा कि झारखंड में बरसा हुआ पानी बहते हुए पटना के रास्ते जाता है. जिस कारण वहां के जितने भी खनीज वगैरह हैं, वह सारे तत्व वगैरह नदियों के द्वारा बिहार में आती है. इस कारण से ही यूरेनियम भी पानी में मिलना शुरू हुई है.
लोगों ने मांग की है कि सरकार को चाहिए कि झारखंड से जो भी छोटी-छोटी नदियां बिहार आती हैं, उसपर छोटे-छोटे डैम बना कर पानी को शुद्ध करवाना शुरू करें. प्यूरिफायर होकर अगर पानी यहां पहुंचे तो हम सबको फायदा होगा. किसानों को भी काफी ज्यादा फायदा मिलेगा.
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