पटना: बिहार के सभी प्रखंडों में पंचायत स्तरीय ग्राम रक्षा दल स्तर पर दलपति की नियुक्ति की गई थी. साल 1949 में पंचायतों की सुरक्षा का कमान इन दलपतियों के हाथों में होता था. वहीं, मसौढ़ी में 16 दिसंबर 1989 को पंचायत स्तरीय दलपतियों को रखने कि प्रक्रिया शुरू हुई थी.
दलपति अपने पंचायतों में सुरक्षा प्रहरी के रूप में काम करते हैं. ये सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा भी बनते हैं. यहां तक कि चुनाव के समय, आपदा के समय और अन्य किसी भी तरह के सरकारी कार्यों में दलपति को लगाया जाता है. लेकिन खासतौर पर दलपति के नियुक्ति ग्राम रक्षा दल के रूप में सुरक्षा प्रहरी के रूप में की गई थी.
30 साल बाद भी वेतन महज 175 रुपये
अभी के समय में आश्चर्य की बात ये है कि ये दलपति मात्र 50 रुपये पर बहाल होते थे. लेकिन 30 साल बीत जाने के बाद भी इनका वेतन महज 175 रुपये हुआ है. इतनी महंगाई में एक ओर जहां हर चीजों का दाम चौगुनी बढ़ गई है. वहीं ग्राम रक्षा दल के प्रहरी के रूप में तैनात पंचायतों में दलपति का वेतन सिर्फ 175 रुपये है. इन दलपतियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें उचित वेतन दिया जाए, वो ग्राम रक्षा दल के सुरक्षा प्रहरी कहलाते हैं.
बीडीओ को नहीं मालूम दलपति हैं कौन?
हालांकि इससे भी बड़ी बात यह है कि दलपति कौन हैं ? यह किसी भी प्रखंड के बीडीओ को मालूम नहीं है. वहीं, जब गुरुवार को सभी पंचायतों के दलपति बीडीओ से मिलने पहुंचे और अपने लिए मदद की गुहार लगाई तब जाकर बीडीओ को पता चला कि पंचायत में दलपति भी होते हैं. ये दलपति क्या काम करते हैं.
क्या कहते हैं बीडीओ
बीडीओ पंकज कुमार ने कहा कि फिलहाल यहा पर 5 दलपति कार्यरत हैं. उन्हें सरकार की तरफ से समय-समय पर उन्हें पारिश्रमिक उपलब्द्ध कराया जाता है.
7 दलपति शेष
बता दें कि मसौढ़ी प्रखंड में 18 पंचायत हैं. जिसमें कई पंचायतों में दलपति की नियुक्ति की गई थी, लेकिन अब पूरे प्रखंड में सात ही दलपति बचे हैं. क्योंकि सभी लोग उचित पैसे नहीं मिलने की वजह से काम छोड़कर दूसरे कार्यों में लग गए हैं.