पटना: साइबर अपराधियों (Cyber Crime) ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) के पटना कॉलेज के खाते से से 62 लाख 80 हजार रुपये की फर्जी निकासी (Fake Withdrawal) कर ली है. इतनी बड़ी राशि चेक क्लोन (Check Clone) के जरिए निकाली गई है. मामले की जानकारी के बाद कॉलेज प्रशासन की तरफ से प्री बोर्ड थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पटना पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है.
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बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद स्थित इंडियन बैंक के शाखा से चेक क्लोन के जरिए साइबर अपराधियों ने 62 लाख 80 हजार रुपये की अवैध निकासी की है. मिल रही जानकारी के अनुसार अधिक राशि का चेक आने पर बैंक द्वारा कस्टमर या जिस संस्थान का चेक होता है, उसको फोन कर पूछताछ की जाती है. लेकिन इस मामले की जानकारी उस वक्त मिली जब गेस्ट फैकेल्टी चेक से पैसे की निकासी करने गये.
दरअसल, पटना विश्वविद्यालय की गेस्ट फैकेल्टी को 16 हजार का चेक दिया गया था. जब वह उस चेक से पैसे की निकासी करने गए, तब उन्हें पता चला कि कॉलेज के खाते से 62 लाख 80 हजार रुपये की अवैध निकासी की गई है. कॉलेज प्रशासन की तरफ से प्री बोर्ड थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है.
पटना कॉलेज के प्राचार्य के द्वारा पटना विश्वविद्यालय कैंपस स्थित इंडियन बैंक के शाखा प्रबंधक के ऊपर 62 लाख 80 हजार के गबन का आरोप लगाया गया है. कॉलेज प्रबंधन द्वारा दिए गए आवेदन के मुताबिक पटना कॉलेज के खाते से चेक लोन की राशि के माध्यम से पैसे निकाली गई है. दरअसल गुजरात के ग्रीन वेजिटेबल कंपनी के नाम के खाते में चेक डाला गया था. जबकि पैसे की निकासी इंडियन बैंक के अहमदाबाद ब्रांच से की गई है.
जानकारी के अनुसार, यह चेक क्लोन का मामला अभी का नहीं है. लॉकडाउन के दौरान 29 अप्रैल को ही फर्जी तरीके से चेक क्लोन के माध्यम से भारी रकम की निकासी की गई थी. हालांकि, जिस कंपनी के चेक के माध्यम से पैसे की निकासी की गई है. वह कंपनी फर्जी बताई जा रही है. पुलिस द्वारा अनुसंधान शुरू कर दिया गया है. दरअसल चेक क्लोनिंग के माध्यम से निकाली गई, ऐसे में बैंक के कर्मी की मिलीभगत से की भी बात कही जा रही है. पुलिस ने सभी बिंदुओं पर जांच शुरू कर दिया है.
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आइए जानते हैं चेक क्लोन कैसे किया जाता है? चेक क्लोन करने वाले जालसाज आपके चेक को हासिल करने की फिराक में रहते हैं. वे डाकिए या बैंक के किसी अधिकारी से मिलकर चेकबुक हासिल करते हैं. चेक पर ही खाताधारक की जानकारी लिखी होती है. किस खाते में ज्यादा रकम है, यह जानकारी बैंक के कर्मियों से मिलकर जुटा लेते हैं.
आइए यह भी जानते है कि बैंक कर्मियों की मदद से कैसे जुटाते हैं जानकारी? कई बार बैंक से खाताधारक का मोबाइल नंबर भी बैंक से हटवा दी जाती है. उसके बाद लैपटॉप में स्कैन करने के बाद नए नंबर को डालकर चेक पर खाता नंबर, नाम और चेक नंबर प्रिंट किया जाता है. उसके बाद बैंकों में भुगतान के लिए जाया जाता है. जिन खातों में मोबाइल नंबर दर्ज होता था, उनके चेक 50 हजार से नीचे के होते थे. ताकि असली खातेदार के मोबाइल पर वेरिफिकेशन मैसेज ना जाए.
बिहार में लॉकडाउन के बाद से लगातार साइबर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं. साइबर क्राइम को लेकर हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए आर्थिक अपराध इकाई के एसपी प्राणतोष दास ने अहम जानकारी देते हुए बताया था कि सोशल मीडिया या साइट्स पर हुए साइबर क्राइम के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी किया है. साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर- 155260 और बच्चों के साथ हुए साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर-1098 पर संपर्क कर सकते है. साथ ही @cyberdost ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर आप अपनी कंप्लेन दर्ज करा सकते हैं.
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