पटना: सामान्य दिनों की तुलना में कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन में साइबर क्राइम में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ा है. कोरोना काल में पूरा सिस्टम इंटरनेट बैंकिंग पर डिपेंडेंट हो गया है. ऐसे में कोरोना से जुड़े मामले के अलावा ऑनलाइन पढ़ाई व्यापारिक लेन-देन चेक क्लोनिंग से लेकर एटीएम फ्रॉड जैसे मामले भी बढ़े हैं. इन दिनों साइबर अपराधी बैंक के नाम पर इंक्वायरी कर पैसे लूट रहे हैं तो इंश्योरेंस कंपनी की ओर से फोन करके लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं.
ई पोस्टर से किया जा रहा जागरूक
आर्थिक अपराध इकाई की ओर से हर दिन दो लाख लोगों को ई पोस्टर के जरिए जागरूक किया जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई की मानें तो राज्य स्तर पर साइबर अपराध रोकने के लिए यूओयू नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रही है. यूओयू में एक साइबर सेल भी है जहां अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है. जिला स्तर पर साइबर क्राइम सोशल मीडिया यूनिट का गठन किया गया है. हर यूनिट में एक इंस्पेक्टर 3 एसआई और दो सिपाही की टीम तैनात रहती है. राज्य की साइबर यूनिटी हर दिन हिंदी भाषा में आसान तरीके से जागरूकता का पोस्टर बनाकर जिले के एसपी को भेजती है और जिला एसपी सभी थाने के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं.
साइबर फ्रॉड को लेकर अलर्ट जारी
आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी गंगवार की माने तो बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने साइबर फ्रॉड को लेकर लगातार अलर्ट जारी कर रही है. सूचना के अनुसार इन दिनों लोगों से साइबर फ्रॉड करने के लिए कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर झांसे में लिया जा रहा है. इस तरह की शिकायत काफी आई है. उन्होंने कहा कि अगर आम जनता के पास लॉटरी, ईमेल, कॉल, एसएमएस कॉल आये तो काफी सतर्क रहने की जरूरत है. साइबर फ्रॉड के इस तरह के मामले में काफी तेजी आई है. लगातार आर्थिक अपराध इकाई के तरफ से ई बैनर के माध्यम से लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई की माने तो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करने को लेकर पुलिस अपने स्तर से काम कर रही है. बता दें कि महज 20 परसेंट लोगों का ही पैसा रिफंड हो पाता है.