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साइबर ठगी का हॉटस्पॉट बना बिहार, साल 2022 में 74 करोड़ रुपये की ठगी

बिहार में साइबर क्राइम (Cyber Fraud In Bihar) सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन कर रह गई है. साइबर क्राइम हर रोज नए रिकॉर्ड के ऊंचाई को छू रही है. चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार जहां प्रयासरत है, वहीं आम लोगों के साथ सोशल मीडिया के जरिए ठगी बदस्तूर जारी है. 2022 में साइबर ठगी के मामले ने सबको चौंका दिया. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में साइबर ठगी
बिहार में साइबर ठगी
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Published : Dec 31, 2022, 8:13 PM IST

बिहार में साइबर ठगी

पटना: बिहार में हर हाथ में मोबाइल है और हर हाथ में मोबाइल होना ही आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए बड़ी संख्या में भोले-भाले लोग हर रोज ठगी का शिकार हो रहे हैं. साल 2022 में कुल मिलाकर 43987 साइबर अपराध के मामले दर्ज (Cyber Crime Increase In Bihar) किए गए.

यह भी पढ़ें: बिहार में साइबर फ्रॉड के मामले 20 गुना बढ़े, एक्सपर्ट से जानिए बचने के उपाय

साइबर ठगी का हॉटस्पॉट बना बिहार: बिहार में साइबर ठगी के मामलों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. हर रोज राज्य के अंदर 122 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं. हर घंटे 6 लोगों के साथ साइबर फ्रॉड हो रहा है. हर महीने 3665 मामले बिहार में दर्ज किए जा रहे हैं. राज्य में नवादा, नालंदा शेखपुरा, पटना और गया जिला साइबर ठगी के लिए हॉटस्पॉट बन चुका है. इन जिलों में साइबर ठग संगठित गिरोह के रूप में सक्रिय है, जो लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.

साल 2022 में 74 करोड़ की ठगी: पटना में सबसे ज्यादा 8900 लोग साइबर ठगी के शिकार बन हैं. इसके बाद मुजफ्फरपुर में 2367, सारण 1802, मोतिहारी 1695, समस्तीपुर 1643 और सिवान में 1621 मामले प्रकाश में आए. साल 2022 में लगभग 74 करोड़ की राशि साइबर क्राइम के जरिए ठगे गए. हालांकि, आर्थिक अपराध इकाई ने सक्रियता दिखाई और कुल मिलाकर 3 करोड़ 92 लाख 84 हजार को होल्ड करने में कामयाबी हासिल की. जबकि 50 लाख की राशि पीड़ितों को लौटाया गया.

मुख्य सचिव के अकाउंट से 90 हजार की ठगी: साइबर अपराधी का मनोबल इतना ऊंचा है कि मुख्य सचिव के अकाउंट से भी 90000 उड़ा लिए गए थे. लेकिन आर्थिक अपराध इकाई की तत्परता से पैसे रिकवर कर लिए गए. वहीं आदित्य विजन के अकाउंट से ही 19 लाख की ठगी कर ली गई. जिसमें से 16,59,000 रुपए को होल्ड कर दिया गया.

साइबर ठग ऐसे बनाते हैं शिकार

1.फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल के जरिए ठगी
2 व्हाट्सएप के जरिए सेक्सटॉर्शन
3 एटीएम ब्लॉक होने के नाम पर ठगी
4 केवाईसी के नाम पर फर्जीवाड़ा
5 क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी
6चिकित्सक के पास नंबर लगाने के नाम पर ठगी
7 ऑनलाइन सीएनएफ लेने के नाम पर फर्जीवाड़ा
8सोशल मीडिया के जरिए विवाह के नाम पर ठगी
9 मैसेज बॉक्स में लॉटरी के नाम पर ठगी
10 लिंक क्लिक कर भरने पर ठगी

"आर्थिक अपराध इकाई ने साइबर ठगी को रोकने के लिए अलग इकाई गठित की गयी है. लोगों को भी एहतियात बरतने की जरूरत है. साइबर अपराध के मामले में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं. 4 करोड़ की राशि को हम लोगों ने होल्ड किया है और 50 लाख रुपए की राशि लोगों को मिल भी चुकी है" -सुशील कुमार, पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई

'अनजान लोगों से ओटीपी शेयर ना करें': सोशल मीडिया के जानकार नवीन कुमार बताते हैं कि मोबाइल फोन उपयोग के दौरान आपको एहतियात बरतने की जरूरत है. आप किसी भी अनजान महिला को फेसबुक पर फ्रेंड ना बनाएं, ना ही अनजान लोगों से किसी माध्यम से बातचीत करें. आपको ना तो किसी लिंक को क्लिक करना चाहिए ना ही मोबाइल फोन पर आए ओटीपी को शेयर करना चाहिए. आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार ने कहा कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आम लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है. बिना जरूरत के कोई लिंक क्लिक करने से बचना चाहिए. अपना ओटीपी किसी को भी शेयर नहीं करना चाहिए. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने से पहले सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए.

बिहार में साइबर ठगी

पटना: बिहार में हर हाथ में मोबाइल है और हर हाथ में मोबाइल होना ही आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए बड़ी संख्या में भोले-भाले लोग हर रोज ठगी का शिकार हो रहे हैं. साल 2022 में कुल मिलाकर 43987 साइबर अपराध के मामले दर्ज (Cyber Crime Increase In Bihar) किए गए.

यह भी पढ़ें: बिहार में साइबर फ्रॉड के मामले 20 गुना बढ़े, एक्सपर्ट से जानिए बचने के उपाय

साइबर ठगी का हॉटस्पॉट बना बिहार: बिहार में साइबर ठगी के मामलों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. हर रोज राज्य के अंदर 122 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं. हर घंटे 6 लोगों के साथ साइबर फ्रॉड हो रहा है. हर महीने 3665 मामले बिहार में दर्ज किए जा रहे हैं. राज्य में नवादा, नालंदा शेखपुरा, पटना और गया जिला साइबर ठगी के लिए हॉटस्पॉट बन चुका है. इन जिलों में साइबर ठग संगठित गिरोह के रूप में सक्रिय है, जो लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.

साल 2022 में 74 करोड़ की ठगी: पटना में सबसे ज्यादा 8900 लोग साइबर ठगी के शिकार बन हैं. इसके बाद मुजफ्फरपुर में 2367, सारण 1802, मोतिहारी 1695, समस्तीपुर 1643 और सिवान में 1621 मामले प्रकाश में आए. साल 2022 में लगभग 74 करोड़ की राशि साइबर क्राइम के जरिए ठगे गए. हालांकि, आर्थिक अपराध इकाई ने सक्रियता दिखाई और कुल मिलाकर 3 करोड़ 92 लाख 84 हजार को होल्ड करने में कामयाबी हासिल की. जबकि 50 लाख की राशि पीड़ितों को लौटाया गया.

मुख्य सचिव के अकाउंट से 90 हजार की ठगी: साइबर अपराधी का मनोबल इतना ऊंचा है कि मुख्य सचिव के अकाउंट से भी 90000 उड़ा लिए गए थे. लेकिन आर्थिक अपराध इकाई की तत्परता से पैसे रिकवर कर लिए गए. वहीं आदित्य विजन के अकाउंट से ही 19 लाख की ठगी कर ली गई. जिसमें से 16,59,000 रुपए को होल्ड कर दिया गया.

साइबर ठग ऐसे बनाते हैं शिकार

1.फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल के जरिए ठगी
2 व्हाट्सएप के जरिए सेक्सटॉर्शन
3 एटीएम ब्लॉक होने के नाम पर ठगी
4 केवाईसी के नाम पर फर्जीवाड़ा
5 क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी
6चिकित्सक के पास नंबर लगाने के नाम पर ठगी
7 ऑनलाइन सीएनएफ लेने के नाम पर फर्जीवाड़ा
8सोशल मीडिया के जरिए विवाह के नाम पर ठगी
9 मैसेज बॉक्स में लॉटरी के नाम पर ठगी
10 लिंक क्लिक कर भरने पर ठगी

"आर्थिक अपराध इकाई ने साइबर ठगी को रोकने के लिए अलग इकाई गठित की गयी है. लोगों को भी एहतियात बरतने की जरूरत है. साइबर अपराध के मामले में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं. 4 करोड़ की राशि को हम लोगों ने होल्ड किया है और 50 लाख रुपए की राशि लोगों को मिल भी चुकी है" -सुशील कुमार, पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई

'अनजान लोगों से ओटीपी शेयर ना करें': सोशल मीडिया के जानकार नवीन कुमार बताते हैं कि मोबाइल फोन उपयोग के दौरान आपको एहतियात बरतने की जरूरत है. आप किसी भी अनजान महिला को फेसबुक पर फ्रेंड ना बनाएं, ना ही अनजान लोगों से किसी माध्यम से बातचीत करें. आपको ना तो किसी लिंक को क्लिक करना चाहिए ना ही मोबाइल फोन पर आए ओटीपी को शेयर करना चाहिए. आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार ने कहा कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आम लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है. बिना जरूरत के कोई लिंक क्लिक करने से बचना चाहिए. अपना ओटीपी किसी को भी शेयर नहीं करना चाहिए. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने से पहले सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए.

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